नमक कहानी का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें॥ नमक कहानी में क्या संदेश छिपा हुआ है॥ नमक कहानी में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए॥
रज़िया सज्ज़ाद ज़हीर द्वारा लिखित ‘नमक’ एक अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील कहानी है, जो भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद आम लोगों की भावनाओं, रिश्तों और मानवीय मूल्यों को उजागर करती है। यह कहानी हमें बताती है कि भौगोलिक सीमाएँ इंसानों को बाँट सकती हैं, लेकिन दिलों को नहीं।
कहानी की मुख्य पात्र सफ़िया है, जो विभाजन के बाद अपने भाई से मिलने के लिए पाकिस्तान (लाहौर) जाती है। लाहौर पहुँचने से पहले ही वह अपने पड़ोस के एक सिख परिवार के कीर्तन में जाती है, जहाँ एक सिख बीबी को देखकर उसे अपनी माँ की याद आ जाती है, क्योंकि वह महिला उसकी माँ की तरह दिखती है। दोनों के बीच भावनात्मक रिश्ता बन जाता है। जब सफ़िया लाहौर जाने वाली होती है, तब वह सिख बीबी से पूछती है कि क्या वह वहाँ से उनके लिए कोई चीज़ लाना चाहेंगी, तो वह महिला भावुक होकर केवल “थोड़ा-सा लाहौरी नमक” माँगती है।
यह नमक एक साधारण वस्तु नहीं, बल्कि एक महिला की यादों, भावनाओं और वतन के प्रति जुड़ाव का प्रतीक बन जाता है। लाहौर पहुँचने पर सफ़िया को बहुत प्रेम, स्नेह और आदर मिलता है। पंद्रह दिन ऐसे बीत जाते हैं कि उसे पता ही नहीं चलता। जब वह लौटने लगती है तो सिख बीबी की सौगात के रूप में एक सेर लाहौरी नमक अपने साथ रख लेती है। उसका भाई, जो कि एक पुलिस अधिकारी है, उसे बताता है कि नमक ले जाना गैरकानूनी है और कस्टम अधिकारी जाँच करते हैं। सफ़िया यह सुनकर भावुक हो जाती है और कहती है कि यह नमक चोरी से नहीं बल्कि दिखाकर ले जाऊँगी, क्योंकि प्रेम और इंसानियत कानून से ऊपर हैं।
सफर के दौरान सफ़िया पहले तो फल की टोकरी में नमक छिपा देती है, लेकिन जब वह कस्टम अधिकारी के सामने पहुँचती है, तो अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर वह नमक की पुड़िया निकालकर सामने रख देती है और पूरी बात बता देती है। कस्टम अधिकारी ढाका (बांग्लादेश) का रहने वाला होता है और वह भी सफ़िया की भावनाओं को समझकर भावुक हो जाता है। वह कहता है, “मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।”
यही नहीं, अधिकारी कहता है कि जैसे डाभ कोलकाता में भी मिलता है लेकिन हमारे ढाका वाले डाभ की बात कुछ और है, वैसे ही हर जगह नमक है, लेकिन अपने वतन का नमक खास होता है। यह संवाद दर्शाता है कि हर व्यक्ति अपने जन्मस्थान और वतन से गहरा जुड़ाव रखता है, चाहे वह किसी भी देश में क्यों न हो।
जब गाड़ी भारत की ओर बढ़ती है, तो सफ़िया देखती है कि पाकिस्तानी पुलिस उतर गई और भारतीय पुलिस सवार हो गई। दोनों की शक्लें, पहनावा और भाषा एक जैसी हैं, लेकिन फिर भी उनके हाथों में बंदूकें हैं। यह दृश्य स्पष्ट करता है कि सिर्फ सीमाओं के नाम पर दिलों को अलग नहीं किया जा सकता, लेकिन राजनीति और सत्ता ने इंसानों को एक-दूसरे से अलग कर दिया है।
इस कहानी का मूल भाव यह है कि प्रेम, इंसानियत और रिश्तों की गर्माहट किसी भी सीमा या कानून से कहीं बड़ी होती है। सफ़िया के नमक ले जाने की जिद कोई नियम तोड़ने की ज़िद नहीं थी, बल्कि यह एक महिला की भावना को सम्मान देने का साहसिक निर्णय था। यह कहानी हमें मानवीयता, सहिष्णुता और दिलों की एकता का संदेश देती है। विभाजन चाहे जितना गहरा हो, दिलों के बीच बना पुल कभी नहीं टूटता। यही इस कहानी की आत्मा है।
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