पाठ योजना का अर्थ एवं परिभाषा
वैज्ञानिक रूप से की गई क्रमबद्ध तैयारी को ही पाठ योजना कहते हैं। बिना पाठ योजना के योग्य शिक्षक भी अपने शिक्षक कला में असफल हो जाते हैं। पाठ योजना में बालक के अर्जित ज्ञान, नया ज्ञान, प्रश्न विधि शिक्षण सहायक सामग्री का विवरण होता है। शिक्षण प्रशिक्षण में दो प्रकार की शिक्षा दी जाती हैं। सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक। व्यवहारिक कार्य को (प्रैक्टिस टीचिंग) अभ्यास शिक्षण कहा जाता है। पाठ योजना कक्षा कार्य की वह पूर्ण लिखित योजना और उद्देश्य प्राप्ति के लिए प्रयोग की जाने वाली विधियों को निश्चित करता है। पाठ योजना शिक्षक का लिखित कथन है। जिसके आधार पर शिक्षक कक्षा में भी पाठ पढ़ाना चाहते हैं जिसके आधार पर सीमित समय में पाठ की विषय वस्तु को सुव्यवस्थित ढंग से बच्चों को पढ़ा सके। छात्र उस पाठ को अच्छी तरह समझ सके। इसमें नए पाठ से संबंधित सभी बातों को अंकित कर देते हैं। पाठ योजना छोटी या विस्तृत हो सकती है। अध्यापक जो भी पाठ पढ़ाना चाहता है। पाठ की समय सीमा पूर्व निर्धारित रहती हैं।
इसे भी पढ़ें: पाठ योजना का महत्व या पाठ योजना का लाभ
पाठ योजना का प्रारूप
1.कितना विषय वस्तु पढ़ाया जाय
2.प्रश्न में क्या पूछना है?
3.समय सीमा क्या होगा।
4.कौन सी शिक्षण विधि से पढ़ाया जाएगा।
5.कौन सा मॉडल या चार्ट पढ़ाते समय प्रयोग किया जाएगा।6.प्रस्तावना कैसा होगा।
7.पुनरावृति
8.गृहकार्य।
शिक्षण प्रभावपूर्ण बनाने के लिए पहले ही पाठ योजना का प्रारूप बना लिया जाता है तथा समय सीमा निर्धारित किया जाता है सभी शिक्षकों द्वारा किसी न किसी प्रकार की पाठ योजना बनाने की आवश्यक ही तैयार की जानी चाहिए क्योंकि इससे कुछ निश्चित कार्य है जो शिक्षण के लिए अनिवार्य है।
पाठ योजना की शर्तें
१.विषय वस्तु का पूर्व ज्ञान
२.बच्चों से प्रत्यक्ष संपर्क द्वारा रूचि
३.योग्यता क्षमताओं तथा विभिन्नताओं या आवश्यकताओं का ज्ञान।
५.मनोविज्ञान का ज्ञान
५.दर्शन का भी ज्ञान होना आवश्यक है।
६.शिक्षण विधियों से अवगत होना।
७.शिक्षण के विभिन्न सिद्धांतों की जानकारी।
८.बच्चों के पूर्व ज्ञान की जानकारी।
पाठ योजना की विशेषताएं
१. पाठ योजना निश्चित होनी चाहिए।
२. इसके प्रति स्वापन का समय निर्धारित होना चाहिए।
३.शिक्षण विधियों का उल्लेख।
४.शिक्षण उद्देश्यों का उल्लेख।
क) सामान्य उद्देश्य
ख) विशिष्ट उद्देश्य
५. छात्रों को पूछे जाने वाले प्रश्नों का उल्लेख।
६.क्या पढ़ाना है और कैसे पढ़ाना आदि बातों का उल्लेख।
७. समय, कक्षा, विषय, पूर्व ज्ञान, औसत आयु आदि बातों का उल्लेख।
८.सम्पूर्ण पाठ योजना की रूप रेखा या सारांश का उल्लेख।
९.शिक्षण सहायक सामग्री का उल्लेख होना चाहिए।
१०.कक्षा कार्य तथा गृह कार्य का वर्णन होना चाहिए।
११.पाठ-योजना लचीली होनी चाहिए।