भाषा का महत्व (bhasha ka mahatva kya hai)
मानव जिस व्यक्ति से प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ है इस व्यक्ति का नाम भाषा है संसार के अन्य प्राणियों के पास भी अपनी भाषाएं हैं परंतु विचार प्रदान करने वाली भाषा केवल मनुष्य के पास ही है भाषा विचार विनिमय का एक महत्वपूर्ण साधन है भाषा के बिना मनुष्य पशु के समान हैं भाषा ही शिक्षा एवं ज्ञान का प्रमुख आधार है भाषा के कारण ही मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी बन सका है भाषा का विस्तार एवं विकास मनुष्य का अपना ही विकास है।
भाषा के द्वारा मानव अपने पूर्वजों के भाव विचार एवं अनुभव को सुरक्षित रखने में सफल हो सकता है भाषा के द्वारा किसी भी समाज का ज्ञान सुरक्षित रहता है भाषा सामाजिक एकता में सहायता पहुंच आती है भाषा के द्वारा शारीरिक विकास बौद्धिक विकास एवं व्यक्तित्व का विकास होता है भाषा ही भावनात्मक एकता राष्ट्रीय एकता एवं अंतरराष्ट्रीय भावनाओं का विकास करती है।
भाषा का महत्व क्या है |
भाषा की परिभाषा
गांधीजी के अनुसार व्यक्ति मानसिक विकास के लिए मातृभाषा का ज्ञान उतना ही आवश्यक है जितना कि शिशु शरीर के विकास के लिए माता का दूध।
बर्ट के अनुसार भाषा विहीन व्यक्ति केवल बुद्धि विहीन हो नहीं रहते बल्कि भाव हीन भी हो जाते हैं
भाषा का महत्व क्या है
मनुष्य के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में भाषा के महत्व को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-
१.विचार विनिमय का सरलतम माध्यम
२. ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख साधन
३. राष्ट्रीय की एकता का आधार
४. सामाजिक जीवन में प्रगति का माध्यम
५. व्यक्तित्व निर्माण में सहायक
६. चिंतन एवं मनन का स्रोत या माध्यम
७. साहित्य, कला, सभ्यता एवं संस्कृति का विकास
८. शिक्षा भाषा ही प्रगति का आधारशिला है
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१.विचार विनिमय का सरलतम माध्यम
भाषा विचार विनिमय का एक महत्वपूर्ण साधन है यह केवल मनुष्य के पास ही है भाषा पशु पक्षी सभी के पास है पर विचार विनिमय करने की शक्ति केवल मनुष्यों के पास है भाषा के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी सारी सुख दुख को दूसरे व्यक्ति तक बड़े आसानी या सरलतम माध्यम से अपने विचारों का विचार विनिमय कर सकता है।
२. ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख साधन
भाषा के माध्यम से ही एक पीढ़ी अपने संचित ज्ञान को विरासत के रूप में दूसरी पीढ़ी को सौंप दी है भाषाओं के माध्यम से ही हम प्राचीन एवं नवीन इतिहास को पहचानने में समर्थ होते हैं भाषा के द्वारा ही मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास होता है।
३. राष्ट्रीय की एकता का आधार
समस्त राष्ट्रीय का संचालन भाषा के माध्यम से होता है भाषा राष्ट्रीय एकता का मूलाधार है इसके अलावा भी कोई भाषा विभिन्न राष्ट्रों के बीच विचार विनिमय व्यापार एवं संस्कृति के आदान-प्रदान का साधन बनती है ऐसी भावनाओं के अभाव में विभिन्न राष्ट्रों में विद्वानों के विचार राष्ट्रीय विशेष तक ही सीमित रहें जाते हैं।
४. सामाजिक जीवन में प्रगति का माध्यम
भाषा समाज के सदस्यों को एक सूत्र में बांधती हैं भाषा के माध्यम से ही समाज प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है इसीलिए भाषा जितनी विकसित होगी समाज का उतना ही विकास होगा भाषा के माध्यम से समाज के केवल नैतिक व्यवहार ही संपन्न नहीं होते बल्कि हमारी संस्कृति भी अक्षुण्ण (नष्ट होने वाला) बनी रहती है या भाषा ही है जिसके समस्त संसार या समाज में रहने वाले या विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले तथा विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग मिल जुल कर रहते हैं अर्थात् भाषा समाज, राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय को जोड़ने में सहायक है अतः यह कहा जा सकता है कि भाषा सामाजिक जीवन में प्रगति का आधार है।
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५. व्यक्तित्व निर्माण में सहायक
भाषा व्यक्ति के विकास का महत्वपूर्ण साधन है व्यक्ति अपने मन के भावों को भाषा के माध्यम से ही अभिव्यक्त करता है और इसी अभिव्यक्ति में उसके अंदर छिपी हुई प्रतिभा के दर्शन होते हैं अपने विचारों तथा भावों को सफलतापूर्वक अभिव्यक्त करना तथा अनेक भाषाएं बोल लेना एक विकसित व्यक्तित्व के लक्षण है अतः किसी व्यक्ति की अभिव्यक्ति जितिन स्पष्ट होगी उसके व्यक्तित्व का विकास भी उतनी ही प्रभावशाली ढंग से बढ़ेगा।
६. चिंतन एवं मनन का स्रोत या माध्यम
हम भाषा के द्वारा ही विचार चिंतन एवं मनन करते हैं मानो अपने विचारों की ऊंचाइयों के कारण ही सभी प्राणियों में श्रेष्ठ समझा जाता है और इसी के कारण कई तरह की नई-नई जानकारियां भी लेने में सक्षम हो पाता है इसे के द्वारा विश्व शांति एवं राष्ट्रीय एकता के प्रयास निरंतर चल रहे हैं अतः यह स्पष्ट है कि विचार चिंतन एवं मनन शक्तियों का विकास भाषा पर ही आधारित है।
७. साहित्य, कला, सभ्यता एवं संस्कृति का विकास
भाषा नहीं होता तो साहित्य भी नहीं होता क्योंकि साहित्य को भाषा के माध्यम से ही लिखा जाता है और भाषा का विकास उसके पल्लवित साहित्य के दर्पण में देखा जाता है। इसी तरह से कला के इस पर भी भाषा में ही मुखरित होते हैं जब वायुमंडल में शब्द गूंजते हैं और श्रोता गदगद हो जाते हैं तो यह सारा चमत्कार भाषा का ही होता है भाषा के द्वारा ही हम जीवन शैली से परिचित होते हैं भाषा के द्वारा हम नवीन अविष्कारों के आधार पर एक नई सृष्टि का निर्माण करते हुए अपनी भाषा को भी उन्नत बनाते हैं।
८. शिक्षा भाषा ही प्रगति का आधारशिला है
भाषा शिक्षा का आधार है सभी ज्ञान विज्ञान के ग्रंथ भाषा में ही लिपिबद्ध होते हैं अगर भाषा ना हो तो शिक्षा की व्यवस्था भी संभव नहीं है ऐसा होने से मनुष्य असभ्य हिंसक तथा जंगली जानवर की तरह हो जाएगा भाषा के अभाव में हमें अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्त ज्ञान कभी प्राप्त नहीं होगा।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि भाषा मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण आधार है जिसके बिना मनुष्य का जीवन ही व्यर्थ है भाषा मनुष्य के अंदर उत्पन्न भावनाओं को दूसरों तक पीढ़ी दर पीढ़ी रूप में पहुंचाते रहता है इसलिए कहा जा सकता है कि भाषा के बिना मनुष्य एक मूर्ति के समान है जो ना तो कुछ बोलता है ना ही उसे देखकर उनकी भावनाओं को ही समझा या बूझा जा सकता है।