भ्रष्टाचार पर निबंध (corruption essay in hindi), corruption meaning in hindi
प्रस्तावना:-
भ्रष्टाचार को अंग्रेजी में corruption कहा जाता है। भ्रष्टाचार (bhrashtachar) एक ऐसा शब्द है जो सारे राष्ट्र के लिए ही नहीं, संपूर्ण मानव समाज के लिए खतरा है। भ्रष्टाचार (corruption) का कोई सीमित क्षेत्र नहीं है, यह संपूर्ण स्थान पर विद्यमान है। भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रष्ट और आचार जिसका अर्थ है कर्तव्य से विपरीत आचरण या व्यवहार। अतः जो व्यक्ति भ्रष्ट अर्थात् अपने कर्तव्य से विपरीत आचरण करता है वह भ्रष्टाचारी है। गलत तरीका से धन लेकर किया जाने वाला कार्य भ्रष्टाचार के अंतर्गत आता है। भ्रष्टाचार को पूर्णता देने वाले के तत्व है। जिसको अधिकार प्राप्त है वही गलत आचरण करता है। जिसके हाथ में जितनी अधिक शक्ति है वह उतना ही बड़ा भ्रष्टाचारी हो सकता है। अतः भ्रष्टाचार का सीधा संबंध घूसखोरी से है। यह नीचे से ऊपर की ओर नहीं चलता, बल्कि ऊपर से नीचे की ओर चलता है अर्थात् जो जितना बड़ा अधिकारी है वह उतना ही बड़ा भ्रष्ट है।
corruption meaning in hindi
corruption का हिंदी meaning भ्रष्टाचार (bhrashtachar) जिसका अर्थ होता है कर्तव्य से विपरीत आचरण या व्यवहार, विपरीत कार्यालाप, दूषित और निंदनीय आचार-विचार। जब कोई इंसान अपने कर्तव्य से विमुख होकर या अपने मन में लालच लाकर अपने पथ से भटक जाता है और कुछ ऐसा कर बैठता है जिससे समाज या देश को लज्जित होना पड़े उसे ही भ्रष्टाचार कहते है।
भ्रष्टाचार का प्रारंभ
यह बता पाना बड़ा ही कठिन है कि भ्रष्टाचार का प्रारंभ प्राचीन काल में भी था या यह आधुनिक युग की उपज है। इस विषय पर विद्वानों ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र में से कम से कम 40 भ्रष्टाचारों के नाम निकाल कर बताया है। कौटिल्य ने लिखा है जिसकी जिह्वा पर मधु हो वह बिना चाटे नहीं रह सकता, उसी प्रकार जिसके पास राजस्व है वह बिना खाये नहीं रह सकता।
भ्रष्टाचार कहां-कहां है
भ्रष्टाचार सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि सभी जगह विद्यमान है। आजकल हर तरफ भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है। रिश्वत की होड़ भ्रष्टाचार को बहुत बढ़ावा दिया है। आज भ्रष्टाचारी कौन नहीं है? आजकल कोई भी काम पैरवी और पैसों के बिना नहीं हो सकता। भ्रष्टाचार के कीटाणु सरकारी कार्यालयों में ही नहीं, बल्कि सैन्य विभाग, शिक्षा विभाग स्वास्थ्य विभाग सभी जगह विद्यमान हैं। आज के नेता तो पूर्णतः भ्रष्टाचारी है। प्रश्न पत्रों की बिक्री तथा छात्रों द्वारा घूस देकर पास होना भी भ्रष्टाचार का उदाहरण है। व्यापार के क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है। रिश्वत के बल पर बड़े-बड़े उद्योगपति अपना कारोबार चला रहे हैं। व्यापार का परमिट, कोटा और लाइसेंस रिश्वत देकर आसानी से प्राप्त किया जा रहा है।
राजनीति में भ्रष्टाचार
आजकल के राजनेता बड़े-बड़े उद्योगपतियों से मिलकर अपनी राजनीति चला रहे हैं। कोई भी नेता ईमानदार बनकर अपनी राजनीति को पूर्णता नहीं दे सकता है। अतः वाह पूंजीपतियों की कृपा के बिना अपने को सफल नहीं कर सकता है। समाज में रहने वाले जो घूसखोर है उनका तिरस्कार ना करके उनका सम्मान किया जाता है। पहले त्यागियो का बोलबाला था, जो अपने देश के लिए, अपनी मातृभूमि के लिए है अपना सब कुछ निछावर करने को तत्पर रहते थे। उनको समाज सम्मान देता था। लेकिन आज देश में ऐसे लोगों और देशभक्त नेताओं का लोप हो गया है। आज के नेता रिश्वतखोर और भ्रष्ट हो गए हैं जो अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए देश की स्वतंत्रता का भी सौदा कर सकते हैं। पहले जहां गांधी सुभाष जवाहरलाल जैसे देशभक्त नेता थे वही आज के नेता गुंडो और बदमाशों के बल पर वोट खरीद रहे हैं और अपनी राजनीति धड़ल्ले से चला रहे हैं। भ्रष्टाचार का यह ज्वलंत उदाहरण है।
भ्रष्टाचार से देश पर दुष्प्रभाव (bhrashtachar)
भ्रष्टाचार(corruption) ने आज अपने आगोश में सारे देश को जकड़ रखा है। आज बड़े-बड़े नेता भयंकर घोटाले करने के बाद भी जनता का वोट जबरदस्ती खरीद रहे हैं। सरकार ने देश की प्रगति और देश में गरीबी हटाने की कई कदम उठाए लेकिन सारे प्रयास असफल साबित हुए क्योंकि हर अधिकारी रिश्वत लेकर अक्षम और अयोग्य व्यक्तियों को टेंडर देकर राष्ट्र को क्षति पहुंचा रहे हैं। आज जो नया पूर्व बनाया जाता है वहीं कुछ महीने बाद ढह जाता है। जिससे जान और माल दोनों की क्षति होती है। बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जी जहां पर चारा घोटाला करने के बाद भी मंत्री पद पर आसीन रहे वही फूलन देवी जैसी खूंखार डकैत सांसद बन गयी। अतः हम यह देखते हैं कि भ्रष्टाचार में हमारे नेता ही नहीं बल्कि शिक्षा विभाग, सैन्य विभाग और चिकित्सा विभाग सभी लिप्त हैं।
निष्कर्ष:
यह नहीं है कि सरकार इस विकट समस्या से परिचित नहीं है बल्कि अपने ढंग से इन्हें दूर करने का प्रयास भी कर रही है। जहां सारे के सारे पदाधिकारी रिश्वतखोर हो वहां पर भ्रष्टाचार (corruption) की विकट समस्या को एकदम से खत्म करना बहुत ही मुश्किल काम है। इस समस्या का एकमात्र समाधान किया है कि हमारे सभी नेता तथा उच्च पदाधिकारी अपने पदों का सदुपयोग जनता के कल्याण में करें और जो भी रिश्वत के संदेह में आयें उन्हें तुरंत निलंबित किया जाय, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब हमारी एकता, अखंडता, राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। हमें भ्रष्टाचारियों का खुलकर विरोध करना चाहिए ताकि हमारा देश उन्नतिशील और प्रगतिशील बन सके।