जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा कीजिए ॥ कहानी कला के तत्वों के आधार पर जाँच अभी जारी है की समीक्षा कीजिए।
उत्तर –
ममता कालिया द्वारा लिखी गई ‘जाँच अभी जारी है’ एक यथार्थवादी कहानी है। इसमें एक महिला पात्र अपर्णा की संघर्षपूर्ण जीवनकथा दिखाई गई है। यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि समाज और दफ्तर में ईमानदार और स्वाभिमानी स्त्री को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कहानी कला के तत्वों के आधार पर इसकी समीक्षा इस प्रकार है—
(1) शीर्षक
किसी भी कहानी का शीर्षक उसकी आत्मा और संदेश का दर्पण होता है। ममता कालिया की इस कहानी का शीर्षक ‘जाँच अभी जारी है’ अत्यंत सार्थक, आकर्षक और प्रभावशाली है। इसे पढ़कर ही पाठक के मन में यह प्रश्न उठते हैं कि आखिर यह जाँच किसकी हो रही है, क्यों की जा रही है और इसका परिणाम क्या होगा। यही जिज्ञासा पाठक को पूरी कहानी पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह शीर्षक केवल अपर्णा के जीवन की जाँच नहीं दर्शाता, बल्कि समाज और व्यवस्था की मानसिकता की भी जाँच है, जहाँ नारी को निरंतर संघर्ष करना पड़ता है। इस प्रकार यह शीर्षक कहानी के भाव और उद्देश्य दोनों को उजागर करता है और पाठक के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।
(2) कथानक
इस कहानी का कथानक एक पढ़ी-लिखी और आत्मनिर्भर महिला अपर्णा के जीवन पर आधारित है। अपर्णा पहले कॉलेज में लेक्चरर थी, लेकिन बाद में उसने बैंक अधिकारी के रूप में नौकरी शुरू की। वह ईमानदार, मेहनती और स्पष्टवक्ता स्वभाव की महिला है। अपने कर्तव्य के प्रति सजग होने के कारण वह किसी भी गलत काम या अनैतिक माँग के सामने झुकती नहीं। जब अपर्णा अपने अधिकारी की अनुचित माँग का विरोध करती है, तो उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचा जाता है और उस पर झूठा आरोप लगाकर जाँच बैठा दी जाती है। महीनों तक उस पर धोखाधड़ी का इल्ज़ाम चलता रहता है, परंतु उसे न्याय नहीं मिलता। इस झूठी जाँच ने उसके करियर और व्यक्तिगत जीवन दोनों को प्रभावित कर दिया। यह कथानक समाज में स्त्रियों के संघर्ष और उनके सामने आने वाली वास्तविक समस्याओं को उजागर करता है।
(3) संवाद
कहानी के संवाद सरल, स्वाभाविक और प्रभावशाली हैं। ये न केवल कहानी को आगे बढ़ाते हैं बल्कि पात्रों के स्वभाव, सोच और परिस्थितियों को भी स्पष्ट करते हैं। संवादों के माध्यम से लेखक ने अपर्णा की ईमानदारी, साहस और सच्चाई के प्रति उसकी दृढ़ता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। उदाहरण के लिए—
“कमाल है दस साल में क्या एक बार उनकी नीयत खराब नहीं हुई। हम होते तो नोट लेकर भाग जाते। जब सिर पर जिम्मेदारी पड़ती है तो ईश्वर अपने आप शक्ति देता है।”
ऐसे संवाद पात्रों के अनुभवों और विचारों को जीवंत बना देते हैं। यह पाठक के मन में गहरी छाप छोड़ते हैं और कहानी को यथार्थ के अधिक करीब ले आते हैं। वास्तव में, संवाद ही इस कहानी की आत्मा हैं जो इसे जीवंत और संवेदनशील बनाते हैं।
(4) भाषा-शैली
इस कहानी की भाषा अत्यंत सहज, सरल और स्वाभाविक है। इसमें कठिन या अलंकारिक शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि रोज़मर्रा की बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल हुआ है, जिससे पाठक कहानी से आसानी से जुड़ पाते हैं। लेखिका ने पात्रों के संवाद और भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए ऐसी भाषा चुनी है जो सीधे दिल को छू जाती है। कहीं भी भाषा भारी-भरकम या बोझिल नहीं लगती। यही कारण है कि कहानी रोचक, प्रवाहमयी और भावपूर्ण बन जाती है। भाषा-शैली में यथार्थवाद झलकता है, जिससे यह कहानी केवल पढ़ने योग्य ही नहीं बल्कि सोचने और आत्ममंथन करने योग्य भी हो जाती है। वास्तव में, यही सहज भाषा इसे प्रभावशाली और मार्मिक बनाती है।
(5) पात्र एवं चरित्र-चित्रण
इस कहानी में कई पात्र आते हैं, परंतु मुख्य रूप से अपर्णा, मिस्टर खत्रा और मिस्टर सिन्हा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
अपर्णा – वह एक पढ़ी-लिखी, परिश्रमी, ईमानदार और स्वाभिमानी महिला है। वह अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाती है और अन्याय या गलत काम के आगे कभी नहीं झुकती। परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, अपर्णा साहसपूर्वक उनका सामना करती है। उसके व्यक्तित्व में संघर्षशील नारी का आदर्श रूप दिखाई देता है।
मिस्टर खत्रा और मिस्टर सिन्हा – ये दोनों अधिकारी अपर्णा के बिल्कुल विपरीत हैं। ये स्वार्थी, निकम्मे और भ्रष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। नशे में डूबे रहना, पद का गलत इस्तेमाल करना और महिला सहकर्मी को परेशान करना इनकी आदत है। इनका चरित्र समाज की उस सड़ी-गली मानसिकता को उजागर करता है, जहाँ सत्ता का उपयोग दूसरों को दबाने और शोषण करने में किया जाता है।
(6) उद्देश्य
ममता कालिया की कहानी ‘जाँच अभी जारी है’ केवल मनोरंजन के लिए नहीं लिखी गई है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य समाज की कठोर सच्चाइयों को सामने लाना है। इस कहानी में कामकाजी महिलाओं के संघर्ष और उनके सामने खड़ी होने वाली वास्तविक समस्याओं को उजागर किया गया है। पुरुष अधिकारी अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग करके महिला सहकर्मियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। यह कहानी उन गलत मानसिकताओं पर चोट करती है, जिनके कारण स्त्रियों को बराबरी का दर्जा नहीं मिल पाता।
लेखिका यह स्पष्ट संदेश देना चाहती हैं कि स्त्रियों को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। यदि कोई महिला अन्याय का विरोध करती है, तो उसे दबाना या परेशान करना अन्यायपूर्ण है। कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में सच्चा न्याय और लैंगिक समानता तभी संभव है जब स्त्रियों की आवाज को सम्मान दिया जाए।
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