उसने कहा था कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए ॥ उसने कहा था कहानी का उद्देश्य बताइए
चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ द्वारा रचित ‘उसने कहा था’ हिन्दी साहित्य की कालजयी कहानियों में से एक मानी जाती है। यह कहानी केवल एक मार्मिक प्रेम कथा ही नहीं, बल्कि प्रेम, कर्तव्य और त्याग के अद्वितीय समन्वय का सशक्त उदाहरण है। साहित्य का मूल उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं होता, बल्कि वह जीवन के गहरे सत्यों को उजागर करता है। इसी दृष्टि से इस कहानी का भी एक निश्चित और गम्भीर उद्देश्य है।
किसी भी रचना के पीछे लेखक की कोई न कोई प्रेरणा या लक्ष्य अवश्य निहित होता है। ‘उसने कहा था’ में लेखक ने यह संदेश दिया है कि सच्चा प्रेम कभी प्राप्ति की अपेक्षा नहीं रखता, बल्कि वह निःस्वार्थ त्याग और बलिदान की भावना से परिपूर्ण होता है। यह प्रेम चाहे व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा हो या राष्ट्र और समाज से—उसकी पवित्रता और महानता त्याग में ही निहित होती है।
कहानी का नायक लहना सिंह इस आदर्श प्रेम का प्रतीक बनकर सामने आता है। बचपन में ही वह एक युवती से प्रेम करता है, किंतु परिस्थितियोंवश वह प्रेम पूर्ण नहीं हो पाता। वर्षों बाद जब वही युवती सूबेदारनी बनकर उसके जीवन में आती है, तब भी लहना अपने प्रेम को हृदय में छुपाए रखता है। सूबेदारनी जब उससे अपने पति और पुत्र की रक्षा का वचन लेती है, तब लहना बिना किसी स्वार्थ या प्रतिदान की आशा के अपने प्राणों की आहुति दे देता है। यहाँ लेखक यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रेम केवल पाने का नाम नहीं, बल्कि खोकर भी प्रेम को सार्थक किया जा सकता है।
इस कहानी में एक और उद्देश्य प्रकट होता है, और वह है कर्तव्य-निष्ठा का संदेश। लहना सिंह केवल प्रेमी नहीं है, वह एक सच्चा सैनिक भी है। युद्धक्षेत्र में वह अपने सैनिक धर्म का निर्वाह पूरी निष्ठा से करता है। उसने व्यक्तिगत प्रेम को भी कर्तव्य के साथ जोड़कर देखा। अपने प्रेम की कसौटी पर खरा उतरने के लिए उसने जिस बलिदान की राह चुनी, वही उसे वीर और आदर्श बनाता है। इस प्रकार कहानीकार ने यह सन्देश दिया है कि सच्चा प्रेम और सच्चा कर्तव्य, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
गुलेरी जी का उद्देश्य केवल एक हृदयविदारक प्रेम कथा कहना नहीं था। वे यह भी दिखाना चाहते थे कि जब जीवन के द्वन्द्व—कर्तव्य और प्रेम—आमने-सामने आते हैं, तब त्याग ही वह पुल होता है जो दोनों को जोड़ता है। लहना सिंह का चरित्र इस बात का साक्षात उदाहरण है। वह प्रेम में असफल होते हुए भी अपने त्याग और बलिदान से अमर हो जाता है।
प्रसाद जी की पंक्तियाँ इस कहानी के उद्देश्य को और स्पष्ट करती हैं—
प्रेम कभी प्रतिदान की अपेक्षा नहीं रखता। जब वह प्रतिफल की चाह करने लगे तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
यही बात लहना सिंह के जीवन और मृत्यु दोनों में प्रत्यक्ष दिखाई देती है।
अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि ‘उसने कहा था’ का मूल उद्देश्य जीवन में प्रेम और कर्तव्य के आदर्श रूप को प्रस्तुत करना है। यह कहानी पाठकों को यह सिखाती है कि सच्चा प्रेम स्वार्थरहित होता है और सच्चा कर्तव्य त्याग की मांग करता है। प्रेम, त्याग और कर्तव्य का यह अद्भुत संगम ही इस कहानी की आत्मा है।
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