कहानी कला के आधार पर नमक कहानी की समीक्षा कीजिए।। namak kahani ki samiksha kijiye

कहानी कला के आधार पर नमक कहानी की समीक्षा कीजिए।। कहानी कला के आधार पर ‘नमक’ कहानी की समीक्षा।। Namak Kahani Ki Samiksha Kijiye ।।  Namak Kahani Ki Samiksha

कहानी कला के आधार पर नमक कहानी की समीक्षा कीजिए।। कहानी कला के आधार पर 'नमक' कहानी की समीक्षा।। Namak Kahani Ki Samiksha Kijiye ।।  Namak Kahani Ki Samiksha

उत्तर – ‘नमक’ कहानी भारत–पाक विभाजन के बाद विस्थापित और पुनर्वासित व्यक्तियों के जीवन की भावनाओं का सजीव और मार्मिक चित्र प्रस्तुत करती है। लेखक ने कहानी कला के विभिन्न तत्वों के माध्यम से न केवल विभाजन की पीड़ा को उजागर किया है, बल्कि मानव हृदय में बसी वतन–प्रेम और सौहार्द की गहन संवेदना को भी स्वर दिया है। इसकी समीक्षा निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर की जा सकती है–

(1) शीर्षक

शीर्षक किसी भी कहानी का दर्पण होता है। ‘नमक’ जैसा साधारण शब्द पाठक के मन में अनेक प्रश्न उठाता है – यह नमक कैसा है? क्यों इतना महत्वपूर्ण है? क्या सफ़िया इसे सफलतापूर्वक ले जा पाएगी? पूरी कथा इसी ‘नमक’ के इर्द–गिर्द घूमती है, इसलिए यह शीर्षक संक्षिप्त, कौतूहलवर्धक, आकर्षक और सारगर्भित बन पड़ा है। निस्संदेह, यह शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त और प्रभावशाली है।

(2) कथानक

‘नमक’ कहानी का कथानक यद्यपि साधारण पृष्ठभूमि पर आधारित है, किन्तु इसमें आरंभ से लेकर अंत तक ऐसा कसाव है कि पाठक कहीं भी ऊब महसूस नहीं करता। पूरी कहानी क्रमबद्ध ढंग से आगे बढ़ती है और हर प्रसंग अगले प्रसंग से गहरे जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। भारत-पाक विभाजन के बाद लोग भले ही अपने जन्म-स्थान और वतन से विस्थापित होकर दूसरी जगहों पर रहने लगे, लेकिन उनके मन से अपने जन्मभूमि का मोह मिटा नहीं। यही भाव इस कहानी के कथानक का मूल आधार है।

कहानी में एक ओर भारत में रह रही सिख बीबी है, जो तमाम परिस्थितियों के बावजूद लाहौर को अपना वतन मानती है। दूसरी ओर पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी है, जो दिल्ली को अपना वतन कहता है। वहीं भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्ता ढाका को अपना जन्मस्थान और वतन स्वीकार करता है। यहाँ लेखक ने यह गहरी सच्चाई उजागर की है कि राजनीतिक परिस्थितियों और सीमाओं के पुनर्निर्धारण ने लोगों को तो बाँट दिया, परंतु उनके दिलों से अपनी जन्मभूमि का आकर्षण मिटा नहीं पाया।

सफ़िया, सिख बीबी की इच्छा को पूरा करने के लिए लाहौर से नमक ले जाने का निश्चय करती है। यह साधारण-सा कार्य कहानी के कथानक में गहरी प्रतीकात्मकता लिए हुए है। नमक ले जाने की प्रक्रिया में उसे अनेक कठिनाइयों और अवरोधों का सामना करना पड़ता है, परंतु अंततः जब वह नमक लेकर सफलतापूर्वक भारत लौटती है, तो उसके मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर किसका वतन कहाँ है? क्या कस्टम की सीमा के इस पार वतन है या उस पार? यह प्रश्न केवल सफ़िया का नहीं बल्कि विभाजन से बिखरे हर इंसान की व्यथा है। यही द्वंद्व कथानक को और भी मार्मिक व प्रभावी बनाता है।

(3) कथोपकथन

कहानी में संवाद अत्यंत स्वाभाविक, संक्षिप्त और प्रभावकारी हैं। छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग पाठक के मन में जिज्ञासा और कौतूहल बनाए रखता है। संवाद पात्रों की मानसिकता को गहराई से प्रकट करते हैं तथा कहानी को आगे बढ़ाने में सहायक हैं। इनमें अपनापन, मनोवैज्ञानिक गहराई और सहजता है, जो पाठक को कथा से बांधे रखते हैं। इन संक्षिप्त किंतु गहन वाक्यों से पाठक के मन में कौतूहल उत्पन्न होता है और वह यह जानने के लिए उत्सुक बना रहता है कि आगे क्या घटित होगा। पात्रों के संवाद केवल घटनाओं को आगे नहीं बढ़ाते, बल्कि उनके अंतर्मन की पीड़ा, उनकी भावनाओं और वतन के प्रति उनके लगाव को भी प्रकट करते हैं। यही कारण है कि कहानी में कथोपकथन केवल संवाद न रहकर भावनाओं और विचारों के जीवंत चित्र बन जाते हैं।

(4) भाषा-शैली

कहानी की भाषा सरल, सरस और बोलचाल की है। लेखक ने जटिलता से बचते हुए ऐसी शैली अपनाई है जिसे हर वर्ग का पाठक सहज ही आत्मसात कर सके। भाषा में प्रवाह, सजीवता और भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति है। यही कारण है कि कहानी पढ़ते हुए पाठक पात्रों और परिस्थितियों से आत्मीय जुड़ाव अनुभव करता है।

(5) पात्र एवं चरित्र-चित्रण

कहानी के पात्रों में सफ़िया केंद्रीय भूमिका में है। वह साहसी, दृढ़निश्चयी और स्पष्टवादी नारी है, जो सिख बीबी की इच्छा का सम्मान करते हुए नमक लाने का कठिन कार्य करती है। उसकी सच्चरित्रता और ईमानदारी सीमा पर भी झलकती है जब वह अधिकारी से नमक छिपाती नहीं। अन्य पात्र जैसे सिख बीबी और कस्टम अधिकारी भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में जीवंत प्रतीत होते हैं, जिससे कहानी और प्रभावी बन जाती है।

(6) उद्देश्य

कहानी का उद्देश्य अत्यंत गहन और मानवीय है। यह स्पष्ट करती है कि जन्मभूमि का प्रेम किसी सीमा या राजनीतिक निर्णय से सीमित नहीं किया जा सकता। भारत और पाकिस्तान के आम लोग विभाजन से परे आपसी सौहार्द और मोहब्बत की मिठास को संजोए हुए हैं। धर्म और राजनीति के नाम पर भले ही सीमाएँ खींच दी गई हों, लेकिन आम जनता के दिल आज भी प्रेम और भाईचारे से भरे हुए हैं।

कहानी का संदेश है कि राजनीतिक विभाजन अस्थायी हो सकता है, किंतु मानवीय रिश्तों की मिठास – यानी ‘नमक’ – अमर है।

निष्कर्ष

‘नमक’ कहानी अपनी सशक्त कथानक, जीवंत पात्रों, प्रभावी भाषा-शैली और संवेदनशील उद्देश्य के कारण विभाजन–साहित्य की श्रेष्ठ कृति मानी जा सकती है। इसमें लेखक ने यह सिद्ध कर दिया है कि सीमाएँ चाहे कितनी भी क्यों न हों, मनुष्य का हृदय और वतन–प्रेम किसी सीमा का बंधन नहीं मानता। यह कहानी हमें मानवता, आपसी भाईचारे और सत्यनिष्ठा का अमूल्य संदेश देती है।

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