सूरदास के पद class 7 with questions and answers(surdas ke pad in hindi class 7)

सूरदास के पद class 7 with questions and answers:

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प्रभु मेरे अवगुन चित ना धरो।।
समदर्शी प्रभु नाम तुम्हारा, सोई पार करो।।

व्याख्या:    सूरदास जी श्री कृष्ण जी से प्रार्थना करते हुए कहते है कि हे प्रभु! आप मेरे अवगुणों को अपने चित्त(हृदय) में नहीं रखिए। आपका नाम समदर्शी है अर्थात् आप अच्छे बुरे- दोनों के प्रति समान भाव रखनेवाले कहलाते हैं। इसलिए आप अपने स्वभाव के अनुकूल ही मेरे प्रति भी व्यवहार कीजिए।

शब्दार्थ:

अवगुन – अवगुण, बुरे गुण।
चित – हृदय, दिल।
ना धरो – धारण मत करों, मत रखो।
समदर्शी – समान दृष्टि रखने वाला, समान भाव रखने वाला।
सोई पार करो – मुझ पर दया करो।

एक लोहा पूजा में राखत, इक लोहा बधिक परो ।
सो दुविधा पारस नहिं देखत, कंचन करत खरो ।।

व्याख्या: सूरदास जी भगवान श्री कृष्ण जी को समझाते हुए कहते है कि एक लोहा मूर्ति के रूप में पूजा – घर में रखा जाता है और दूसरा लोहा पशुओं के वध किये जानेवाले हथियार के रूप में वधिक के पास रहता है । पूजा घरों में रखने वाला लोहा पवित्र होता हैं और कसाई के पास जो हथियार के रूप में लोहा होता है वह अपवित्र होता है फिर भी पारस पत्थर इन दोनों प्रकार के लोहों के प्रति कोई भेद भाव नहीं करता है और दोनों को अपने संस्पर्श से सच्चा सोना ही बना देता है। ठीक उसी प्रकार आप भी मेरे अच्छे और बुरे दोनों गुणों में कोई अंतर न करते हुए मुझे अपने पास शरण दीजिए।

शब्दार्थ:

रखात: रखा जाता है।
इक: एक
बधिक: शिकारी, क़साई।
सो दुविधा : जो अन्तर, कोई भेद भाव।
पारस नहिं देखत: पारस पत्थर नहीं देखता है।
कंचन करत खरो: शुद्ध सोना कर देता है, शुद्ध सोना बना देता है।

 

एक नदिया इक नाल कहावत, मैलो नीर भरो।
जब मिलिके दोऊ इक बरन भये, सुरसरी नाम परो।।

व्याख्या: सूरदास जी दूसरी उक्ति देते हुए कहते हैैं कि एक नदी होती है जिसमें शुद्ध जल बहता है और दूसरा नाला होता है जिसमें गंदा जल बहता है। परन्तु  नदी और नाले  का जल जब गंगा नदी में गिर कर उसमें मिल जाता है। तब वह भी गंगाजल ही कहलाता है।

शब्दार्थ:

इक नाल: एक नाला
कहावत: कहलाता है।
मैलो नीर भरो: मैला पानी भारा रहता है, गंदा जल भारा रहता है।
जब मिलिके दोऊ: जब दोनों मिल जाते हैं।
इक बरन भये: एक ही में मिल जाते हैं।
सुरसरी: पवित्र नदी, देव नदी, गंगा नदी।
नाम परो: नाम पड़ जाता है।

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एक माया एक ब्रह्म कहावत, सुर श्याम झगरो ।
अबकी बेर मोही पार उतारो, नहिपन जात तरो ।।

व्याख्या: शरीर में स्थित परमात्मा का एक अंश जीव और प्रकृति में स्थित दूसरा अंश ब्रह्म कहलाता है। परंतु दोनों अंशों के नामों में अंतर है पर अलग-अलग नाम होने के बावजूद भी दोनों ही परमात्मा ही कहलाता है।
                                               कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार पारस पत्थर भेदभाव को त्यागकर पवित्र और अपवित्र दोनों लोहों को अपने स्पर्श से सच्चा सोना ही बना देता है । जिस प्रकार गंगा नदी अन्य नदी का जल और नाले के जल को अपने जल में मिलाकर अपने समान ही बना लेती है और माया और ब्रह्म दोनों अंत में परमात्मा से मिल जाते हैं। ठीक उसी प्रकार आप मेरे दोषों पर ध्यान न देकर मुझे अपने ही समान बना लीजिए ।

मैया कबहु बढ़ैगी चोटी?
किती बेर मोहिं दूध पीयत भई,यह अजहूं है छोटी।

व्याख्या: बालक श्री कृष्ण मां से पूछते हुए कहते हैं कि मां मुझे कच्चा दूध पीते हुए बहुत समय हो गया है मैं बहुत दिनों से कच्चा दूध पी ही रहा हूँ लेकिन मेरी चोटी तो बढ़ता ही नहीं है। मां आप ही बताओ कि मेरी चोटी कब बढ़ेगी। यह तो अब भी पहले के समान छोटी ही है।
शब्दार्थ
मैया: मां, माता, जननी,
कबहु : कब ही
बढ़ैगी : बढ़ेगी, लंबी होगी।
चोटी: शिखर, बाल की चोटी।
किती बेर: कितनी देर।
मोहिं दूध पीयत भई: मुझे दूध पीते हुए हो गए हैं।
यह अजहूं है छोटी: यह अभी भी छोटी ही है।

तू जो कहत बल की बैनी ज्यौं ह्वै लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै, नागिन सू भुई लोटी।।

व्याख्या: मां तुमने तो कहा था कि दूध पीने से मेरी चोटी बलराम भाईया की चोटी की भाँती लम्बी और मोटी हो जायेगी। वह इतनी लम्बी और मोटी हो जाएगी कि जब मैं अपने बालों को कंघा, गूंथते और स्नान करते समय नागिन की तरह धरती पर लटकेगी। पर ऐसा तो नहीं हो रहा यह अभी छोटी ही है।
शब्दार्थ
तू जो कहत : तुम जो कहती थी।
बल की बैनी ज्यौं : बलराम की तरह बन जाएगी।
काढ़त: कंघा करते समय।
गुहत: गूंथते समय।
न्हवावत : नहाते समय, स्नान करते समय।
जैहै : जैसे।
सू भुई लोटी : जैसे भूमि पर लोटने लगेगी, जैसे भूमि पर स्पष्ट लगेगी, जैसे भूमि को छूने लगेगी।

काचौ दूध पिआवत पचि पचि देति न माखन रोटी।
सूरदास त्रिभुवन मनमोहन हरि-हलधर की जोटी ॥

व्याख्या: मां तुम तो मुझसे ज़िद करके कच्चा दूध पिलाती हो और मुझे माखन रोटी भी नहीं देती हो। मां से बाल कृष्ण कहते हैं कि आप शायद मुझसे झूठ बोलकर मुझे माखन रोटी नहीं देकर मुझे कच्चा दूध पिलाती हो।
अंत में सुदास जी बलराम और बालकृष्ण की जोड़ी के चिरंजीवी होने की मंगल कामना करते हैं।

मौखिक प्रश्न

क) सूरदास ने पहले पद में भगवान से क्या विनती की है?

उ. सूरदास ने पहले पद में भगवान से विनती की है कि उनके अवगुणों को अपने हृदय में धारण ना करें।

ख) पद में भगवान का दूसरा नाम क्या है?

उ. पद में भगवान का दूसरा नाम सम दरसी है।

ग) पारस क्या नहीं जानता?

उ. ‘पारस’ पवित्र और अपवित्र लोहा में कोई भेद नहीं जानता है।

घ) बलराम से कृष्ण किस बात की बराबरी करना चाहते हैं?

उ. बलराम से कृष्ण अपने बाल की बराबरी करना चाहते हैं।

लिखित प्रश्न

क) सुरसरी किसे कहा गया है?

उ. सुरसरी गंगा नदी को कहा गया है।

ख) सूरदास कौन सा प्रण नहीं भूलने की बात कहते हैं?

. सूरदास श्री कृष्ण से उद्धार करने की बात नहीं भूलने के लिए कहते हैं क्योंकि भगवान किसी पर भी बिना किसी भेदभाव के उस पर उद्धार कर देते हैं ठीक उसी प्रकार सूरदास भी भगवान श्री कृष्ण से अपने प्रति उद्धार करने की प्रण नहीं भूलने के लिए कहते हैं।

ग) कृष्ण किसकी जैसी चोटी पाना चाहते हैं?

उ. कृष्ण बलराम की जैसी चोटी पाना चाहते हैं।

घ) यशोदा से कृष्ण को क्या-क्या शिकायतें हैं?

उ.यशोदा से कृष्ण को शिकायतें हैं कि उसे दूध पीते-पीते बहुत समय हो चुका है फिर भी उनकी छोटी अभी तक छोटी ही है कृष्ण मां से शिकायत करते हुए कहते हैं कि तुम जो कहती थी कि दूध पीने से मेरी चोटी बलराम की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी और जब मैं अपने बालों को कंघा करूंगा या गूंथूंगा या नहाकर आऊंगा तो वह नागिन की तरह जमीन पर फैल जाएगी पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मां क्या तुम मुझे झूठ बोल बोल कर कच्चा दूध पिलाती थी और मुझे माखन भी नहीं देती थी ऐसा आप क्यों करती थी।

व्याकरण संचय

1. नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखें:-

अवगुण_________।          मैला_____________
सम____________।          बढ़ना____________
घर_____________।         मोटी_____________

उत्तर: गुण, साफ़, विसम, घटना, बेघर, पतली।

2. नीचे दिए शब्दों के हिंदी पर्याय लिखो:-

i.चित:-
ii.बधिक:-
iii.दरस:-
iv.कंचन:-
v.राखत:-
vi.बरन:-
vii.लंबी:-
viii.जोटी:-

उत्तर:
i.चित:- हृदय, दिल
ii.बधिक:- शिकारी, कसाई
iii.दरस:- दर्शन, भेंट
iv.कंचन:- सोना, कनक
v.राखत:- रखना,
vi.बरन:- अंतर,भेद, तरह, प्रकार
vii.लांबी:- लंबा
viii.जोटी:-जोड़ी,संगी,साथी

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