नौरंगिया कविता का संदेश ॥ नौरंगिया कविता में निहित संदेश

नौरंगिया कविता में निहित संदेश॥ नौरंगिया कविता का संदेश ॥ Naurangiya Kavita Ka Sandesh Kya Hai

नौरंगिया कविता में निहित संदेश॥ नौरंगिया कविता का संदेश ॥ Naurangiya Kavita Ka Sandesh Kya Hai

‘नौरंगिया’ कविता हमें यह संदेश देती है कि गाँव का जीवन जितना साधारण और सादगी भरा है, उतना ही संघर्षों से भरा हुआ भी है। गाँव के किसान दिन-रात खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं, पसीना बहाते हैं और धरती को सींचकर अन्न उपजाते हैं, लेकिन इसके बावजूद वे अपने परिवार की बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाते। उनके घरों में अभाव की छाया हमेशा बनी रहती है। गरीबी और महाजनी कर्ज़ की जकड़न में गाँव का जीवन आज भी बंधा हुआ है। किसानों की फसल तैयार होते ही महाजन वसूली के लिए उनके दरवाजे पर पहुँच जाते हैं और उनकी मेहनत का अधिकांश हिस्सा कर्ज चुकाने में चला जाता है। इस प्रकार गाँव का जीवन निरंतर संघर्ष और अभाव से घिरा हुआ दिखाई देता है। कवि हमें इस यथार्थ को पहचानने के लिए प्रेरित करते हैं और यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि आखिर इन समस्याओं का स्थायी समाधान कौन निकालेगा – क्या सरकार इसके लिए ठोस कदम उठाएगी या समाज स्वयं आगे बढ़कर इस समस्या को हल करने का प्रयास करेगा?

कविता का मुख्य संदेश यही है कि हमें ग्रामीण जीवन की असलियत को समझना चाहिए और गाँव की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण जीवन केवल खेतों और हरियाली तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें कठिनाइयाँ, अभाव और निरंतर संघर्ष भी शामिल हैं। नौरंगिया जैसी महिलाएँ हमें यह दिखाती हैं कि गाँव की स्त्रियाँ कितनी मज़बूत, धैर्यवान और साहसी होती हैं। वे अपनी कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानतीं और परिवार तथा समाज के लिए खड़ी रहती हैं। उनका संघर्ष, उनका धैर्य और उनकी जिम्मेदारियाँ वास्तव में प्रेरणादायक हैं।

कविता यह भी सिखाती है कि असली ताकत धन-दौलत में नहीं, बल्कि ईमानदारी, मेहनत और धैर्य में होती है। नौरंगिया जैसी औरतें ही गाँव की आत्मा हैं, जो अपने संघर्ष, श्रम और हिम्मत से न केवल अपने परिवार को सँभालती हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आशा की किरण बनती हैं। उनकी जीवन गाथा हमें यह सिखाती है कि इंसान की असली पहचान उसकी मेहनत और सहनशीलता में होती है।

अंततः, ‘नौरंगिया’ कविता का स्पष्ट संदेश यही है कि हमें गाँवों की गरीबी, पिछड़ेपन और समस्याओं को दूर करने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए। यदि सरकार और समाज दोनों मिलकर काम करें, तभी गाँव के लोग सम्मान और खुशी से जीवन जी पाएँगे। गाँव की खुशहाली ही देश की असली प्रगति है और ‘नौरंगिया’ कविता हमें इसी दिशा में सोचने और कदम उठाने की प्रेरणा देती है।

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