नौरंगिया शीर्षक कविता के आधार पर कवि की नारी भावना को स्पष्ट कीजिए।

नौरंगिया शीर्षक कविता के आधार पर कवि की नारी भावना को स्पष्ट कीजिए।

नौरंगिया शीर्षक कविता के आधार पर कवि की नारी भावना को स्पष्ट कीजिए।

कैलाश गौतम की कविता “नौरंगिया” में नारी भावना का चित्रण अत्यंत सशक्त और प्रेरक है। इस कविता में नौरंगिया एक ग्रामीण युवती के रूप में प्रस्तुत की गई है, जो अपनी मेहनत, साहस और आत्मनिर्भरता से सभी कठिनाइयों का सामना करती है। कवि ने नारी को केवल एक संवेदनशील प्राणी के रूप में नहीं, बल्कि संघर्षशील और सशक्त व्यक्तित्व के रूप में उभारा है। नौरंगिया अपनी इच्छाओं और सपनों के प्रति वफादार है, भले ही आर्थिक तंगी और सामाजिक दबाव उसके सामने हों। उसकी आँखों में सुनहरे भविष्य की आकांक्षाएँ हैं, जो यह दर्शाती हैं कि कवि नारी को केवल घर-परिवार तक सीमित नहीं बल्कि अपने सपनों और लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ने वाली शक्ति मानते हैं।

कविता में नौरंगिया की स्थिति और संघर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। गाँव के प्रभावशाली लोग उसकी कामुकता और सुंदरता का लाभ उठाना चाहते हैं, लेकिन वह अपने आत्मसम्मान और साहस के बल पर इन चुनौतियों का सामना करती है। अपने पति की अकर्मण्यता के बावजूद वह अपने जीवन को गरिमा और शान से जीती है। नौरंगिया अपने बल-बूते पर खेतों का काम करती है, किसी भी विपत्ति से डरती नहीं और समाज के अन्याय के खिलाफ लोहा लेती है। इससे कवि यह संदेश देते हैं कि नारी केवल सहनशील नहीं होती, बल्कि परिस्थितियों से टकराने और अपनी पहचान बनाने में भी सक्षम होती है।

कविता का मुख्य उद्देश्य नारी को सशक्त, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रूप में प्रस्तुत करना है। नौरंगिया के व्यक्तित्व में कर्मठता, साहस, मेहनत और आत्मसम्मान की झलक मिलती है। आर्थिक तंगी, सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत चुनौतियों के बावजूद उसका हौसला कभी कम नहीं होता। कैलाश गौतम यह स्पष्ट करते हैं कि नारी अबला नहीं, बल्कि समाज और परिवार में अपनी शक्ति और महत्व को पहचानने वाली शक्ति है। “नौरंगिया” कविता यह संदेश देती है कि आने वाली नारियाँ अपने परिश्रम, साहस और आत्मविश्वास के बल पर अपने जीवन को संवार सकती हैं और समाज में अपनी नई पहचान स्थापित कर सकती हैं।

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