चप्पल कहानी का सारांश क्या है॥ चप्पल कहानी का सारांश class 10

‘चप्पल’ कहानी तेलुगू कथाकार कावुटूरि वेंकट नारायण राव की एक मार्मिक और चर्चित रचना है, जो मानवीय भावनाओं, श्रद्धा और त्याग की गहराई को दर्शाती है। कहानी का मुख्य पात्र रंगय्या एक गरीब चर्मकार है, जो जूतों और चप्पलों की मरम्मत में अद्भुत निपुणता रखता है। उसकी कुशलता से पुराने, घिसे-पिटे जूते और चप्पलें पुनर्जीवित हो जाते हैं। रंगय्या अपने एकमात्र पुत्र रमण के प्रति गहरा वात्सल्य भाव रखता है। रमण गाँव के स्कूल में पहली कक्षा का छात्र है और अपने शिक्षक के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखता है।

एक दिन रमण अपने पिता के पास फटी-पुरानी चप्पलों की जोड़ी लेकर आता है और कहता है कि यह उसके गुरु साहब ने दी हैं, जिन्हें मरम्मत की आवश्यकता है। गुरु साहब का नाम सुनते ही रंगय्या के मन में आदर और श्रद्धा जाग्रत हो जाती है। वह चप्पलों की मरम्मत करता है और उन्हें अपने झोपड़े की अटारी पर रख देता है। उसका हृदय यही चाहता है कि वह गुरु साहब को स्वयं अपने हाथों से ये चप्पल पहनाए। गुरु साहब भी रमण के प्रति पुत्रवत स्नेह दिखाते हैं और उसे घर पर रहकर पढ़ाते-सीखाते हैं।

कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब रंगय्या के मोहल्ले में भीषण आग लग जाती है। आग की लपटों ने चारों ओर तबाही मचा दी। रंगय्या, अपने गुरु साहब के चप्पलों को बचाने के लिए, संकल्प करता है कि उन्हें जलने नहीं देगा। वह आग में कूद पड़ता है और चप्पलों को सुरक्षित करता है, किंतु इस साहसिक प्रयास में उसकी अपनी जान चली जाती है। इस घटना से रंगय्या का चरित्र त्याग, कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतिमान बन जाता है।

कहानी न केवल रंगय्या की निष्ठा और त्याग को उजागर करती है, बल्कि एक पिता की भावनाओं और शिक्षा के महत्व को भी दर्शाती है। रमण का अपने गुरु के प्रति आदर और रंगय्या का अपने पुत्र के गुरु के प्रति सम्मान, कहानी को एक गहन मानवीय संदेश प्रदान करते हैं। लेखक ने साधारण घटनाओं को मार्मिक और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है, जिससे कहानी अंत तक पाठक का ध्यान बनाए रखती है।

‘चप्पल’ यह संदेश देती है कि सच्चा प्रेम और श्रद्धा केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि कर्म और त्याग में प्रकट होते हैं। रंगय्या जैसे लोग आज भी हमारे समाज में आदर्श हैं, जो अपने छोटे-छोटे कर्तव्यों में भी महानता और नैतिकता का परिचय देते हैं। कहानी के माध्यम से यह प्रश्न भी उठता है कि वर्तमान समाज में भावनात्मक संवेदनशीलता क्यों कम हो गई है और क्या हम रंगय्या जैसे समर्पित व्यक्तियों से कुछ सीख सकते हैं।

इस प्रकार ‘चप्पल’ केवल एक सामान्य घटना की कहानी नहीं है, बल्कि यह त्याग, श्रद्धा, मानवता और कृतज्ञता का प्रतीक बनकर पाठक को गहरे भावनात्मक अनुभव से जोड़ती है। कहानी की भाषा सरल, प्रवाहमयी और बोधगम्य है, पात्रों का चित्रण वास्तविक और प्रभावशाली है, और कथानक में मनोवैज्ञानिक कसावट तथा संवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह कहानी पाठक को जीवन के उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।

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