शाम को अपर्णा मिस्टर सिन्हा के जाल में कैसे फँस गयी? स्पष्ट करते हुए मिस्टर सिन्हा का चरित्र-चित्रण कीजिए।

शाम को अपर्णा मिस्टर सिन्हा के जाल में कैसे फँस गयी? स्पष्ट करते हुए मिस्टर सिन्हा का चरित्र-चित्रण कीजिए।

शाम को अपर्णा मिस्टर सिन्हा के जाल में कैसे फँस गयी? स्पष्ट करते हुए मिस्टर सिन्हा का चरित्र-चित्रण कीजिए।

ममता कालिया द्वारा लिखित “जाँच अभी जारी है” एक यथार्थवादी और समस्या-प्रधान कहानी है। इसमें लेखिका ने समाज में कामकाजी स्त्रियों की स्थिति, उनकी अस्मिता को बचाने के संघर्ष और पुरुष प्रधान मानसिकता के दुष्परिणाम को बहुत ही सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है। अपर्णा इस कहानी की प्रमुख पात्र है, जो स्वाभिमानी, साहसी और ईमानदार महिला है।

अपर्णा जिस बैंक में कार्यरत थी, वहाँ मिस्टर सिन्हा उसके अधिकारी थे। वे स्वभाव से चालाक, स्वार्थी और अवसरवादी व्यक्ति थे। वे अपर्णा की सुंदरता और सरलता से प्रभावित होकर उस पर डोरे डालने की कोशिश करते रहते थे। अपर्णा शुरू से ही उनकी मंशा को समझ जाती थी और उनके झाँसे में नहीं आती थी।

एक दिन मिस्टर सिन्हा ने अपर्णा से सहजता से पूछा – “आज शाम आप क्या कर रही हैं?” अपर्णा ने अपनी माँ की बीमारी का बहाना बनाकर इस आमंत्रण से बचना चाहा। लेकिन मिस्टर सिन्हा ने बड़े चतुराई से कहा कि उन्होंने ऑफिस के बाद अपने कुछ मित्रों को बुलाया है और यह कि आज उनके बेटे का जन्मदिन है। उन्होंने अपर्णा से मात्र बीस मिनट रुकने की प्रार्थना की। जब अपर्णा ने यह पूछा कि जन्मदिन घर पर क्यों नहीं मनाया जा रहा, तो सिन्हा ने झूठ बोलते हुए कहा कि उसका बेटा अपनी माँ के साथ बनारस गया हुआ है, इसलिए वे अकेलापन महसूस कर रहे हैं और इसीलिए उन्होंने कुछ लोगों को ऑफिस में बुला लिया। इस प्रकार अपने मधुर और बनावटी व्यवहार से वे अपर्णा को मना लेते हैं और अपर्णा उनके “जन्मदिन की पार्टी” में शामिल होने के लिए तैयार हो जाती है।

लेकिन जैसे ही अपर्णा को बुलाया जाता है, वह चौकन्नी हो जाती है। मेज पर रखी व्हिस्की की बोतल और गिलास देखकर वह समझ जाती है कि यहाँ उसका रुकना ठीक नहीं है। वह तुरंत निर्णय लेती है और मिस्टर सिन्हा की इच्छा के विपरीत पार्टी छोड़कर घर चली जाती है। इस घटना को मिस्टर सिन्हा अपनी अपमान की भावना से जोड़ लेते हैं। उनके मन में अपर्णा के खिलाफ द्वेष और प्रतिशोध की गाँठ पड़ जाती है। वे सोचते हैं कि किसी न किसी तरह उसे नीचा दिखाना है।

बाद में अवसर मिलते ही मिस्टर सिन्हा अपनी साजिश रचते हैं। हुआ यूँ कि अपर्णा ने बैंक से एडवांस लेकर जगन्नाथ पुरी जाने का कार्यक्रम बनाया था। लेकिन अचानक उसके पिता की तबियत बिगड़ने के कारण यात्रा स्थगित करनी पड़ी। छुट्टी पूरी होने पर जब वह कार्यालय लौटी तो मिस्टर सिन्हा ने षड्यंत्रपूर्वक उस पर धोखाधड़ी का झूठा आरोप लगा दिया। नतीजा यह हुआ कि अपर्णा को नौकरी से निलंबित कर दिया गया और उसके ऊपर जाँच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। यह जाँच भी इतनी लंबी खिंचाई गई कि वह द्रौपदी की चीर की तरह अंतहीन बन गई।

मिस्टर सिन्हा का चरित्र-चित्रण Mr. Sinha ka Charitra-Chitran

ममता कालिया की कहानी “जाँच अभी जारी है” में मिस्टर सिन्हा का चरित्र नकारात्मक प्रवृत्ति का प्रतीक है। वह एक उच्च पदाधिकारी होते हुए भी अपनी शक्ति और अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं। उनके व्यक्तित्व में अनेक कमियाँ और बुराइयाँ दिखाई देती हैं, जो उनके चरित्र को स्वार्थी, भ्रष्ट और प्रतिशोधी सिद्ध करती हैं।

1. चालबाज और धूर्त स्वभाव

मिस्टर सिन्हा अपने स्वार्थ को साधने के लिए अपर्णा को फँसाने की कोशिश करते हैं। वह पहले सामान्य बातचीत करते हैं और फिर मीठी-मीठी बातें बनाकर अपर्णा को अपने जाल में लाने का प्रयास करते हैं। वह झूठ बोलकर कहते हैं कि उनके बेटे का जन्मदिन है और इसलिए उन्होंने ऑफिस में छोटी-सी पार्टी रखी है। इस प्रकार वे एक साजिशी और कपटी व्यक्ति के रूप में सामने आते हैं।

2. नारी के प्रति कुत्सित दृष्टिकोण

मिस्टर सिन्हा का व्यवहार यह दर्शाता है कि वे स्त्रियों को एक स्वतंत्र और सम्माननीय व्यक्तित्व मानने के बजाय अपनी इच्छाओं की पूर्ति का साधन समझते हैं। अपर्णा जैसी ईमानदार और आत्मसम्मानी महिला को वे अपने प्रभाव और पद के बल पर फँसाना चाहते हैं।

3. शराबी और असंयमी प्रवृत्ति

उनकी तथाकथित पार्टी में शराब की बोतलें और गिलास रखे होते हैं। यह बात स्पष्ट करती है कि वे अनुशासनहीन और असंयमी जीवन जीने वाले व्यक्ति हैं। एक जिम्मेदार अधिकारी का यह आचरण उनके व्यक्तित्व की गिरी हुई सोच को उजागर करता है।

4. अपमान सहन न कर पाने वाला व्यक्ति

जब अपर्णा उनकी पार्टी से यह कहकर निकल जाती है कि वहाँ रुकना उचित नहीं है, तो मिस्टर सिन्हा इसे अपनी निजी हार और अपमान मान लेते हैं। उनके भीतर स्त्रियों के प्रति सम्मान का भाव नहीं है, बल्कि केवल अहं और स्वार्थ है। यही कारण है कि वे अपर्णा के खिलाफ प्रतिशोध की भावना पाल लेते हैं।

5. षड्यंत्रकारी और प्रतिशोधी

मिस्टर सिन्हा अपर्णा को नीचा दिखाने का अवसर खोजते रहते हैं। जैसे ही मौका मिलता है, वे उस पर झूठा आरोप लगाते हैं कि उसने बैंक से एडवांस लेकर धोखाधड़ी की है। वे जानते हैं कि यह सच नहीं है, फिर भी वे उसे निलंबित करवा देते हैं और जाँच को लंबे समय तक खींचते रहते हैं। यह उनकी प्रतिशोधी और षड्यंत्रकारी मानसिकता का प्रमाण है।

6. भ्रष्ट और अन्यायी अधिकारी

एक अधिकारी का कर्तव्य होता है कि वह अपने कर्मचारियों के साथ न्यायपूर्ण और ईमानदार व्यवहार करे। लेकिन मिस्टर सिन्हा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। वे न तो न्यायप्रिय हैं और न ही संवेदनशील। उनके निर्णय व्यक्तिगत द्वेष से प्रभावित होते हैं, न कि सत्य और न्याय से।

7. पुरुष प्रधान मानसिकता का प्रतीक

मिस्टर सिन्हा उस समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं जहाँ पुरुष अपने पद, प्रभाव और अधिकार के बल पर स्त्रियों को दबाने का प्रयास करते हैं। वे यह मानकर चलते हैं कि स्त्रियाँ उनकी हर इच्छा के आगे झुक जाएँगी। जब अपर्णा उनके सामने झुकने से इंकार करती है, तो उनका पुरुष अहंकार आहत हो जाता है।

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