रामदास कविता का सारांश॥ Ramdas Kavita Ka Saransh॥ रामदास कविता का सारांश क्लास 10

रामदास कविता का सारांश॥ Ramdas Kavita Ka Saransh॥ रामदास कविता का सारांश क्लास 10 

रामदास कविता का सारांश॥ Ramdas Kavita Ka Saransh॥ रामदास कविता का सारांश क्लास 10 

‘रामदास’ कविता में कवि रघुवीर सहाय ने एक आम, ईमानदार नागरिक की दुखद और भयावह स्थिति को मार्मिकता से प्रस्तुत किया है। रामदास कोई नेता या बड़ा व्यक्ति नहीं था, बल्कि वह एक ऐसा साधारण इंसान था, जो समाज में फैले अन्याय, भ्रष्टाचार और भय के खिलाफ आवाज उठाता था। उसकी यही ईमानदारी और साहस सत्ता और अपराध से जुड़े लोगों को रास नहीं आई, इसलिए उसे खुलेआम जान से मारने की धमकी दे दी गई।

कविता के अनुसार, रामदास को पहले ही चेतावनी दी जा चुकी थी कि यदि वह सड़क पर दिखा, तो उसे मार दिया जाएगा। इस डर और आशंका के बावजूद वह किसी आवश्यक कार्य या साहस के कारण अपने घर से बाहर निकलता है। उसके मन में लगातार भय बना रहता है, और वह हर कदम बहुत संभलकर, जैसे किसी हमले की आशंका के साथ बढ़ाता है। आसमान में छाए बादल, सूनसान गली और लोगों की चुप्पी – ये सब माहौल को और भयावह बना देते हैं।

रामदास अकेला है। वह सोचता है कि किसी को साथ ले लिया जाए, पर फिर यह सोचकर पीछे हट जाता है कि खाली हाथ कोई उसकी क्या मदद करेगा। सड़क पर मौजूद लोग भी सब कुछ जानते हुए चुपचाप उसे निहारते रहते हैं। सबको लगता है कि कुछ बुरा होने वाला है, पर कोई कुछ नहीं करता। यह समाज की नपुंसकता और संवेदनहीनता को दर्शाता है।

अचानक, एक हत्यारा सामने आता है, तेज़ी से रामदास पर चाकू से हमला करता है और भीड़ के सामने उसकी हत्या कर देता है। न रामदास को बचाव का मौका मिलता है, न ही कोई उसे रोकता है। खून की धार फूट पड़ती है और रामदास वहीं ढेर हो जाता है।

सबसे दुखद बात यह है कि हत्या के बाद हत्यारा बिना किसी भय के वहां से चला जाता है। कोई उसे पकड़ने या रोकने की कोशिश तक नहीं करता। भीड़ चुपचाप खड़ी रहती है, जैसे तमाशा देख रही हो। रामदास की लाश सड़क पर पड़ी रहती है और लोग उसकी मदद करने की बजाय उन लोगों को बुलाने लगते हैं, जिन्होंने पहले से कहा था कि उसकी हत्या निश्चित है।

यह कविता एक गंभीर सामाजिक संदेश देती है — कि जो लोग अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं, उन्हें अक्सर अकेले ही लड़ना पड़ता है। समाज केवल तमाशा देखता है, पर न तो मदद करता है और न ही अत्याचारियों का विरोध। कविता सच बोलने वालों की दुर्दशा, समाज की चुप्पी, और इंसानियत के गिरते स्तर की गहरी और पीड़ादायक तस्वीर प्रस्तुत करती है।

यह रचना न केवल रामदास की कहानी है, बल्कि हर उस व्यक्ति की कहानी है जो सच्चाई के लिए खड़ा होता है और अंत में व्यवस्था व समाज की बेरुखी का शिकार बनता है

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