चप्पल कहानी के आधार पर मास्टर साहब का चरित्र चित्रण कीजिए

चप्पल कहानी के आधार पर मास्टर साहब का चरित्र चित्रण कीजिए ॥ मास्टर साहब के चारित्रिक विशेषताओं को लिखो ॥ चप्पल कहानी के आधार पर मास्टर साहब का चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए

चप्पल कहानी के आधार पर मास्टर साहब का चरित्र चित्रण कीजिए ॥ मास्टर साहब के चारित्रिक विशेषताओं को लिखो ॥ चप्पल कहानी के आधार पर मास्टर साहब का चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए

उत्तर:- मास्टर साहब हमारे पाठ्य पुस्तक साहित्य संचयन के पाठ चप्पल कहानी के एक मुख्य पात्र है। इसके रचनाकार कावुटूरि वैंकट नारायण राव है अच्छे शिक्षक और एक सज्जन व्यक्ति के जितने गुण होते है वे सभी गुण मास्टर साहब में थे। उनकी बोली, आचार-व्यवहार और रूप-रंग सभी स्थान और समय के अनुरूप हैं। वे अनुशासनप्रिय, ज्ञानी और संवेदनशील हैं। बच्चों के प्रति उनका स्नेह और शिक्षा के प्रति उनकी लगन स्पष्ट रूप से दिखती है। कहानीकार ने मास्टर साहब के सरल, मगर प्रभावशाली व्यक्तित्व को इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि वे न केवल ज्ञान के प्रकाश स्तंभ हैं, बल्कि नैतिक मूल्यों के भी आदर्श हैं। उनके चरित्र से यह स्पष्ट होता है कि सच्चा गुरु न केवल पढ़ाता है, बल्कि जीवन की सीख भी देता है।

जिनके चरित्र की कुछ विशेषता निम्नलिखित है –

क) वेश-भूषा :-

चप्पल मुख्य रूप से तेलगु भाषा में लिखी गयी रचना है इसलिए मास्टर साहब की वेश-भूषा तेलगु के शिक्षको के जैसा ही था | गोरा गोरा शरीर,सिर पर छोटी-सी चोटी, मस्तक पर भस्म की रेखाएँ, चन्दन का तिलक, धोबी की धुली हुई धोती, कंधे पर खादी का दुशाला |

ख) ईमानदार व्यक्ति :

मास्टर साहब एक ईमानदार व्यक्ति थे। इसका पता हमें रंगय्या से ही चलता है जिस प्रकार वह मास्टर साहब पर विश्वास करके अपनी जीवन भर की जमा पूंजी उनके पास जमा रखता है इससे यही पता चलता है कि मास्टर साहब एक ईमानदार व्यक्ति थे।

ग) सज्जन व्यक्ति

साधारणतः देखने को मिलता है कि एक ऊंचे पद वाला व्यक्ति निचले वर्ग के लोगो को उतना महत्त्व नहीं देते हैं लेकिन मास्टर साहब इसके अपवाद थे वह रंगय्या जैसे मामूली चप्पल सीने वाले व्यक्ति को भी अपने पैर छूने से मना कर देते है उनके साथ अच्छा व्यवहार करते है इससे पता चलता है कि मास्टर साहब एक सज्जन व्यक्ति थे । जो रंगय्या के बच्चे रमण को भी अपने पास रख कर उसको पढ़ाते है।

घ) सफल शिक्षक

हमारे संस्कृति में गुरु को ईश्वर से श्रेष्ठ माना गया है उसी प्रकार के शिक्षक हमारे मास्टर साहब है जिनको देख कर ये बाते सत्य प्रतीत होती है कि किस प्रकार मास्टर साहब एक छोटे वर्ग के व्यक्ति रंगय्या के पुत्र रमण को अपने पास रख कर उसे पढ़ाते है शिक्षक का जो धर्म होता है बच्चो के भविष्य का निर्माण करना उस कार्य को वे पूरी लगन के साथ निभाते है ।

ड़) गरीब शिक्षक

मास्टर साहब एक गरीब शिक्षक है। जब मास्टर साहब अपने घिसे-पिटे चप्पलों को मरम्मत करने के लिए भेजता है तो रंगय्या उसे देखकर सोचता है कि यह चप्पल दादा-परदादा जमाने के लगते हैं यह इतना खराब हो चुका है कि इसे ठीक करना नामुमकिन है चमड़ा तो पूरी तरह से घिस गया है। मास्टर साहब के उन्ही चप्पलों को देखकर उनके गरीबी का पता लगा सकते हैं।

च ) उदार हृदय

‘चप्पल’ कहानी में मास्टर साहब का हृदय अत्यंत उदार और सहृदय दिखाई देता है। वे समाज में छोटे या साधारण व्यक्तियों के प्रति किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते। रंगय्या जैसे साधारण चर्मकार से मिलते समय भी वे विनम्र और स्नेही रहते हैं। उनकी उदारता इस बात से प्रकट होती है कि वे रंगय्या से पूछते हैं—”कौन? रंगय्या? कैसे हो? कब आये यहाँ?”—जैसे प्रत्येक प्रश्न में स्नेह और अपनत्व का रस भरा हो। कहानीकार ने मास्टर साहब की इस विशेषता को बड़ी निपुणता से प्रस्तुत किया है, जो उनके सच्चे शिक्षक और उदार हृदय होने का परिचायक है।

छ) बच्चों के प्रति प्रेम

‘चप्पल’ कहानी में मास्टर साहब में बच्चों के प्रति अपार प्रेम दिखाई देता है। वे विद्यालय के सभी बच्चों को अपने बच्चों से भी अधिक स्नेह से देखते हैं। रंगय्या के आने पर उन्होंने रमण को जिस प्रेमपूर्ण भाव से बुलाया—”वह देखो रमण! अरे रमण! इधर आ!”—उससे स्पष्ट होता है कि उनका बच्चों के प्रति लगाव और स्नेह स्वाभाविक और गहरा है। कहानीकार ने मास्टर साहब की इस विशेषता को बड़े ही सहज और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है, जिससे उनके प्रेमपूर्ण और संवेदनशील शिक्षक होने का चित्रण पाठक के मन में स्थायी रूप से बन जाता है।

ज) बाल मनोविज्ञान का ज्ञाता

‘चप्पल’ कहानी में मास्टर साहब बाल मनोविज्ञान के ज्ञाता के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। वे कक्षा के सभी बच्चों की मानसिकता और क्षमताओं को भलीभांति समझते हैं। कमजोर और होशियार बच्चों के अनुरूप ही उन्हें शिक्षा देने का प्रयास करते हैं। रमण के होशियार होने का उन्हें पूर्ण ज्ञान है, इसलिए वे रंगय्या से कहते हैं—”वह तो बहुत अच्छा पढ़ रहा है। लड़का बड़ा होशियार है।” इसके साथ ही मास्टर साहब रमण को उपयुक्त किताब भी दिखाते हैं, जो उसके स्तर और समझ के अनुरूप हो। यह उनके सच्चे शिक्षक और बच्चों के प्रति समझदार होने का परिचायक है।

झ) सम्मान के प्रति उदासीन

‘चप्पल’ कहानी में मास्टर साहब सम्मान के प्रति उदासीन शिक्षक के रूप में दिखाई देते हैं। वे किसी प्रकार के बाहरी सम्मान या प्रशंसा की अपेक्षा नहीं रखते, बल्कि अपने शिक्षण कर्तव्य को पूरी लगन और तन्मयता से निभाते हैं। जब रंगय्या उनके पाँव पकड़कर सम्मान प्रकट करता है, तो वे सहज और विनम्र भाव से कहते हैं—”तुम यह क्या कर रहे हो रंगय्या? कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा।” इससे स्पष्ट होता है कि मास्टर साहब बाहरी मान-प्रतिष्ठा से प्रभावित नहीं होते और सच्चे शिक्षक की भांति अपने कर्तव्य में लगे रहते हैं।

ञ) दायित्व बोध

‘चप्पल’ कहानी में मास्टर साहब में दायित्व बोध स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वे रमण की देखभाल और शिक्षा को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं। रमण के पिता रंगय्या को जब घर जाने के लिए कहते हैं, तो मास्टर साहब उसे समझाते हैं—”अच्छी बात है। अब तुम जाओ। रमण तुम्हारा बच्चा नहीं, मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ। तुम उसकी चिंता न करो। उसका सारा भार मुझपर छोड़ दो।” यह उनकी जिम्मेदारी और सच्चे शिक्षक के रूप में समर्पण को दर्शाता है। कहानीकार ने इस गुण को मास्टर साहब में बड़ी सफलता के साथ प्रस्तुत किया है।

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