कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता का प्रश्न उत्तर Class 7 ॥ Koi Chirag Nahi Hai Magar Ujala Hai Question Answer Class 7

कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता का प्रश्न उत्तर Class 7 ॥ Koi Chirag Nahi Hai Magar Ujala Hai Question Answer Class 7

कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता का प्रश्न उत्तर Class 7 ॥ Koi Chirag Nahi Hai Magar Ujala Hai Question Answer Class 7

बशीर बद्र का जीवन परिचय

बशीर बद्र का जन्म 15 फरवरी 1935 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम सैयद मुहम्मद बशीर था। बचपन से ही उन्हें साहित्य और शायरी में गहरी रुचि थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कानपुर में प्राप्त की और उच्च शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ली। वहीं से उन्होंने बी.ए., एम.ए. और पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त कीं। शिक्षा पूरी करने के बाद वे उसी विश्वविद्यालय में उर्दू के व्याख्याता के रूप में कार्यरत रहे और बाद में मेरठ कॉलेज में उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष बने। शिक्षा और अध्यापन के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।

बशीर बद्र उर्दू के उन महान शायरों में से एक हैं, जिन्होंने उर्दू ग़ज़लों को आम जनता की भाषा में पिरोया। उन्होंने कठिन शब्दों के बजाय सरल, सहज और भावनात्मक शब्दों का प्रयोग किया, जिससे उनकी ग़ज़लें हर वर्ग के पाठकों तक आसानी से पहुँच सकीं। उनकी शायरी में प्रेम, विरह, जीवन के संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। उनकी रचनाएँ सीधे दिल को छूती हैं और भावनाओं को सजीव बना देती हैं। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में “आहटें,” “आमद,” “इमेज,” और “खुशबू रुक गई” विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनकी शायरी में जीवन का सच्चा दर्शन और अनुभव झलकता है — जैसे उनका मशहूर शेर है,
“कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।”

बशीर बद्र की रचनाओं का अनुवाद अंग्रेज़ी, फ्रेंच और कई अन्य भाषाओं में भी किया गया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति प्राप्त हुई। साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री (1999) से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और बिहार उर्दू अकादमी द्वारा भी कई बार सम्मानित किया गया।

उनके जीवन में एक दुखद मोड़ 1987 के मेरठ दंगों के दौरान आया, जब उनका घर जला दिया गया और उनकी अनेक अप्रकाशित रचनाएँ आग में नष्ट हो गईं। इस घटना के बाद उन्होंने मेरठ छोड़ दिया और भोपाल में स्थायी रूप से बस गए। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे डिमेंशिया (स्मृतिलोप) नामक बीमारी से ग्रस्त हो गए, जिससे उन्हें लोगों को पहचानने में कठिनाई होती थी।

बशीर बद्र ने अपनी सरल भाषा, गहन संवेदनाओं और मानवीय दृष्टिकोण से उर्दू शायरी को नई दिशा दी। उनकी ग़ज़लें आज भी लाखों लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं और उर्दू साहित्य में उनका नाम सदैव सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा।

कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता का व्याख्या ॥ कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता का भावार्थ 

1. कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है,
गजल की शाख पे इक फूल खिलनेवाला है।

शब्दार्थ –

  • चिराग – दीपक, दीया
  • उजाला – प्रकाश, रोशनी
  • ग़ज़ल – उर्दू कविता की एक विधा
  • शाख – डाल, टहनी
  • फूल – पुष्प
  • खिलनेवाला – खिलने वाला, प्रकट होने वाला

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

प्रसंग: इस गजल का प्रसंग यह है कि गजल समाज में भाईचारा, उदारता और सकारात्मकता फैलाकर अंधकार दूर करती है।

व्याख्या: प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र ने इस गजल में स्पष्ट किया है कि आज के आधुनिक जीवन और समाज में गजल ही वह माध्यम है जो धार्मिक रूढ़ियों और सांप्रदायिक संकीर्णताओं को दूर कर सकता है। गजल के जरिए भाईचारा और उदार विचार फैलते हैं, जिससे समाज में नई रोशनी आती है।

गजलकार कहते हैं कि जिस तरह फूल अपनी डाली पर खिलकर चारों ओर सुगंध फैलाता है, वैसे ही गजल में व्यक्त विचार भी लोगों के दिलों में खुशबू फैलाते हैं। गजल के विचार और शिक्षाएँ बिना दीपक के ही प्रकाश फैलाती हैं।

असल में, कविता और गजल मन के अंधकार को दूर कर ज्ञान और अच्छाई का प्रकाश फैलाती हैं। अच्छे विचारों की यही खुशबू समाज में उजाला और सकारात्मक बदलाव लाती है।

2. गजब की घूप है इक बेलिवास पत्थर पर,
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।

शब्दार्थ –

  • गजब – अद्भुत, आश्चर्यजनक
  • घूप – तेज़ धूप, सूर्य की किरणें
  • बेलिवास – नग्न
  • पत्थर – पत्थर, शिला
  • पहाड़ – ऊँचा पर्वत
  • बरसात – वर्षा, बारिश
  • दुशाला – ढाल या अवरोध, ऐसा स्थान जो किसी चीज़ को रोकता या सहारा देता है

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

प्रसंग: डॉ. बशीर बद्र ने प्रकृति के विविध और अद्भुत रूपों के माध्यम से यह सिखाया है कि मनुष्य को कठोर या कट्टर नहीं बनना चाहिए। समय और परिस्थितियों के अनुसार उदार और लचीला रहना ही उचित है।

व्याख्या: प्रस्तुत गजल में डॉ. बशीर बद्र ने बताया है कि प्रकृति के कामकाज कितने अद्भुत हैं। एक ही समय में कहीं धूप पड़ती है तो कहीं छाया। कहीं शहनाई की आवाज़ सुनाई देती है तो कहीं मातम का माहौल होता है।

पहाड़ पर कहीं तेज बारिश की चादर फैल जाती है, और उसी पहाड़ के किसी हिस्से में नग्न पत्थर पर कठोर धूप पड़ती है। यानी पहाड़ पर हर जगह धूप और बारिश का असर एक जैसा नहीं होता।

इस बात को देखकर व्यक्ति को यह सीख मिलती है कि उसे कट्टर या सख्त बनकर नहीं रहना चाहिए। हमेशा एक ही विचार पर अड़े रहना ठीक नहीं है। समय, परिस्थिति और दशा के अनुसार उदार होना चाहिए और अपने आप को बदलती परिस्थितियों के अनुसार ढालना चाहिए।

3. अजीब लहजा है दुश्मन की मुस्कराहट का,
कभी गिराया है मुझको कभी सँभाला है।

शब्दार्थ –

  • अजीब – विचित्र, असामान्य
  • लहजा – तरीके, शैली, स्वर
  • दुश्मन – शत्रु, विरोधी
  • मुस्कराहट – हँसी, स्मित
  • कभी – कभी-कभी, कभी एक समय
  • गिराया – नीचे गिराया, हानि पहुँचाई
  • सँभाला – सहारा दिया, बचाया, मदद की

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

प्रसंग: कवि ने शत्रु या किसी की मुस्कान के रहस्यमय और द्विविध भावों को दर्शाया है, जो कभी नुकसान और कभी कल्याण का संकेत देती है। मुस्कान हमेशा महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण होती है।

व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने शत्रु की मुस्कान के ढंग को बहुत विशेष बताया है। शत्रु की मुस्कराहट रहस्यमय होती है। कभी-कभी उसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना या असफलता की ओर ढकेलना होता है। वहीं कभी उसकी मुस्कराहट में मदद और कल्याणकारी भाव छिपा होता है, जो किसी को गिरने से रोकता है।

असल में, मुस्कराहट चाहे शत्रु की हो या प्रेमिका की, हमेशा रहस्यमय और महत्वपूर्ण होती है। उसमें दोनों प्रकार के भाव भरे रहते हैं। कभी मुस्कराहट चिढ़ाने के लिए होती है, तो कभी प्रेम और स्नेह से भरी होती है, जो हृदय को प्रसन्न और आनंदित कर देती है।

4. निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने,
फ़साद में जली मूरत पे हार डाला है।

शब्दार्थ –

  • निकाल के – बाहर आकर, लेकर
  • पास की मस्जिद – नज़दीकी मस्जिद, समीपस्थ पूजा स्थल
  • बच्चा – बालक, नन्हा व्यक्ति
  • फ़साद – विवाद, झगड़ा, अशांति
  • जली मूरत – आग में जला हुआ मूर्ति रूप, तोड़-फोड़ के कारण क्षतिग्रस्त मूर्ति
  • हार डाला है – माला या हार पहनाया है, यहाँ प्रतीकात्मक रूप से अपमान या विरोध दिखाने के लिए प्रयोग हुआ है

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

प्रसंग: इस पंक्ति में कवि ने दिखाया है कि धार्मिक उन्माद में हिंसा करना गलत है और दंगे केवल स्वार्थी और संकीर्ण सोच वाले लोगों द्वारा किए जाते हैं। सच्चे धर्म का उद्देश्य प्रेम, भाईचारा और सौहार्द फैलाना है, जैसे बच्चे और लोग वास्तविक जीवन में इसे निभाते हैं।

व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने स्पष्ट किया है कि किसी धर्म या संप्रदाय, मंदिर-मस्जिद को लेकर दंगा करना, उपद्रव मचाना और धार्मिक उन्माद में हिंसा करना बिल्कुल गलत और निंदनीय है। दंगे के समय उपद्रवी लोग मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को भूल जाते हैं।

कवि उदाहरण देते हैं कि एक निर्दोष बच्चा दंगे के समय मस्जिद में शरण लेता है। जब उपद्रव शांत हो जाता है, तो वह बाहर निकलकर देखता है कि उपद्रवियों ने एक मूर्ति जला दी है। बच्चा जाकर उस मूर्ति के गले में फूलों की माला डाल देता है। यह दिखाता है कि बच्चे के दिल में धार्मिक उन्माद नहीं होता, वह तो बिल्कुल निर्मल और पवित्र होता है।

इसलिए धर्म के केन्द्र को दंगे से जोड़ना गलत है। ऐसे दंगों में सच्चे धार्मिक और पवित्र दिल वाले लोग हिस्सा नहीं लेते। केवल स्वार्थी और संकीर्ण सोच वाले लोग ही धर्म के नाम पर उपद्रव करते हैं। मजहब नहीं सिखाते कि आपस में बैर करना।

वास्तव में, देखा गया है कि दंगे के समय कई मुसलमान अपने हिन्दू मित्रों को पनाह देते हैं और कई हिन्दू मुस्लिम भाइयों की रक्षा करते हैं। सांप्रदायिकता समाज के लिए कलंक है। इसलिए हिन्दू और मुस्लिम दोनों के बीच भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का संबंध होना चाहिए।

5. तमाम वादियों में सेहरा में आग रोशन है,
मुझे खिजाँ के इन्हीं मौसमों ने पाला है।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

प्रसंग: कवि ने इस पंक्ति में सिखाया है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हों, व्यक्ति को अडिग और साहसी रहना चाहिए। कठिनाईयाँ ही व्यक्ति का व्यक्तित्व मजबूत बनाती हैं और उसे मूल्यवान अनुभव देती हैं।

व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने स्पष्ट किया है कि चाहे वातावरण कैसा भी हो—अनुकूल हो या प्रतिकूल—इसे अपने अनुकूल बना लेना चाहिए। जब सब कुछ विपरीत हो और चारों ओर विध्वंस का माहौल हो, तब भी दृढ़ विचार वाला व्यक्ति स्थिर और अडिग रहता है।

कवि ने अपने व्यक्तिगत जीवन का उदाहरण देते हुए बताया है कि अत्यंत कठिन और भयावह परिस्थितियों में ही उसका पालन-पोषण हुआ। कठिन संघर्ष और बाधाओं से व्यक्ति का व्यक्तित्व मजबूत और निखरता है। जैसे सोना आग में जलकर कुन्दन बनता है, वैसे ही कठिनाईयों में व्यक्ति का मूल्य बढ़ता है।

कवि बताते हैं कि समस्त घाटियाँ, जंगल और पर्वत आग की ज्वालाओं से जल रहे थे। इसी विकट और कठिन वातावरण में कवि का पालन-पोषण हुआ, पर इसका असर उनके आत्मविश्वास और दृढ़ता पर नहीं पड़ा। कवि ने कभी बसंत के सुख की प्रतीक्षा के लिए खुद को परेशान नहीं किया और विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिर और साहसी बना रहा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

क) इस पाठ के कवि कौन हैं ?

(क) साबीर अली
(ख) बशीर बद्र
(ग) जाबीर बद्र
(घ) कैफी आजमी
उत्तर : (ख) बशीर बद्र

ख) प्रस्तुत कविता का छंद है –

(क) दोहा
(ख) चौपाई
(ग) गज़ल
(घ) रुबाई
उत्तर :
(ग) गज़ल

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

क) कवि ने दुश्मन के किस लहजे को अजीब कहा है और क्यों?

उत्तर :
कवि ने दुश्मन की मुस्कान के लहजे को अजीब कहा है क्योंकि कभी वह मुस्कान उसे गिरा देती है और कभी बचा लेती है। दुश्मन का यह बदलता तरीका कवि को समझ में नहीं आता और इसलिए उसे अजीब लगता है।

ख) गज़ल की शाख का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
इसका आशय है कि कवि की गज़ल की हर पंक्ति में फूल खिले हैं। यानी हर पंक्ति में अच्छे विचार और भावों की मिठास है।

ग) ‘फसाद में जली मूरत पे हार डाला है’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर :
कवि कहना चाहता है कि दंगों में निर्दोष लोग ही परेशान होते हैं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। मासूम बच्चे को भी नहीं पता कि ये सब क्यों हो रहा है। कवि ने दंगों की अमानवीयता पर ध्यान दिलाया है।

घ) बेलिवास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
बेलिवास का मतलब है बिना कपड़े या नग्न । यहाँ बेलिवास पत्थर का जिक्र है, जो बिल्कुल नग्न यानी बिना ढकावट के है। कवि यह कहना चाहता है कि दंगों के कारण समाज भी असुरक्षित और बेपर्द हो जाता है।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर

(क) इस कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए :

उत्तर :
इस काव्यांश में प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र ने गजल और कविता के महत्व को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि सत्य हमेशा स्थिर नहीं रहता, बल्कि समय, स्थान और परिस्थिति के अनुसार बदलता है। गजल के विचार दीपक की तरह बिना दिखाई दिए भी प्रकाश फैलाते हैं। ये विचार फूलों की खुशबू की तरह चारों ओर फैलते हैं। कविता मानव मन की संकीर्णता और अज्ञानता को दूर कर ज्ञान की रोशनी फैलाती है।

कवि ने प्रकृति के अद्भुत कार्यों का वर्णन किया है। पहाड़ के पत्थर पर कहीं कठोर धूप पड़ती है और कहीं वर्षा की चादर बिछ जाती है। इसलिए व्यक्ति को समय, दशा और परिस्थिति के अनुसार लचीलापन और उदारता अपनानी चाहिए।

कवि ने शत्रु की मुस्कान का भी उल्लेख किया है। उसकी मुस्कान कभी गिराने वाली होती है और कभी संभालने वाली। यह कभी चिढ़ाने के लिए होती है और कभी दिल को खुशियों से भर देती है।

कवि ने मंदिर-मस्जिद और धार्मिक उन्माद फैलाने वाले लोगों की निंदा की है। कुछ समाज विरोधी लोग ही हिंसा और दंगे करते हैं। दंगों के कारण निर्दोष बालक मस्जिद में पनाह लेता है और उपद्रव शांत होने पर जली हुई मूर्ति के गले में फूलों की माला रखता है।

अंत में, कवि ने बताया कि कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उसका जीवन चलता रहा। उसका जीवन वसंत में नहीं, बल्कि पतझड़ में बीता। कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए कवि ने अपने जीवन का निर्माण किया और यही सच्चा जीवन दर्शन है।

(ख) ‘कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है’ – कवि ऐसा क्यों कहता है? इसका प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
कवि कहना चाहता है कि बिना किसी दीपक के भी चारों ओर उजाला है। दीपक की जरूरत वहाँ होती है जहाँ अंधकार होता है, लेकिन जहाँ पहले से प्रकाश है, वहाँ दीपक की जरूरत नहीं। कवि अपनी कविता में यह बताना चाहता है कि अगर विचारों में उन्नति और मानवता हो, तो वहाँ स्वाभाविक रूप से रोशनी रहती है, यानी बिना किसी दीपक के भी उजाला होता है।

(ग) निम्नलिखित पंक्तियों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए –

1.
निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने
फसाद में जली मूरत पै हार डाला है।

उत्तर :

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

व्याख्या: इस अंश में कवि बशीर बद्र ने दंगों की भयंकरता दिखाने की कोशिश की है। दंगे अक्सर असामाजिक तत्वों द्वारा किए जाते हैं, लेकिन इसमें निर्दोष लोग ही प्रभावित होते हैं। दंगों के कारण लोग मस्जिद में पनाह लेने को मजबूर होते हैं। यहाँ कवि ने एक दृश्य प्रस्तुत किया है, जहाँ दंगे की आग में किसी का शरीर जल गया है। उस पर पास की मस्जिद से एक बच्चा आता है और जली हुई मूरत पर फूलों की माला डालकर उसे सम्मान देता है। यह दृश्य दंगों की अमानवीयता और मासूम बच्चों की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

2.
तमाम वादियों से सेहरा में आग रोशन है,
मुझे खिजाँ के इन्हीं मौसमों ने पाला है।
इस पंक्ति की भावार्थ सहित व्याख्या करें।

उत्तर :

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

व्याख्या: इस पंक्ति में कवि बता रहा है कि सभी घाटियों, मैदानों और बस्तियों में आग जल रही है। यह स्थिति बड़े लोगों और समाज पर भी असर डालती है। ऐसे कठिन और वीरान वातावरण में ही कवि का पालन-पोषण हुआ है। कवि कह रहा है कि उसका जीवन कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बीता है। इसका यह भी अर्थ है कि प्रतिभाशाली व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने जीवन को आगे बढ़ाने में सक्षम होता है।

3.
गजब की धूप है इक बेलिवास पत्थर पर
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।

उत्तर :

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है कविता से लिया गया है जिसके कवि प्रख्यात शायर डॉ. बशीर बद्र जी है।

व्याख्या: कवि यहाँ बता रहा है कि पत्थरों पर अद्भुत और तेज धूप पड़ रही है। पहाड़ पर बरसात की चादर बिछी हुई है। इसका मतलब यह है कि कहीं प्रकृति नग्न और उजागर है, तो कहीं आवरण या सुरक्षा ने उसे ढक रखा है। कवि इस दृश्य के माध्यम से समय, दशा और परिस्थितियों के अनुसार जीवन में बदलाव और विरोधाभास को दर्शा रहा है।

4. भाषा और बोध

क) पाठ में आए निम्नलिखित उर्दू के शब्दों का हिन्दी रूप लिखिए- 

रोशन , बादियों,  खिजा, फंसाद, शाख 

  • रोशन– प्रकाशमान
  • बादियों– घाटियों
  • खिजा– पतझड़
  • फसाद – उपद्रव
  • शाख-टहनी

ख) निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए –

  1. मस्जिद – बच्चे ने नमाज़ के लिए अपने पिता के साथ मस्जिद जाना पसंद किया।
  2. मुस्कराहट – उसकी मुस्कराहट देखकर सभी का मन खुश हो गया।
  3. दुशाला – पहाड़ों पर बरसात का दुशाला बिछा हुआ था, जिससे सब जगह हरियाली छा गई।
  4. चिराग – अंधेरी रात में चिराग जलाकर कमरे को रोशन किया गया।
  5. अजीब – आज स्कूल में एक अजीब घटना हुई, जिसे देखकर सभी हैरान रह गए।

ग) निम्न शब्दों का विलोम शब्द लिखिए – 

  1. धूप – छाँव
  2. बेलिवास – आवरण / परिधान
  3. दुश्मन – मित्र / दोस्त
  4. आग – पानी / बर्फ
  5. फसाद – शांति / समरसता

घ) बेलिवास शब्द में ‘बे’ और दुश्मन में ‘दुश्’ उपसर्ग जुड़ा है; ‘बे’ और दुश् उपसर्ग से तीन-तीन शब्द बनाइए।

‘बे’ उपसर्ग वाले शब्द:

  1. बेवफा
  2. बेईमान
  3. बेघर

‘दुश्’ उपसर्ग वाले शब्द:

  1. दुश्चरित्र
  2. दुश्प्रभाव
  3. दुस्साहस

इसे भी पढ़ें 

Leave a Comment