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अपठित गद्यांश के नियम
1.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
2.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
3.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
4.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में विद्यालय का बहुत महत्त्व होता है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में शिक्षा ग्रहण करने का आरंभ विद्यालय से ही करता है। विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा का स्तर अच्छा होगा तो विद्यार्थियों का स्तर भी अच्छा होगा। एक विद्यालय हजारों विद्यार्थियों के हृदय में ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं। श्रेष्ठ अध्यापकों और अध्यापिकाओं को विद्यार्थी अपने जीवन में सदा स्मरण रखते हैं। वे अपने विद्यालयों को भी नहीं भूलते।
प्र.1. प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति क्या करता है?
उ.प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में शिक्षा ग्रहण करने का आरंभ विद्यालय से ही करता है।
प्र.2. विद्यार्थियों का स्तर अच्छा कैसे होता है?
उ. विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा का स्तर अच्छा होगा तो विद्यार्थियों का स्तर भी अच्छा होता है।
प्र.3. विद्यालय कैसे प्रकाश भर देता हैं?
उ. एक विद्यालय हजारों विद्यार्थियों के हृदय में ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं।
प्र.4. विद्यार्थी किन्हें स्मरण रखते हैं?
उ. श्रेष्ठ अध्यापकों और अध्यापिकाओं को विद्यार्थी अपने जीवन में सदा स्मरण रखते हैं।
प्र.5. ‘विद्यार्थी’ और ‘विद्यालय’ शब्दों में आए प्रत्यय लिखें-
उ. विद्यार्थी में ‘ई’ प्रत्यय लगा है।
विद्यालय में ‘आलय’ प्रत्यय लगा है।
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5.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
मेरा यह मतलब कदापि नहीं है कि विदेशी भाषाएँ सीखनी ही नहीं चाहिएँ। आवश्यकता, अवसर और समय होने पर एक नहीं अनेक भाषाएँ सीखकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। ज्ञान कहीं भी मिलता हो, उसे प्राप्त कर लेना चाहिए। अपनी भाषा को, उसके साहित्य को प्रधानता देनी चाहिए। अपना, अपने देश का, अपनी जाति का उपकार और कल्याण अपनी ही भाषा के साहित्य की उन्नति से हो सकता है। ज्ञान, विज्ञान, धर्म और राजनीति की भाषा सदैव लोकभाषा ही होनी चाहिए।
प्रश्न–
क) अनेक भाषाएँ कब सीखनी चाहिएँ?
उत्तर- आवश्यकता, अवसर और समय होने पर अनेक भाषाएँ सीखनी चाहिएँ।
ख) अपनी भाषा और उसके साहित्य को प्रधानता क्यों देनी चाहिए?
उत्तर: अपनी भाषा और साहित्य को प्रधानता देने से अपना, अपने देश का और अपनी जाति का उपकार और कल्याण होता है।
ग) किन विषयों की भाषा लोकभाषा होनी चाहिएँ?
उत्तर: ज्ञान, विज्ञान, धर्म और राजनीति की भाषा लोकभाषा होनी चाहिए।
घ) उपकार में कौन-सा उपसर्ग लगा है?
उत्तर: उप उपसर्ग।
6.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
बारिश भी क्या चीज़ है। सब ओर धुला-धुला-सा भीगापन! पौधों की हरी-भरी टहनियाँ शरमाई-सी नीचे की ओर झुकी रहती हैं। उनका निखरा-निखरा सौंदर्य किसी नई सृष्टि की रचना करता-सा लगता है। ये पौधे हमेशा सबके हृदय में नई उमंगें भर जाते हैं। मन पानी की एक बूँद पाने के लिए चातक पक्षी की तरह चोंच खोलकर इधर-उधर भटकता रहता है। सावन की पहली बूँद गिरने से चातक को भी संतोष मिलता है। यह सुख तो वही जान सकता है जो ज्येष्ठ की गरमी में तपा हो।
प्रश्न-
क) बारिश में पौधों की टहनियाँ कैसी रहती हैं?
उत्तर: पौधों की हरी-भरी टहनियाँ शरमाई-सी नीचे की ओर झुकी रहती हैं।
ख) मन किसकी भाँति इधर-उधर भटकता है?
उत्तर: मन चातक पक्षी की भाँति इधर-उधर भटकता है।
ग) चातक के संतोष को कौन जान सकता है?
उत्तर: चातक के संतोष को वही जान सकता है जो ज्येष्ठ की गरमी में तपा हो।
घ) शरमाई में कौन-सा प्रत्यय लगा है?
उत्तर: प्रत्यय-आई।
7.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
वीरों को बनाने के कारखाने नहीं हो सकते। वे तो देवदार के वृक्षों की भाँति जीवन के जंगल में स्वयं जन्म लेते हैं। वे बिना किसी की देखभाल के तैयार होते हैं। वे दुनिया के सामने अचानक आकर खड़े हो जाते हैं। उनके सारे गुण उनके भीतर ही होते हैं। बाहर से दिखाने के लिए उनके पास कुछ नहीं होता।
प्रश्न-
क) वीर किस प्रकार जन्म लेते हैं?
उत्तर:- वीर देवदार के वृक्षों की भाँति जीवन के जंगल में स्वयं जन्म लेते हैं।
ख) असली वीर कैसे होते हैं?
उत्तर: असली वीर देवदार के वृक्ष की तरह होते हैं जो बिना किसी देखभाल के तैयार हो जाते हैं।
ग) वीर और देवदार में क्यों तुलना की गई है?
उत्तर: वीर और देवदार में तुलना इसलिए की गई है क्योंकि जिस तरह से देवदार अपने बलबूते खड़ा रहता है उन्हें किसी की सहारा लेने नहीं पड़ती ठीक उसी प्रकार वीर भी अपने बलबूते ही खड़ा रहता है चाहे उनके सामने कितने भी मुसीबत क्यों ना आए वे उनका डटकर सामना करते हैं।
घ) प्रशंसा शब्द का विलोम लिखें।
उत्तर: प्रशंसा शब्द का विलोम निंदा है।
ड़) वीर दुनिया के सामने कैसे खड़े होते हैं?
उत्तर: वीर दुनिया के सामने अचानक आकर खड़े होते हैं।
8.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक त्यौहार है। इस त्यौहार पर बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बाँधती हैं। यह भाइयों के प्रति बहनों के प्यार और उनकी खुशहाली की कामना की प्रतीक होती है।
भाई अपनी बहन की हमेशा रक्षा करने का वचन देता है। राखी सामान्यतः सुनहरे, चमकीले और रेशमी धागे से बनती है। यह त्यौहार जुलाई-अगस्त में श्रावण मास में पड़ता है। यह त्यौहार ऐतिहासिक रूप से भी प्रसिद्ध है।
चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता माँगी थी और रक्षा का अनुरोध किया था। हुमायूँ राखी पाकर इतना भावुक हुआ कि उसने तुरंत ही कर्णावती की रक्षा के लिए अपनी सेना भेज दी थी।
रक्षाबंधन के दिन बहनें पूजा की थाली तैयार करती हैं और उसमें राखियाँ, चावल के दानें, अगरबत्तियाँ और मिठाइयाँ सजाती हैं। अपने भाइयों की आरती करने के बाद वे उनकी कलाइयों पर आकर्षक राखियाँ बाँधती हैं।
प्रश्न:-
१. रक्षाबंधन किसका प्रतीक है?
उत्तर: रक्षाबंधन भाइयों के प्रति बहनों के प्यार और उनकी खुशहाली की कामना की प्रतीक है।
२. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाइयों में क्या बांधती है?
उत्तर: रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधती है।
३. राखी कैसे बनाई जाती है?
उत्तर: राखी सुनहरे, चमकीले और रेशमी धागों से बनाई जाती
है।
४. रक्षाबंधन किस माह में मनाया जाता है?
उत्तर: रक्षाबंधन जुलाई-अगस्त में श्रावण मास में मनाया जाता है।
५. रक्षाबंधन के दिन बहनें पूजा की थाली में क्या-क्या सजाते हैं?
उत्तर: रक्षाबंधन के दिन बहनें पूजा की थाली में राखियाँ, चावल के दानें, अगरबत्तियाँ और मिठाइयाँ सजाती हैं।