नीति निर्देशक तत्व क्या है नीति निदेशक तत्व कितने हैं

 

नीति निर्देशक तत्व क्या है

 

 नीति निर्देशक तत्व क्या है

भारतीय संविधान के भाग-4 में अनुच्छेद-36 से 51  में नीति निर्देशक  तत्वों  की व्याख्या की गई है। हमारे संविधान में नीति निर्देशक तत्वों को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है। इन तत्वों में हमारे संविधान का दर्शन छिपा है। इनका उद्देश्य उन सामाजिक और आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति करना है जो स्वतंत्रता के समय अधूरे रह गए थे अर्थ राज्य के नीति निर्देशक तत्व संविधान के आदर्शों को मंजिल तक पहुंचाने का पथ प्रदर्शक है। अर्थात हम कर सकते है कि नीति निर्देशक तत्व का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना जिसमें न्याय, समानता, स्वतंत्रता, विद्यमान हो तथा राज्य के लोग सुखी एवं संपन्न हो। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि यह भाग-4 आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य के लिए व्यापक राजनीतिक आर्थिक तथा सामाजिक कार्य की रचना करता है। अतः ये निर्देशक तत्व उस ध्रुव तारे के समान है। जो सरकार रूपी नापिक का पथ प्रदर्शन करता है। इसके अभाव में सच्चे लोकतंत्र की स्थापना नहीं की जा सकती है।

नीति निदेशक तत्व कितने हैं?

उत्तर : नीति निदेशक तत्व पांच है।
i)  आर्थिक नीति से संबंधित
ii) सामाजिक तथा शिक्षा संबंधी
iii) शासन से संबंधित
iv) स्मारक तथा ऐतिहासिक महत्व से संबंधित
v) अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा संबंधी

(1)  आर्थिक नीति से संबंधित- संविधान के अनुच्छेद 39,41,42,43,46,47 तथा 48 में इनके विवेचना की गई है जिसमें कहा गया है कि राज्य ऐसी आर्थिक नीति की व्यवस्था करेगा जिससे सभी नागरिकों की आर्थिक आवश्यकताएं पूरी हो और उनका शोषण ना हो। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान दिए गए है-

अनुच्छेद 39 के अनुसार

(a) इसके अंतर्गत स्त्री और पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।
(b) इसके अंतर्गत स्त्री और पुरुष एवं सभी नागरिकों को आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराना अर्थात भुखमरी बंद करने का प्रयास करना।
(c) अनुच्छेद 39 (A) के अनुसार कानून की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे सभी को न्याय मिले।
(d) अनुच्छेद 39(b) और (c) के अनुसार समाज के भौतिक साधनों का प्रबंध तथा उत्पन्न का समान बटवारा हो जिससे आपसी समानता प्राप्त हो।
(e) अनुच्छेद 39 (F) के अनुसार बच्चों को स्वतंत्रता तथा सम्मान के साथ जीने का अवसर तथा सुविधाएं देना तथा शोषण के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना।

अनुच्छेद 41 के अनुसार नागरिकों को योग्यता अनुसार कार्य करने।

अनुच्छेद 42 के अनुसार सभी कार्यों में समानता देना तथा स्त्रियों को प्रसूति के समय के समय सुविधा प्रदान करना।

अनुच्छेद 43 के अनुसार श्रमिकों को कार्य तथा जीवन निर्वाह करने हेतु मजदूरी प्राप्त हो तथा अपना जीवन स्तर ऊंचा करने, अवकाश का पूर्ण उपयोग तथा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के सुअवसर प्राप्त हो

अनुच्छेद 46 के अनुसार अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य दुर्बल वर्गों की शिक्षा तथा आर्थिक हितों में वृद्धि।

अनुच्छेद 47 के अनुसार जीवन स्तर को ऊंचा उठाने तथा सभी नागरिक के स्वास्थ्य को सुधारने का समुचित व्यवस्था करना।

अनुच्छेद 48 के अनुसार वन्य जीवों और जंगलों की रक्षा तथा उनके राख-रखव का प्रबंध करना।

(2) सामाजिक तथा शिक्षा संबंधी-
इन तत्वों का प्रमुख उद्देश्य है, समाज के दुर्बल वर्गों को सुरक्षा करना तथा उनका बौद्धिक एवं नैतिक विकास करना। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान है-
(a) राज्य समाज के कमजोर वर्ग विशेषकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति की शिक्षा एवं आर्थिक हितों के संरक्षण एवं उन्नति का प्रयास करेगा।
(b) राज्य के लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना तथा पौष्टिकजिससे सभी को न्याय मिले।
(d) अनुच्छेद 39(b) और (c) के अनुसार समाज के भौतिक साधनों का प्रबंध तथा उत्पन्न का समान बटवारा हो जिससे आपसी समानता प्राप्त हो।
(e) अनुच्छेद 39 (F) के अनुसार बच्चों को स्वतंत्रता तथा सम्मान के साथ जीने का अवसर तथा सुविधाएं देना तथा शोषण के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना।

अनुच्छेद 41 के अनुसार नागरिकों को योग्यता अनुसार कार्य करने।

अनुच्छेद 42 के अनुसार सभी कार्यों में समानता देना तथा स्त्रियों को प्रसूति के समय के समय सुविधा प्रदान करना।

अनुच्छेद 43 के अनुसार श्रमिकों को कार्य तथा जीवन निर्वाह करने हेतु मजदूरी प्राप्त हो तथा अपना जीवन स्तर ऊंचा करने, अवकाश का पूर्ण उपयोग तथा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के सुअवसर प्राप्त हो

अनुच्छेद 46 के अनुसार अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य दुर्बल वर्गों की शिक्षा तथा आर्थिक हितों में वृद्धि।

अनुच्छेद 47 के अनुसार जीवन स्तर को ऊंचा उठाने तथा सभी नागरिक के स्वास्थ्य को सुधारने का समुचित व्यवस्था करना।

अनुच्छेद 48 के अनुसार वन्य जीवों और जंगलों की रक्षा तथा उनके राख-रखव का प्रबंध करना।

(2) सामाजिक तथा शिक्षा संबंधी-
इन तत्वों का प्रमुख उद्देश्य है, समाज के दुर्बल वर्गों को सुरक्षा करना तथा उनका बौद्धिक एवं नैतिक विकास करना। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान है-
(a) राज्य समाज के कमजोर वर्ग विशेषकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति की शिक्षा एवं आर्थिक हितों के संरक्षण एवं उन्नति का प्रयास करेगा।
(b) राज्य के लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना तथा पौष्टिक आहार की व्यवस्था करना तथा मादक पेयो और वस्तुओं के सेवन पर प्रतिबंध लगाना।
(c) 6-14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करना।

(3) शासन से संबंधित-
इसके अंतर्गत प्रशासन में सुधार लाना है जिसमें निम्नलिखित प्रावधान है-
(a) अनुच्छेद 40 के अनुसार राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करेगा तथा ऐसी शक्तियां प्रदान करेगा जिससे उनका विकास हो सके।
(b) अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य सभी नागरिकों के लिए समान  कानून की व्यवस्था करेगा जिसमें बिना धर्म को आधार बनाए समान कानून की व्यवस्था हो।
(c) अनुच्छेद 50 के अनुसार कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग कर निष्पक्ष न्याय की व्यवस्था करना।

(4) स्मारक तथा ऐतिहासिक महत्व से संबंधित –
इसके अंतर्गत अनुच्छेद 49 के अनुसार प्राचीन स्मारकों तथा ऐतिहासिक महत्व की चीजों की रक्षा करना अर्थात राज्य का यह कर्तव्य होगा की प्राचीन स्मारकों तथा ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं जो भारतीय सरकार की दृष्टि से महत्व के हो उनकी रक्षा करना, उन्हें नष्ट होने से बचाना तथा बाहर भेजे जाने से रोकना।

(5) अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा संबंधी –
इसके अंतर्गत अनुच्छेद 51 के अनुसार-
(i) राज अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा का विकास करेगा।
(ii) विभिन्न राष्ट्रों के बीच न्याय पूर्ण तथा सम्मान पूर्ण संबंध बनाए रखेगा।
(iii) अंतरराष्ट्रीय कानून तथा समझौतों के प्रति आदर भाव पढ़ाने का प्रयास करना।
(iv) अंतर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थाता द्वारा हल करना।

महत्वपूर्ण प्रश्न

१.नीति निर्देशक तत्व किस देश से लिया गया ?

उत्तर: नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।

२.नीति निदेशक तत्व का क्या उद्देश्य है?

उत्तर:  नीति निर्देशक तत्व के उद्देश्य उन सामाजिक और आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति करना है जो स्वतंत्रता के समय अधूरे रह गए थे अर्थ राज्य के नीति निर्देशक तत्व संविधान के आदर्शों को मंजिल तक पहुंचाने का पथ प्रदर्शक है। अर्थात हम कर सकते है कि नीति निर्देशक तत्व का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना जिसमें न्याय, समानता, स्वतंत्रता, विद्यमान हो तथा राज्य के लोग सुखी एवं संपन्न हो।

आज हमने इस पोस्ट के माध्यम से नीति निर्देशक तत्व क्या है, नीति निदेशक तत्व कितने हैं, नीति निर्देशक तत्व किस देश से लिया गया है, नीति निदेशक तत्व का क्या उद्देश्य है के विषय में पढ़ा। दोस्तों अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा तो इसे शेयर करें और कुछ सुझाव हो तो कमेंट के माध्यम से बताएं।

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