आत्मत्राण कविता के माध्यम से कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं

आत्मत्राण कविता के माध्यम से कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं ॥ आत्मत्राण कविता में कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं ॥ 

आत्मत्राण कविता के माध्यम से कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं

उत्तर –
‘आत्मत्राण’ कविता के माध्यम से कवि ने ईश्वर से एक विशेष प्रार्थना की है। सामान्यतः लोग ईश्वर से यह चाहते हैं कि वे उनके जीवन से दुख, कठिनाई और विपत्तियाँ दूर कर दें। लेकिन इस कविता का भाव इससे अलग है। कवि ईश्वर से यह नहीं कहता कि वह उसके जीवन की सारी समस्याएँ मिटा दें। बल्कि कवि यह चाहता है कि जब भी जीवन में कोई कठिन परिस्थिति आए, तो उसे उन परिस्थितियों से जूझने और उनका डटकर सामना करने की शक्ति मिले।

कवि कहता है –
“हे प्रभु! आप सर्वशक्तिमान हैं, आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन मैं आपसे यह नहीं चाहता कि आप मेरे जीवन की राहें आसान कर दें। मैं चाहता हूँ कि आप मुझे इतना साहस और धैर्य प्रदान करें कि मैं अपने दुख और संकटों का सामना स्वयं कर सकूँ।”

कवि प्रार्थना करता है कि –

  • यदि उसके जीवन में विपत्तियाँ आएँ, तो ईश्वर उन्हें दूर न करें, बल्कि उसे उन विपत्तियों से न डरने की शक्ति दें।

  • यदि उसके हृदय पर पीड़ा और दुःख का बोझ बढ़े, तो ईश्वर उसके मन को तुरंत शांत न करें, बल्कि उसे दुःख सहने और सँभालने की क्षमता दें।

  • यदि उसके जीवन में हानि हो जाए, तो भी वह उसे अपनी क्षति न माने, बल्कि धैर्यपूर्वक स्वीकार कर सके।

अंत में कवि ईश्वर से यह भी प्रार्थना करता है कि –
“हे प्रभु! मुझे इतनी शक्ति अवश्य देना कि मैं अपने संघर्षों का सामना निर्भीक होकर कर सकूँ, और इतनी समझ-बूझ भी देना कि किसी भी परिस्थिति में मेरा विश्वास आप पर कभी डगमगाए नहीं। मैं हमेशा आपके प्रति अटूट आस्था और भरोसा बनाए रख सकूँ।”

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