रामदास कविता की व्याख्या॥ Ramdas Kavita Ki Vyakhya॥रामदास कविता की व्याख्या क्लास 10॥ Ramdas Kavita Ka Bhavarth ॥ रामदास कविता का भावार्थ क्लास 10
पद्यांश :1
“चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अंत समय आ गया पास था
उसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगी।”
शब्दार्थ :
- पतली – संकीर्ण
घनी बदली – आसमान में काले घने बादल छा जाना।
प्रश्न 1.कविता और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर : इस कविता का नाम ‘रामदास’ है और इसके कवि हैं रघुवीर सहाय।
प्रश्न 2.रामदास कौन है ?
उत्तर : रामदास एक साधारण (आम) इंसान है, जो समाज में हो रहे अन्याय और अत्याचार का अकेले ही विरोध करता है।
प्रश्न 3.इस पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :इस पद्यांश में रामदास नाम के एक आम इंसान की स्थिति को भावनात्मक और मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। रामदास कोई बड़ा नेता या ताकतवर व्यक्ति नहीं, बल्कि वह एक ऐसा नागरिक है जो अन्याय, भ्रष्टाचार और समाज में फैले डर के खिलाफ साहसपूर्वक आवाज उठाता है। उसकी यह ईमानदारी और हिम्मत कुछ राजनीतिक गुंडों को पसंद नहीं आई। उन्होंने उसे खुलेआम जान से मारने की धमकी दे दी थी।
कवि कहता है कि रामदास को पहले ही चेतावनी मिल चुकी थी कि अगर वह सड़क पर दिखाई दिया, तो उसे मार दिया जाएगा। यही सोचकर वह बेहद उदास और डरा हुआ था। उस दिन मौसम भी अजीब था — दिन होने के बावजूद आसमान में बादल छाए हुए थे, जो माहौल को और भी ज्यादा गंभीर और डरावना बना रहे थे।
शहर की एक चौड़ी सड़क से जुड़ी पतली गली से वह बाहर निकला, लेकिन हर कदम बहुत डर और चिंता से भरा हुआ था। उसके मन में लगातार यह डर था कि शायद आज ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। फिर भी, शायद कोई जरूरी काम या हिम्मत की वजह से वह घर से बाहर निकला था, लेकिन उसका मन शंकाओं से घिरा हुआ था।
रामदास की यह स्थिति आज के समाज में उन सभी लोगों की प्रतीक बन जाती है, जो सच बोलते हैं, अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं, लेकिन जिनकी आवाज को डराकर या दबाकर खामोश करने की कोशिश की जाती है। यह पद्यांश समाज की नैतिक गिरावट, लोगों की चुप्पी और ईमानदार व्यक्ति की अकेलेपन भरी लड़ाई को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से दर्शाता है।
काव्यगत सौंदर्य (कविता की विशेषताएँ) :
- रामदास जैसा एक आम आदमी, जो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होता है, कैसे डर और खतरे में जीता है, यह कविता में दिखाया गया है।
- कविता की पंक्तियाँ राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के प्रति क्रोध और सवाल खड़े करती हैं।
- खतरे को जानते हुए भी अन्याय के विरुद्ध बोलना, एक आम व्यक्ति की साहसिकता और संघर्ष को दर्शाता है।
- कवि ने सौंदर्य या कल्पना के बजाय, जीवन की कठोर सच्चाई को उजागर किया है।
- कविता की भाषा सीधी-सादी (सपाट) है, लेकिन इसमें गहरा अर्थ और भाव छुपा है।
पद्यांश : 2
“धीरे-धीरे चला अकेले
सोचा साथ किसी को ले ले
फिर रह गया, सड़क पर सब थे
सभी मौन थे, सभी निहत्थे
सभी जानते थे यह, उस दिन उसकी हत्या होगी।”
शब्दार्थ :
- मौन – चुप , शब्दहीन।
निहत्थे – जिनके पास कोई हथियार न हो, जो खाली हाथ हों।
प्रश्न 1. यह अंश किस कविता से लिया गया है?
उत्तर : यह अंश ‘रामदास’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता हैं रघुवीर सहाय।
प्रश्न 2. प्रस्तुत पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : रामदास को मन में लगातार यह डर सता रहा था कि उसकी हत्या हो सकती है। इसी डर और चिंता में वह सड़क पर बहुत धीरे-धीरे और संभलकर चल रहा था। हर कदम सोच-समझकर रख रहा था, जैसे कि कोई भी अचानक हमला हो सकता है। उसके चेहरे पर भय साफ़ झलक रहा था।
चलते-चलते एक बार उसके मन में यह विचार आया कि क्यों न अपनी सुरक्षा के लिए किसी को साथ ले लिया जाए। कोई ऐसा जो उसके साथ चल सके और मुसीबत आने पर उसकी मदद कर सके। लेकिन तुरंत ही उसने यह सोचकर उस विचार को छोड़ दिया कि जो आदमी निहत्था है, वह ऐसी खतरनाक स्थिति में उसकी क्या मदद कर पाएगा?
आखिरकार, एक खाली हाथ वाला व्यक्ति एक सशस्त्र हमलावर के सामने क्या कर सकता है?
सड़क पर जो लोग रामदास को इस हाल में देख रहे थे, वे भी चुप थे। कोई कुछ बोल नहीं रहा था, लेकिन सबके मन में एक ही बात थी — कि आज कुछ अनहोनी हो सकती है। सभी को यह आभास हो चुका था कि रामदास को जो धमकी मिली थी, वह शायद आज सच हो जाए। इसलिए वे बस चुपचाप उसे देख रहे थे, जैसे किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा कर रहे हों।
यह पूरी स्थिति बहुत भयावह थी — एक आदमी को सबके सामने मौत का डर सता रहा था, और चारों ओर सन्नाटा पसरा था, पर कोई उसके साथ खड़ा नहीं था।
काव्यगत सौंदर्य (कविता की विशेषताएँ) :
- यह कविता दिखाती है कि जब एक साधारण व्यक्ति अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है, तो उसका अंजाम क्या होता है।
- कविता की पंक्तियाँ हमें राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की निष्ठुरता पर सोचने को मजबूर करती हैं।
- यह कविता बताती है कि आम आदमी डर और चुप्पी में जी रहा है, लेकिन फिर भी कुछ लोग हिम्मत से आगे आते हैं।
- कवि ने कला या अलंकरण से ज्यादा, सामाजिक सच्चाई और कड़वी हकीकत को दिखाने पर ज़ोर दिया है।
- कविता की सरल भाषा के बावजूद, इसमें गहरे और प्रभावशाली अर्थ छिपे हुए हैं।
पद्यांश : 3
“खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर
दोनों हाथ पेट पर रख कर
सधे कदम रख कर के आए
लोग सिमट कर आँख गड़ाए
लगे देखने उसको जिसकी तय थी हत्या होगी।”
शब्दार्थ :
सधे – सावधानीपूर्वक।
प्रश्न 1. पद्यांश के कवि का नाम लिखिए।
उत्तर : इस पद्यांश के कवि का नाम रघुवीर सहाय है।
प्रश्न 2. लोग किस पर आँखें गड़ाए हुए थे?
उत्तर : लोग रामदास पर आँखें गड़ाए हुए थे।
प्रश्न 3. पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : इस पद्यांश में रामदास की मानसिक स्थिति को बताया गया है।
रामदास बहुत डरा हुआ था क्योंकि उसे यह डर था कि आज उसकी हत्या हो सकती है। वह अकेला बीच सड़क पर खड़ा था और चारों ओर का माहौल बहुत डरावना लग रहा था। उसने अपने दोनों हाथ पेट पर ऐसे रखे थे जैसे वह खुद को किसी हमले से बचाना चाहता हो। वह बहुत धीरे-धीरे और सावधानी से एक-एक कदम आगे बढ़ा रहा था, जैसे हर पल उसे यह डर सता रहा हो कि कोई उस पर हमला कर सकता है।
सड़क पर आने-जाने वाले लोग भी यह सब देख रहे थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। सभी लोग चुपचाप उसकी ओर टकटकी लगाए देख रहे थे। उनके चेहरों पर भी चिंता और आशंका झलक रही थी। सबको लग रहा था कि कुछ अनहोनी होने वाली है। दरअसल, यह बात पहले से ही फैल चुकी थी कि रामदास को किसी ने जान से मारने की धमकी दी है। और लोगों को पूरा विश्वास था कि जिसने धमकी दी है, वह आज अपनी बात पूरी करेगा और रामदास की हत्या कर देगा। इसलिए लोग डरे हुए थे, लेकिन साथ ही यह जानने की उत्सुकता भी थी कि अब आगे क्या होगा।
रामदास का डर, लोगों की चुप्पी और माहौल की गंभीरता – यह सब मिलकर एक बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति बना रहे थे।
काव्यगत सौंदर्य (कविता की विशेषताएँ) :
जो व्यक्ति अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाता है, समाज में उसका यही दुखद अंत होता है।
कविता की पंक्तियाँ राजनीतिक व्यवस्था की असंवेदनशीलता और निर्दयता को सामने लाती हैं।
परिणाम का डर होते हुए भी, गलत के खिलाफ बोलना आम आदमी की हिम्मत और संघर्ष को दिखाता है।
कवि ने कल्पना या अलंकारों से हटकर, सामाजिक और राजनीतिक सच्चाई को दिखाने का प्रयास किया है।
कविता की भाषा सरल और सपाट है, लेकिन इसका भाव बहुत गहरा और प्रभावशाली है।
पद्यांश : 4
“निकल गली से तब हत्यारा
आया उसने नाम पुकारा
हाथ तौल कर चाकू मारा
छूटा लोहू का फव्वारा
कहा नहीं था, उसने आखिर उसकी हत्या होगी।”
प्रश्न 1. प्रस्तुत पद्यांश किस कविता से लिया गया है?
उत्तर : यह पद्यांश ‘रामदास’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता रघुवीर सहाय हैं।
प्रश्न 2. पद्यांश का आशय (भावार्थ) स्पष्ट करें।
उत्तर : रामदास अभी भी सड़क पर डरा-सहमा और आशंका से भरा खड़ा था। तभी अचानक किसी ने तेज़ आवाज़ में उसका नाम पुकारा। रामदास उस आवाज़ की ओर देखने भी न पाया था कि उसी पल एक व्यक्ति ने आकर अपने सधे और अनुभव से तेज हाथों से उसके ऊपर चाकू से हमला कर दिया।
हमला इतना अचानक और तेज़ था कि रामदास को संभलने का कोई मौका ही नहीं मिला।
जैसे ही चाकू उसके शरीर में लगा, वैसे ही उसके शरीर से खून की धार बह निकली — मानो खून का फव्वारा फूट पड़ा हो। वहाँ खड़े लोगों की जो आशंका अब तक केवल डर और अनुमान भर थी, वह अब सच्चाई में बदल चुकी थी। वे जो सोच रहे थे, वही हुआ। हत्यारे ने अपनी धमकी को सच कर दिखाया। उसने अपने इरादे पर अमल करते हुए रामदास की हत्या कर दी। देखते ही देखते रामदास ज़मीन पर गिर पड़ा और उसकी जान चली गई।
पूरा माहौल सन्नाटे में डूब गया, लोग स्तब्ध रह गए। जो होना नहीं चाहिए था, वही हो गया।
काव्यगत सौंदर्य (कविता की विशेषताएँ) :
यह कविता दिखाती है कि सच्चाई और अन्याय के खिलाफ बोलने वाला एक आम इंसान कैसे शिकार बनता है।
कविता की पंक्तियाँ पाठकों में सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के प्रति गुस्सा और असंतोष पैदा करती हैं।
जानते हुए भी कि परिणाम गंभीर हो सकते हैं, फिर भी अन्याय के विरुद्ध बोलना आम इंसान की हिम्मत और संघर्ष को दर्शाता है।
कवि ने सौंदर्य या कल्पना से ज्यादा, वास्तविकता और समाज की सच्चाई को अपने शब्दों में उतारा है।
सीधी-सादी भाषा होने के बावजूद कविता में गहराई, प्रभाव और गंभीरता है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है।
पद्यांश : 5
“भीड़ ठेल कर लौट गया वह
मरा पड़ा है रामदास यह
देखो-देखो बार-बार कह
लोग निडर उस जगह खड़े
लगे बुलाने उन्हें, जिन्हें संशय था हत्या होगी।”
प्रश्न 1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर : इस कविता का नाम ‘रामदास’ है और इसके कवि हैं रघुवीर सहाय।
प्रश्न 2. भीड़ को ठेल कर कौन लौट गया?
उत्तर : रामदास का हत्यारा भीड़ को ठेलते हुए वहाँ से चला गया।
प्रश्न 3. प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर : रामदास को चाकू मारने के बाद हत्यारा बिना किसी डर या घबराहट के वहां से चला गया। उसके चेहरे पर न तो कोई पछतावा था और न ही किसी सज़ा का डर। वह भीड़ की मौजूदगी की बिल्कुल भी परवाह नहीं कर रहा था, जैसे उसे पहले से पता हो कि कोई उसे रोकने वाला नहीं है।
इतनी बड़ी भीड़ के बीच किसी ने भी उसे पकड़ने या रोकने की कोशिश नहीं की। सभी लोग बस चुपचाप खड़े होकर यह भयावह दृश्य देख रहे थे। किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़कर हत्यारे को रोक सके या रामदास की मदद कर सके।
अब रामदास का शरीर सड़क पर निर्जीव पड़ा हुआ था। उसके शरीर से खून बह रहा था, लेकिन कोई भी उसके पास जाकर उसे उठाने या सहायता करने को तैयार नहीं था। लोगों में संवेदना की जगह अब सिर्फ तमाशबीन जैसी प्रवृत्ति रह गई थी।
लोग रामदास की चिंता करने की बजाय उन लोगों को बुलाने लगे जो पहले से यह कह रहे थे कि रामदास की हत्या निश्चित है। मानो वे यह साबित करना चाहते हों कि उनकी आशंका सही निकली।
यह दृश्य समाज की उस पीड़ा को दर्शाता है जहाँ किसी की हत्या होने के बाद भी लोग केवल देखना जानते हैं, कुछ करना नहीं।
काव्यगत सौंदर्य (कविता की विशेषताएँ) :
जो इंसान अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसका अंत भी कभी-कभी इतना ही दर्दनाक होता है, जैसे रामदास का हुआ।
कविता की पंक्तियाँ पाठकों में राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के प्रति क्रोध और सवाल खड़े करती हैं।
डर, चुप्पी और भीड़ का तमाशबीन बन जाना, आम आदमी की लाचारी और भय को दर्शाता है।
कवि ने इस कविता में कल्पना नहीं, बल्कि सामाजिक सच्चाई और कटु यथार्थ को बड़ी सादगी से सामने रखा है।
कविता की सरल भाषा में गंभीर अर्थ छिपे हैं, जो पाठकों के मन को झकझोरते हैं।
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