नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश लिखिए॥ Nanha Sangeetkar Kahani Ka Saransh

नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश लिखिए।

अथवा,

नन्हा संगीतकार कहानी को संक्षेप में लिखिए।

नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश लिखिए॥ Nanha Sangeetkar Kahani Ka Saransh

‘नन्हा संगीतकार’ हेनरिक संकविच की मार्मिक कहानी है। इसमें एक अनाथ बालक की छोटी-सी जीवन यात्रा का चित्रण है, जो संगीत के प्रति अत्यंत लगनशील था। गरीबी और बीमारी से जूझते हुए भी उसने अपने सुरों से सबका मन मोह लिया। उसकी मासूमियत और पीड़ा पाठकों को भीतर तक झकझोर देती है। इस कहानी को पढ़कर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति आँसुओं को रोक नहीं पाता।

जेन का जन्म एक बेहद गरीब और अभागी माँ की कोख से हुआ था। यह प्रसव उसके लिए जीवन और मृत्यु की घड़ी बनकर आया, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के बाद उसके जीने की सारी आशाएँ लगभग समाप्त हो गई थीं। किंतु ईश्वर और दयालु पड़ोसियों की कृपा से उसकी जान बच सकी। जेन के पिता का कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसकी माँ ने अकेले ही सारी कठिनाइयों का सामना किया। जेन का बचपन भूख, अभाव और दुखों की चक्की में पिसते हुए बीता। गरीबी ने उसका बचपन छीन लिया और उसे असमय ही समझदार बना दिया। आठ वर्ष की उम्र तक आते-आते जेन आत्मनिर्भर हो गया था। वह जंगल में जाकर भेड़-बकरियाँ चराता और अपनी माँ के लिए खाद्य सामग्री भी इकट्ठा कर लाता। उसकी मासूम उम्र में ही जिम्मेदारी का बोझ आ गया था। भूख और गरीबी ने उसे जल्दी बड़ा बना दिया और जीवन के संघर्षों से जूझना सिखा दिया।

निस्संदेह ईश्वर महान है। जब वह मनुष्य से कुछ छीन लेता है तो उसके बदले में कोई न कोई विशेष गुण या हुनर भी दे देता है। अभागे जेन के जीवन में गरीबी और अभाव उसके अस्तित्व का हिस्सा थे। परंतु उसी ईश्वर ने उसे एक अद्भुत वरदान दिया था—संगीत। जेन संगीत का दीवाना था। सुर और ताल उसके लिए जीवन की धड़कन थे। उसकी संवेदनशील आत्मा प्रकृति के कण-कण में संगीत को अनुभव करती थी। जंगल के पेड़-पौधे, लताएँ और झाड़ियाँ, हवा के झोंके, मेढकों की टर्र-टर्र, पक्षियों का कलरव और कदमों की पदचाप—सब उसे मधुर धुनों से भरे लगते थे। उसके लिए यह संसार किसी विशाल वाद्य यंत्र के समान था, जिसमें हर वस्तु अपनी अनूठी ध्वनि के साथ सम्मिलित होकर संगीत की रचना करती थी। दरिद्रता ने भले ही उसके जीवन को कठिन बना दिया, पर संगीत ने उसकी आत्मा को समृद्ध कर दिया।

जेन एक निहायत गरीब माँ का बेटा था। उसके जीवन में गरीबी और अभाव ही साथी थे, पर उसके दिल में संगीत के प्रति अपार प्रेम था। उसे वायलिन, सारंगी और अन्य वाद्य यंत्रों के मधुर स्वर सुनने की तीव्र इच्छा रहती। कभी वह संगीत सुनने के लिए इतना बेचैन हो जाता कि माँ उसे डाँटती और यहाँ तक कि पीट भी देती। कई बार वह माँ से वादा करता कि अब संगीत नहीं सुनेगा, लेकिन संगीत का आकर्षण उसके लिए किसी जादू से कम न था। जैसे कोई साँप बीन की धुन पर सम्मोहित हो जाता है, वैसे ही जेन संगीत सुनकर बेसुध हो उठता।

उसका सपना था कि काश! उसके पास भी एक वायलिन होता। अभाव में उसने लकड़ी के टुकड़ों और घोड़े के बाल से एक सारंगी बना ली, जो भले ही मधुर न थी, पर उसके लिए दिल का सहारा थी।

पास ही एक बंगले में बैरन का वायलिन टंगा रहता था। एक रात चाँदनी में उसकी चमक देखकर जेन उसे छूने की लालसा रोक न सका और चोरी-छिपे अंदर चला गया। पर खट-पट सुनकर सिपाही ने उसे पकड़ लिया और बेरहमी से पीटा। बाद में न्यायालय में ले जाकर उसे चोरी के अपराध में बेंत से पीटने की सजा सुना दी गई। बेचारा जेन समझ ही न पाया कि उसके साथ यह सब क्यों हो रहा है।

जैन्को का कमजोर और नाजुक शरीर बेंत की मार सहन न कर सका। घर लौटते ही वह खाट से लग गया। गरीबी और अभाव के कारण दवा-दारू भी न मिल सकी, इसलिए उसने चुपचाप मृत्यु की प्रतीक्षा करनी शुरू कर दी। एक शाम खेतों में काम करती बालाओं का मधुर लोकसंगीत उसके कानों तक पहुँचा। वह स्वर सुनते ही जेन की आत्मा जैसे झूम उठी। वह उन सुरों में डूब गया और डूबते-डूबते संसार से विदा हो गया। उसकी अंतिम घड़ी में उसकी प्यारी सारंगी पास पड़ी थी। इसी के साथ उसका जीवन एक करुण अंत को पहुँचा।

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