रंगय्या का चरित्र चित्रण कीजिए॥ चप्पल कहानी के आधार पर रंगय्या का चारित्रिक चरित्र चित्रण कीजिए॥ रंगय्या का चरित्र कैसा था, उसकी स्थिति कैसी थी, वह क्या चाहता था, चप्पल पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए॥ चप्पल कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए॥
कावुटूरि वैंकट नारायण राव की कहानी ‘चप्पल’ का प्रमुख पात्र रंगय्या एक साधारण लेकिन असाधारण व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति है। वह पेशे से चर्मकार है और पिछले पचास वर्षों से अपने काम में पूरी निष्ठा और कुशलता के साथ लगा हुआ है। रंगय्या का जीवन ईमानदारी, परिश्रम, भक्ति, शिक्षा प्रेम और पुत्र के प्रति स्नेह की मिसाल है।
1. कर्मठ और कुशल कारिगर:
रंगय्या अपने काम में अत्यंत निपुण है। पुराने और फटे चप्पलों को भी वह नए जैसा बना देता है। उसकी निपुणता और लगन इतनी है कि चप्पलों की मरम्मत करते समय भी वह पूर्ण ध्यान और प्रेम लगाता है। रंगय्या के लिए कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता; वह अपने कारीगरी के हर कार्य को गौरव और आदर के साथ करता है।
2. पुत्र-प्रेमी पिता:
रंगय्या का एक पुत्र है रमण। रमण के जन्म के समय ही उसकी माँ का निधन हो गया था। ऐसे कठिन समय में भी रंगय्या ने अपने पुत्र को माता-पिता दोनों का स्नेह देते हुए पाला। वह चाहता है कि रमण पढ़-लिखकर एक बड़ा और सम्मानित व्यक्ति बने। इसके लिए वह अपने सीमित संसाधनों के बावजूद अपने पुत्र को विद्यालय भेजता है और उसकी पढ़ाई पर लगातार ध्यान देता है।
3. शिक्षा प्रेमी:
रंगय्या शिक्षा के महत्व को समझता है। वह न केवल अपने पुत्र को पढ़ाना चाहता है, बल्कि स्वयं भी सीखने का इच्छुक है। अपने मोहल्ले में जहाँ अन्य लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, वह अपने बेटे को स्कूल भेजता है और शिक्षा के माध्यम से उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
4. गुरु और शिक्षक के प्रति सम्मान:
रंगय्या शिक्षक को ईश्वर के समान मानता है। वह मास्टर साहब के प्रति अत्यधिक श्रद्धा रखता है। वह उनके पैर छूकर प्रणाम करता है और उनसे मिलने पर विनम्रता और श्रद्धा प्रदर्शित करता है। इस प्रकार रंगय्या शिक्षा और गुरु के महत्व को अपने जीवन में अपनाता है।
5. धार्मिक और परंपराप्रिय व्यक्ति:
रंगय्या का जीवन न केवल शिक्षा और कार्य में समर्पित है, बल्कि धार्मिक और नैतिक मूल्यों से भी परिपूर्ण है। उसका घर भगवान वेंकटेश्वर की तस्वीर से सज्जित है और भोजन से पहले अन्न को भगवान को अर्पित करता है। वह परंपराओं का पालन करता है और धार्मिक कर्तव्यों में विश्वास रखता है।
6. भावुक और संवेदनशील हृदय:
रंगय्या का हृदय अत्यंत भावुक है। जब उसे पता चलता है कि मास्टर साहब के चप्पल आग में जल सकते हैं, तो वह अपनी जान की परवाह किए बिना उन्हें बचाने के लिए आग में कूद जाता है। इसी दौरान वह अपनी जान की बलिदान देता है। यह घटना उसके चरित्र की महानता और निष्ठा को चरम सीमा पर दर्शाती है।
7. बुराईयों से दूर और स्वच्छ जीवन:
रंगय्या जिस परिवेश में रहता है वहाँ लोग शराब पीते हैं और अनैतिक व्यवहार करते हैं। इसके बावजूद वह इन बुरी आदतों से दूर रहकर सादगी और धार्मिकता के साथ जीवन व्यतीत करता है। उसका व्यक्तित्व कीचड़ में खिले कमल के समान है, जो किसी भी अशुद्ध माहौल में भी स्वच्छ और पवित्र बना रहता है।
8. निष्ठावान और बलिदानी:
रंगय्या अपने वचन का पक्का और निष्ठावान है। उसने मास्टर साहब के चप्पल को नया बनाने का वचन दिया था और इसी वचन को निभाने के लिए अपनी जान की आहुति दे दी। उसका यह बलिदान, निष्ठा और आदर्श मानवता की सर्वोच्चता का प्रतीक है।
9. साहसी रंगय्या
जब रंगय्या को झोपड़ी में आग लगने की खबर मिली, तो उसके पैरों के नीचे जमीन खिसक गई। लेकिन डर उसके लिए नहीं था—मास्टर साहब की चप्पलें अंदर फँसी हुई थीं। उसने तुरंत दरवाजा धकेला और आग में कूद गया। भयानक लपटें उठ रही थीं, पर उसने अपने प्राणों की परवाह नहीं की। उसका एक ही लक्ष्य था—चप्पलें बचाना। उसने साहस और निस्वार्थता का अद्भुत उदाहरण पेश किया। स्वयं जलने के खतरे के बावजूद वह चप्पलों को बचाने के लिए झोपड़ी के अंदर चला जाता है । रंगय्या का यह साहस और समर्पण अद्वितीय था, जो उसकी महानता को दर्शाता है।
10. भविष्य के प्रति जागरुक रंगय्या
रंगय्या अपने बेटे के भविष्य को लेकर अत्यंत जागरुक और चिंतित है। स्वयं पढ़ नहीं सका, इसलिए उसने अपने पूरे जीवन में जो कुछ भी कमाया, उसका उद्देश्य केवल बेटे की शिक्षा थी। मास्टर साहब के पास एक-एक पैसा जमा कर उसने सुनिश्चित किया कि उसका बेटा पढ़ाई में पीछे न रहे। बूढ़े और झुकी कमर के बावजूद वह अपने बेटे की प्रगति और भविष्य की चिंता करता है। रंगय्या का मन बच्चे की शिक्षा के बारे में तरह-तरह के विचारों से भरा रहता है—कितना बड़ा आदमी बनेगा, कौन-कौन से वर्ष में क्या पढ़ेगा। उसका यह समर्पण और दूरदर्शिता उसके सच्चे पिता होने को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
रंगय्या केवल एक गरीब चर्मकार नहीं, बल्कि आदर्श पिता, कुशल कारीगर, शिक्षा प्रेमी, श्रद्धालु और परंपराप्रिय व्यक्ति है। उसकी भक्ति, सादगी, ईमानदारी, निष्ठा और बलिदान की भावना उसे कहानी का केंद्रीय और मार्मिक पात्र बनाती है। रंगय्या का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा मानव वही है जो अपने कर्तव्य, परिवार, शिक्षा और धर्म के प्रति समर्पित हो और अपने विश्वास एवं निष्ठा के बल पर समाज में आदर्श प्रस्तुत करे।
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