राजभाषा के रूप में हिंदी का भविष्य, हिंदी का भविष्य क्या है?
अभी तक न केवल अपने अस्तित्व को बनाए रखा है अपितु अपना आशाती प्रसार भी किया है। विश्व हिंदी सम्मेलन के सदस्य देशों की संख्या में वृद्धि और हिंदी की वैश्विक लोकप्रियता ने राजभाषा के रूप में हिंदी के स्थान को सशक्त बनाया है विश्व में (बढ़ते) भारत के बढ़ते प्रभाव के कारण विदेशों में भी हिंदी के पठन-पाठन पर जोर दिया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप सरकारी और अर्द्धसरकारी कार्यालयों में हिंदी में काम करना लोगों के लिए लज्जा की बात नहीं है। राजभाषा के रूप में यह हिंदी भाषा के उज्जवल भविष्य का द्योतक वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में वाणिज्य दृष्टि से भारत विश्व का सबसे बड़ा बाजार है और इसका लाभ उठाने के लिए विश्व के सभी देश हिंदी भाषा को महत्व दे रहे हैं शिक्षा के प्रचार प्रसार में देशवासियों के अंदर राष्ट्र और राष्ट्रीयता की भावना को उभारा है। नई पीढ़ी हिंदी भाषा का उपयोग करने में स्वयं को गौरवान्वित कर रही है चाहे उनकी शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में क्यों ना हुई हो। विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों के जरिए भेजे जाने वाले संदेशों सूचनाओं और अन्य पत्रों प्रपत्रों में अभी अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं का उपयोग किया जाता है यदि इसमें से अंग्रेजी को हटाकर केवल हिंदी का उपयोग हो तो या हिंदी को विश्वस्तरीय पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। राजभाषा के रूप में हिंदी का भविष्य नई पीढ़ी के हाथ में है यदि यह पीढ़ी अपनी भाषा के गौरव को समझे और उसके महत्व को माने तो भाषा जगत में हिंदी नई ऊंचाइयों को छू सकती है। अंग्रेजों के वर्चस्व को भी इसी तरह से समाप्त किया जा सकेगा देश की परिस्थितियां और वर्तमान समय की स्थिति यदि अनुकूल रही तो देश भारत में सरकारी और गैर सरकारी कामकाज के लिए अंग्रेजी और हिंदी का नहीं वरन हिंदी और केवल हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाएगा। गैर सरकारी विद्यालयों में हिंदी माध्यम के विद्यालयों की संख्या निरंतर घट रही है। पिछले 5 वर्षों में या संख्या लगभग 8% की दर से घटी है। हिंदी में हस्ताक्षर की परंपरा समाप्त प्राया खत्म होने को है हिंदी भाषा के अंगो का प्रयोग भी नहीं के बराबर होता है। राजभाषा के रूप में अंग्रेजी को हिंदी के समकक्ष रखे जाने के आधार पर अक्सर अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है हिंदी के अन्य शब्द गढ़े जाने के बदले विभिन्न विदेशी भाषाओं के शब्दों को सहजता और स्पष्टता के नाम पर स्वीकार करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। सार्वजनिक स्थानों में और संचार माध्यमों द्वारा अंग्रेजी के उपयोग का प्रचलन बढ़ा है इसका कारण राजनेताओं और फिल्मी हस्तियों और विख्यात लोगों द्वारा अंग्रेजी का अधिक उपयोग करना है आम लोगों पर इसका सीधा असर पड़ता है। अधिकांश बधाई पत्र और निमंत्रण पत्र अंग्रेजी में बने होते हैं सुविधा और उपलब्धता के नाम पर ग्राहक या उपभोक्ता इन्हें ही स्वीकार कर लेते हैं। हिंदी के प्रयोजनमूलक रूप के कारण हिंदी के मूल शब्दों प्रयोग में कभी आई है इस तरह के शब्द प्रचलित होते जा रहे हैं।