आत्मत्राण कविता का संदेश ॥ आत्मत्राण कविता में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए ॥ Aatmtraan Kavita ka Sandesh
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि हमें यह संदेश देते हैं कि इंसान को जीवन में कैसी भी कठिन परिस्थितियाँ क्यों न आएँ, उसे कभी भी ईश्वर पर से अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए। अगर दुनिया के लोग उसे धोखा दें, उसका साथ छोड़ दें, तब भी उसका भरोसा भगवान पर अडिग रहना चाहिए।
कवि कहते हैं कि इंसान को भगवान से यह प्रार्थना नहीं करनी चाहिए कि वे उसके सारे दुख-दर्द दूर कर दें। बल्कि सही प्रार्थना यह है कि भगवान उसे इतनी ताकत और हिम्मत दें, जिससे वह खुद अपने दुखों और परेशानियों का सामना कर सके और उन्हें दूर कर पाए।
जब जीवन में मुसीबतें आएँ, तब इंसान को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए। भगवान से हमेशा यही प्रार्थना होनी चाहिए कि वे हमें आत्मबल (आत्मशक्ति) दें, ताकि हम कठिन हालात का सामना मजबूती से कर सकें।
कवि यह भी कहते हैं कि केवल दुख के समय ही नहीं, बल्कि सुख के क्षणों में भी भगवान को याद करना चाहिए। अगर जीवन में कभी लोग धोखा दें या साथ छोड़ दें, तो भी भगवान पर शक नहीं करना चाहिए, क्योंकि वही हमारे सच्चे साथी और सहारा हैं।
इस कविता का असली संदेश यह है कि इंसान को भगवान से सिर्फ शक्ति और साहस माँगना चाहिए, ताकि वह हर परिस्थिति में डटकर खड़ा रह सके और अपने जीवन को बेहतर बना सके।
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