अपठित गद्यांश कक्षा 6 हिंदी mcq apathit gadyansh in hindi for class 6 with answers

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1.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

दशहरे और विजयादशमी के पश्चात् दीपावली की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। घरों, दुकानों और कार्यालयों की सफ़ाई कराकर उन्हें सजाते हैं। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इसे प्रकाश पर्व इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर घर, गली, मौहल्ले, बाजार को रोशनियों से नहला दिया जाता है। अमावस्या का अंधकार प्रकाश के समक्ष पराजित हो जाता है।

श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो उनके स्वागत में अयोध्या के घर-घर को दीपमालाओं से सजा दिया गया था। तबसे इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है।

दीपावली का त्योहार शरद ऋतु के सुहावने समय में मनाया जाता है। उस समय न अधिक गरमी पड़ती है और न अधिक ठंड ही पड़ती है। दीपावली के दिन घरों, कार्यालयों और दुकानों को दीपकों, रंग-बिरंग बल्बों और लड़ियों से सजाया जाता है। रात को सारा परिवार लक्ष्मी पूजन करता है।

राजधानी दिल्ली दुल्हन की भाँति सजी होती है। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, लाल किला आदि भवनों पर विशेष प्रकाश-व्यवस्था की जाती है। दीपावली पर लोग प्रसन्नता प्रकट करने के लिए पटाखे और आतिशबाजियाँ चलाते हैं। लोग मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे आपस में मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। दीपावली प्रसन्नताओं का त्योहार है। इसी भावना से सभी धर्मों को मानने वाले इसे हर्ष और उत्साह से मनाते हैं।

प्र.१. किसके पश्चात दीपावली की तैयारियां शुरू हो जाती है?

उत्तर: दशहरे और विजयादशमी के पश्चात् दीपावली की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं।

प्र.२. दीपावली कब मनाई जाती है?

उत्तर: दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है।

प्र.३. दीपावली को प्रकाश पर्व क्यों कहा जाता है?

उत्तर:  दीपावली को प्रकाश पर्व इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर घर, गली, मौहल्ले, बाज़ार को रोशनियों से नहला दिया जाता है। अमावस्या का अंधकार प्रकाश के समक्ष पराजित हो जाता है।

प्र.४. दीपावली मनाने की परंपरा कब से चली?

उत्तर: श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो उनके स्वागत में अयोध्या के घर-घर को दीपमालाओं से सजा दिया गया था। तबसे इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है।

प्र.५. दीपावली में लोग क्या-क्या करते हैं?

उत्तर: दीपावली में लोग अपने को घरों, कार्यालयों और दुकानों को दीपकों, रंग-बिरंग बल्बों और लड़ियों से सजाते हैं। रात को सारा परिवार लक्ष्मी पूजन करता है। दीपावली पर लोग प्रसन्नता प्रकट करने के लिए पटाखे और आतिशबाजियाँ चलाते हैं तथा लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे आपस में मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।

प्र.६.दीपावली किस ऋतु में मनाई जाती है?

उत्तर: दीपावली का त्योहार शरद ऋतु के सुहावने समय में मनाया जाता है।

 

2.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

पोंगल तमिलनाडु राज्य का फसल का त्यौहार है, जो १३ जनवरी को हर वर्ष मनाया जाता है। हालाँकि मूल त्यौहार १४ जनवरी से ही शुरू होता है, जिसे पेरम पोंगल कहा जाता है। यह चार दिन तक चलता है। पोंगल के शुरू होने के पहले ‘कोलम’ बनाए जाते हैं- ‘कोलम’ चावल के आटे से बनी साज-सज्जा होती है जो तमिल परिवारों के दरवाजे के बाहर फर्श पर बनाई जाती है। ‘कोलम’ के बीच में गोबर का ढेर होता है, जिसमें लौकी की पाँच पंखुड़ियाँ लगाई जाती हैं। इसे सृजन का प्रतीक माना जाता है। इसे सूर्य देवता को प्यार के रूप में अर्पित किया जाता है। लोग अच्छी फसल के लिए ईश्वर, पृथ्वी और अपने पशुओं को धन्यवाद देते हैं तथा अगले साल की अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। पोंगल त्यौहार का नाम वास्तव में एक मिठाई पर पड़ा है। इसे पोंगल उत्सव के दूसरे दिन बनाया जाता है। पोंगल उत्सव में गीत विशेष महत्व रखते हैं। लोग इकट्ठा होकर गीत गाते हैं।

प्र.१.पोंगल किस राज्य का त्यौहार है तथा कब मनाया जाता है?

उत्तर: पोंगल तमिलनाडु राज्य का त्यौहार है तथा हर वर्ष 13 जनवरी को मनाया जाता है।

प्र.2. पोंगल त्यौहार कितने दिन तक चलता है?

उत्तर: पोंगल त्यौहार चार दिन तक चलता है।

प्र.3. पोंगल शुरू होने से पहले क्या बनाया जाता है तथा क्या से बनता है?

उत्तर: पोंगल शुरू होने से पहले कोलम बनाया जाता है जो चावल के आटे से बनता है।

प्र.4. सृजन का प्रतीक किसे माना जाता है?

उत्तर: कोलम’ के बीच में गोबर का ढेर होता है, जिसमें लौकी की पाँच पंखुड़ियाँ लगाई जाती हैं। इसे सृजन का प्रतीक माना जाता है।

प्र.5. पोंगल त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: पोंगल त्यौहार फसल का त्यौहार है इस त्यौहार में लोग अच्छी फसल के लिए ईश्वर, पृथ्वी और अपने पशुओं को धन्यवाद देते हैं तथा अगले साल की अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। इसलिए पोंगल त्यौहार मनाया जाता है।

3.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

सुबह का समय था। कमल के पापा को ऑफिस जाने में देर हो रही थी। कभी वह टाई के लिए चिल्लाते तो कभी रूमाल के लिए। तैयार तो हो गए, पर अब उनका चश्मा नहीं मिल रहा था। उसके पापा का गुस्सा सातवें आसमान पर था। वह मम्मी को भी कोस रहे थे।
           नन्हे कमल से रहा नहीं गया। वह अपने पापा के पास गया और बोला, “पापा।” पापा तो पहले से ही गुस्से में थे। सो झटकते हुए कह दिया, “क्या है? क्यों परेशान कर रहे हो?”
                 कमल पापा की झिड़की सुन पहले तो सहम गया, फिर पापा को पुस्तक का एक पृष्ठ खोलकर दिखाते हुए बोला, “पापा, इसे पढ़ो। “
               “क्या है, दे।” पापा ने झटके से वह पुस्तक छीनी और पढ़ने लगे। पुस्तक में लिखा था, “क्रोध से बचो। यह इंसान को खूंखार जानवर बना देता है। अपना या किसी दूसरे का नुकसान भी कर सकता है।”
                    पापा ने जब यह पढ़ा तब वह शांत हो गए और बोले, “हो सकता है चश्मा ऑफिस में ही रह गया हो, लेकिन घर पर भी खोजना। ” ,
           पापा को शांत होते देख कमल खुश हो गया, क्योंकि उसने अपने पिता को जानवर बनने से रोक लिया था।

अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए:-

प्र.१. प्रस्तुत अंश का शीर्षक क्या होगा?

उत्तर: प्रस्तुत अंश का शीर्षक क्रोध से बचो होगा।

प्र.२. कमल के पापा कहां जाने के लिए तैयार हो रहे थे?

उत्तर: कमल के पापा ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे।

प्र.३. कमल के पापा को क्या नहीं मिल रहा था?

उत्तर: कमल के पापा को चश्मा नहीं मिल रहा था।

प्र.४. जब कमल ने अपने पापा से पूछने गया तो उनके पापा ने उनसे क्या कहा?

उत्तर: क्या कमाने अपने पापा से पूछने गया तो उनके पापा ने उनसे कहा क्या है?परेशान क्यों करते हो।

प्र.५. कमल ने अपने पापा को क्या पढ़ने के लिए दिया था और उसमें क्या लिखा था?

उत्तर: कमल ने अपने पापा को पुस्तक का एक पृष्ठ खोलकर पढ़ने के लिए दिया था जिसमें लिखा था-“क्रोध से बचो। यह इंसान को खूंखार जानवर बना देता है। अपना या किसी दूसरे का नुकसान भी कर सकता है।”

प्र.६. कमल के पापा ने जब उसे पढ़े तो क्या हो गये और क्या बोले?

उत्तर: कमल के पापा ने जब उसे पढ़े तो वह शांत हो गए और बोले “हो सकता है चश्मा ऑफिस में ही रह गया हो, लेकिन घर पर भी खोजना। “

प्र.७. कमल ने अपने पापा को क्या बनने से रोका और क्यों ?

उत्तर: कमल ने अपने पापा को जानवर बनने से रोका क्योंकि वे  गुस्से में थे गुस्सा इंसान को खूंखार जानवर बना देता है। जिसके कारण अपना या किसी दूसरे का नुकसान भी कर सकता है।

4.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

एक गांव में एक विद्वान ब्राह्मण रहता था। उसके एक ही पुत्र था। ब्राह्मण की इच्छा थी कि उसका पुत्र उससे भी बड़ा विद्वान बने। लोग उसे आचार्य कहें। यह सोचकर उसने अपने पुत्र को आचार्य की शिक्षा प्राप्त करने के लिए काशी भेज दिया। अपनी मेहनत और लगन के बल पर वह लड़का आचार्य बन गया।
जब वह गांव लौटा तो उसका बहुत मान-सम्मान हुआ। लोग ‘आचार्यजी’ कहकर उसका आदर करते, लेकिन इस मान-सम्मान और आदर से उसके मन में घमंड आ गया।
एक बार गांव में एक धार्मिक मेला लगा। उसमें कई बड़े-बड़े विद्वान पंडित और आचार्य सम्मिलित हुए और शास्त्रार्थ करने लगे।
उस घमंडी आचार्य की एक बुरी आदत थी कि वह हर समय स्वयं ही बोलने को तत्पर रहता। वह स्वयं को ही सबसे बड़ा आचार्य मान बैठा था। तभी एक ब्राह्मण ने पूछा, “असभ्यता क्या होती है?”
घमंडी आचार्य ने जवाब दिया, “बड़ों के प्रति आदर-सम्मान न रखना व उद्दंडता दिखाना ही असभ्यता कहलाती है।”
“क्या असभ्य व्यक्ति से बात करनी चाहिए?” उस पंडित ने दुबारा पूछा। “कदापि नहीं। उससे बात करने वाला भी असभ्य ही कहलाएगा।” घमंडी ने जवाब दिया।
“तो मैं आपसे बातचीत बंद करता हूं।” पंडित ने कहा।
“क्या मतलब?” घमंडी ने आश्चर्य से पूछा।
उस पंडित ने कहा, “यहां इतने बड़े-बड़े विद्वान बैठे हैं। स्वयं तुम्हारे पिता भी बहुत बड़े विद्वान हैं, लेकिन तुम तो घमंड के मद में ऐसे चूर हो कि किसी को कुछ समझते ही नहीं। ऐसे में हम तुम्हें असभ्य ही तो मानेंगे।” पंडित ने कहा। यह सुनकर ब्राह्मण-पुत्र का सिर शर्म से झुक गया।

अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए:-

प्र.१. ब्राह्मण के कितने पुत्र थे तथा उनकी क्या इच्छा थी?

उत्तर: ब्राह्मण के एक ही पुत्र थे तथा उनकी इच्छा थी कि उनका पुत्र उससे भी बड़ा विद्वान बने। लोग उसे आचार्य कहें।

प्र.२. ब्राह्मण ने अपने पुत्रों को कहां भेजा और क्यों?

उत्तर: ब्राह्मण ने अपने पुत्र को आचार्य की शिक्षा प्राप्त करने के लिए काशी भेजा क्योंकि वह चाहता था कि उनका पुत्र उससे भी बड़ा विद्वान बने।

प्र.३. जब ब्राह्मण का पुत्र गांव आया तो उसका क्या हुआ तथा उसके मन में क्या आ गया?

उत्तर: जब ब्राह्मण का पुत्र गांव आया तो उसका बहुत मान सम्मान हुआ लोगों ने आचार्य जी कहकर आदर करने लगे लेकिन इस मान सम्मान और आदर से उसके मन में घमंड आ गया।

प्र.४. गांव में क्या लगा था तथा उसमें क्या हो रहा था?

उत्तर: गांव में धार्मिक मेला लगा था उसमें कई बड़े-बड़े विद्वान पंडित और आचार्य सम्मिलित होकर शास्त्रार्थ कर रहे थे।

प्र.५. शास्त्रार्थ के दौरान एक ब्राह्मण ने घमंडी आचार्य से क्या पूछा?

उत्तर: शास्त्रार्थ के दौरान एक ब्राह्मण ने घमंडी आचार्य से पूछा कि असभ्यता क्या होती है?

प्र.६. असभ्यता क्या होती है? का जवाब ब्राह्मण पुत्र आचार्य जी ने क्या दिया?

उत्तर: ब्राह्मण पुत्र आचार्य जी इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि “बड़ों के प्रति आदर-सम्मान न रखना व उद्दंडता दिखाना ही असभ्यता कहलाती है।”

प्र.७. उस पंडित ने आचार्य जी से दूसरा प्रश्न क्या पूछा तथा उस पर उन्हें क्या उत्तर मिला?

उत्तर: उस पंडित ने आचार्य जी से दूसरा प्रश्न पूछा “क्या असभ्य व्यक्ति से बात करनी चाहिए?” इस पर उन्होंने जवाब दिया “कदापि नहीं। उससे बात करने वाला भी असभ्य ही कहलाएगा।”

प्र.८. ब्राह्मण-पुत्र का सिर शर्म से क्यों झुका?

उत्तर: जब उस पंडित ने कहा, “यहां इतने बड़े-बड़े विद्वान बैठे हैं। स्वयं तुम्हारे पिता भी बहुत बड़े विद्वान हैं, लेकिन तुम तो घमंड के मद में ऐसे चूर हो कि किसी को कुछ समझते ही नहीं। ऐसे में हम तुम्हें असभ्य ही तो मानेंगे।” यह सुनकर ब्राह्मण-पुत्र का सिर शर्म से झुक गया।

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