चप्पल कहानी का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें। chappal kahani ka mool bhav ॥ chappal kahani ka mul bhav
‘चप्पल’ कहानी तेलुगू कथाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव की एक मार्मिक और चर्चित रचना है, जो मानवीय भावनाओं, श्रद्धा और त्याग की गहराई को दर्शाती है। कहानी में गुरू और शिष्य के आदर्श संबंधों का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया गया है, जो हमें प्राचीन भारत की उस परंपरा की याद दिलाता है जिसमें शिक्षा केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसमें स्नेह, विश्वास और समर्पण भी शामिल होते हैं।
कहानी का मुख्य पात्र रंगय्या एक गरीब चर्मकार है, जो जूतों और चप्पलों की मरम्मत में अत्यंत निपुण है। उसकी कुशलता से पुराने और घिसे-पिटे जूते और चप्पलें पुनर्जीवित हो जाती हैं। रंगय्या अपने एकमात्र पुत्र रमण के प्रति गहरा वात्सल्य रखता है। रमण गाँव के स्कूल में पहली कक्षा का छात्र है और अपने शिक्षक, मास्टर साहब, के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखता है।
मास्टर साहब उच्च जाति के हैं, जबकि रमण अछूत जाति से आता है। इसके बावजूद मास्टर साहब बिना किसी भेदभाव के रमण को पढ़ाते हैं, उसका भोजन और किताबों की व्यवस्था करते हैं और उसे अपने पुत्र की तरह स्नेह देते हैं। रंगय्या अपने पुत्र के गुरु के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास रखता है। वह मास्टर साहब द्वारा दी गई फटी-पुरानी चप्पलों की जोड़ी लेकर आता है और उन्हें बड़े ध्यान और लगन से ठीक करता है। उसका हृदय यही चाहता है कि वह गुरु साहब को स्वयं अपने हाथों से ये चप्पल पहनाए।
कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब रंगय्या के मोहल्ले में भीषण आग लग जाती है। रंगय्या अपने गुरु साहब की चप्पलों को जलने से बचाने के लिए आग में कूद पड़ता है। इस साहसिक प्रयास में उसकी अपनी जान चली जाती है, लेकिन चप्पलें सुरक्षित रहती हैं। इस घटना से रंगय्या का चरित्र त्याग, कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक बन जाता है।
कहानी में केवल त्याग और श्रद्धा ही नहीं दिखाई देती, बल्कि यह गुरू और शिष्य के रिश्ते, पिता के स्नेह और शिक्षा के महत्व को भी उजागर करती है। रमण का अपने गुरु के प्रति आदर और रंगय्या का अपने पुत्र के गुरु के प्रति सम्मान, पाठक को गहरे मानवीय संदेश से जोड़ता है।
कहानी की शुरुआत चप्पलों से होती है और अंत भी चप्पलों पर ही आता है, इसलिए इसका शीर्षक ‘चप्पल’ पूरी तरह सार्थक है। कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्रेम और श्रद्धा केवल शब्दों तक सीमित नहीं होती, बल्कि कर्म और त्याग में प्रकट होती है। रंगय्या जैसे लोग आज भी समाज में आदर्श हैं, जो अपने छोटे-छोटे कर्तव्यों में भी महानता और नैतिकता का परिचय देते हैं।
कुल मिलाकर ‘चप्पल’ केवल एक सामान्य घटना की कहानी नहीं है, बल्कि यह त्याग, श्रद्धा, मानवता और कृतज्ञता का प्रतीक है। कहानी सरल भाषा में प्रवाहमयी ढंग से लिखी गई है, पात्रों का चित्रण वास्तविक और प्रभावशाली है, और कथानक में संवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह कहानी पाठक को जीवन के उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
इसे भी पढ़ें:
- चप्पल कहानी का सारांश क्या है॥ चप्पल कहानी का सारांश class 10
- कहानी कला के आधार पर चप्पल कहानी की समीक्षा कीजिए।
- चप्पल कहानी के आधार पर मास्टर साहब का चरित्र चित्रण कीजिए
- रंगय्या का चरित्र चित्रण कीजिए॥ चप्पल कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए
- चप्पल कहानी के शीर्षक के औचित्य पर प्रकाश डालिए॥ चप्पल कहानी के शीर्षक की सार्थकता
- कहानी कला की दृष्टि से उसने कहा था की समीक्षा कीजिए।
- उसने कहा था के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
- नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश लिखिए॥ Nanha Sangeetkar Kahani Ka Saransh
- नन्हा संगीतकार शीर्षक कहानी की मार्मिकता पर प्रकाश डालिए
- नमक कहानी की मार्मिकता पर विचार कीजिए
- नमक कहानी का उद्देश्य क्या है
- धावक कहानी की समीक्षा ।। Dhavak Kahani Ki Samiksha Kijiye
- धावक कहानी के आधार पर भंबल दा का चरित्र चित्रण कीजिए।