पाठ्यपुस्तक विधि क्या है
भाषा शिक्षण में यह सबसे प्रचलित विधि है यह विधि पाठ्य पुस्तक को अपना आधार मानती है इसके माध्यम से शिक्षक छात्रों तक पाठ्य सामग्री को बेहतर तरीके से पहुंचाते हैं अतः पाठ्यपुस्तक विधि के कई लाभ भाषा शिक्षण में दिखाई देते हैं
पाठ्य पुस्तक विधि के गुण(pathya pustak vidhi ke gun)
१. पाठ्य पुस्तक विधि द्वारा हिंदी की पाठ्यपुस्तक विभिन्न विधाओं इतिहास शब्दावली इत्यादि का ज्ञान प्राप्त होता है एवं पद्य पाटो को कंठस्थ कराया जा सकता है।
२. पाठ्यपुस्तक विधि द्वारा शिक्षक तय किए गए पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करने में सफल होता है।
३. अध्यापक को विषय सामग्री संबंधित विशेष तैयारी नहीं करनी पड़ती है।
४.यदि कक्षा में कोई बात पूर्ण रूप से समझ में नहीं आती है तो विद्यार्थी पाठ्यपुस्तक की मदद से उस पाठ को समझ सकता है।
५. पाठ्य पुस्तक को विद्यार्थियों को लक्ष्य करके लिखी जाती हैं अतः यह उनके यह भाषा शिक्षण में लाभकारी हो सकती हैं।
६. यदि छात्र कक्षा में किसी कारण अनुपस्थित रह जाता है तो वह उस 1 दिन का कार्य पुस्तक की सहायता से पूर्ण कर सकता है।
७.पाठ्यपुस्तक के विभिन्न प्रकार की सामग्री का सुझाव देते हैं।
८.पाठ्यपुस्तक पाठ्यक्रम के अनुसार लिखी जाती है।
पाठ्यपुस्तक विधि के दोष(pathya pustak vidhi ke dosh)
१. पाठ्यपुस्तक विधि के अत्याधिक प्रयोग से शिक्षण प्रक्रिया का उद्देश्य पूरा नहीं होता क्योंकि संभव है कि विद्यार्थी अथवा शिक्षक निश्चित पृष्ठों को ही पूरा करने तक सीमित रह जाते हैं।
२. पाठ्य पुस्तक में कभी कभी भूल होने की भी संभावना होती है जिससे विद्यार्थियों को उस समय हानि होने का भाई रहता है जब अध्यापक उस भूल को नजरअंदाज कर देते हैं।
३. पाठ्यपुस्तक के प्रयोग से विद्यार्थी के स्मरण शक्तियों का विकास अधिक होता है जबकि आने पक्षों का विकास उसी तेजी से नहीं हो पाता है।