सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रश्न उत्तर कक्षा 7 ॥ Sardar Vallabhbhai Patel Question Answer Class 7

सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रश्न उत्तर कक्षा 7 ॥ Sardar Vallabhbhai Patel Question Answer Class 7 ॥ सरदार वल्लभ भाई पटेल पाठ का प्रश्न उत्तर कक्षा 7 

सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रश्न उत्तर कक्षा 7 ॥ Sardar Vallabhbhai Patel Question Answer Class 7 ॥ सरदार वल्लभ भाई पटेल पाठ का प्रश्न उत्तर कक्षा 7 

डॉ राधाकृष्णन का जीवन परिचय

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के महान दार्शनिक, विचारक और विद्वान थे, जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तानी में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे मेधावी और गंभीर स्वभाव के थे। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की और यहीं से उनके विद्वान व्यक्तित्व की शुरुआत हुई। आगे चलकर उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपने शिक्षक जीवन की शुरुआत की। उनका विवाह शिवकामम्मा से हुआ था। उनके छह बच्चे थे, जिनमें उनके पुत्र सर्वपल्ली गोपाल आगे चलकर एक प्रसिद्ध इतिहासकार बने।

एक शिक्षक के रूप में डॉ. राधाकृष्णन का करियर बेहद प्रेरणादायक रहा। उन्होंने मैसूर, कलकत्ता और आंध्र विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और कुलपति के रूप में महत्वपूर्ण सेवाएँ दीं। भारतीय दर्शन को दुनिया तक पहुँचाने में उनका योगदान बेहद बड़ा था। वर्ष 1936 में उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नैतिकता के स्पैलडिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने लगभग 16 वर्षों तक पढ़ाया। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “भारतीय दर्शन” के माध्यम से पश्चिमी देशों में भारत के दर्शन और संस्कृति की गहरी समझ विकसित हुई।

शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के साथ-साथ उन्होंने राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद वे 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे। वर्ष 1952 में वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने और दस वर्षों तक इस पद पर कार्य किया। 1962 में वे देश के दूसरे राष्ट्रपति चुने गए और 1967 तक अपने शांत, विनम्र और प्रेरणादायक नेतृत्व से देश का मार्गदर्शन करते रहे। उनके व्यक्तित्व में विद्वता, सरलता और विनम्रता का अद्भुत संगम दिखाई देता था।

डॉ. राधाकृष्णन को 1954 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। शिक्षा जगत में उनके अमूल्य योगदान को याद रखने के लिए हर वर्ष 5 सितंबर को भारत में “शिक्षक दिवस” मनाया जाता है। यह दिन विद्यार्थियों को यह सीख देता है कि शिक्षक हमारे जीवन में ज्ञान, संस्कार और मार्गदर्शन देने वाले सच्चे पथप्रदर्शक होते हैं। 17 अप्रैल 1975 को डॉ. राधाकृष्णन का निधन हो गया, लेकिन शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में उनके योगदान हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर : निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए।

क) सरदार वल्लभ भाई पटेल पाठ के लेखक हैं :
(क) डॉ० जाकिर हुसैन
(ख) डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद
(ग) डॉ॰ राधा कृष्णन
(घ) डॉ॰ अवुल कलाम

उत्तर :
(ग) डॉ॰ राधा कृष्णन

ख) आज चारों ओर किसकी काफी चर्चा रहती है?
(क) दुराचार की
(ख) भ्रष्टाचार की
(ग) अत्याचार की
(घ) व्यभिचार की

उत्तर :
(ख) भ्रष्टाचार की

ग) स्वतंत्रता के दिनों में महात्मा गांधी के विश्वसनीय लेफ्टिनेंट थे :
(क) पं० जवाहरलाल नेहरू
(ख) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(ग) मदन मोहन मालवीय
(घ) राजेन्द्र प्रसाद

उत्तर :
(ख) सरदार वल्लभ भाई पटेल

घ) हमें अपने मतभेदों को क्या करके देश में पूर्ण संगठन और एकता लानी होगी?
(क) जगाकर
(ख) भुलाकर
(ग) फैलाकर
(घ) सुलाकर

उत्तर :
(ख) भुलाकर

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1) सरदार वल्लभभाई पटेल कौन थे?

उत्तर :
सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रनिर्माताओं में से एक थे। उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ भी कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत दृढ़ इच्छाशक्ति वाले और निडर नेता थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद वे देश के पहले गृहमंत्री बने।

2) सरदार वल्लभभाई पटेल ने किस प्रकार के परिवार में जन्म लिया था?

उत्तर :
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म एक साधारण कृषक (किसान) परिवार में हुआ था। उनका परिवार मेहनती, सादा जीवन जीने वाला और बड़े मूल्यों वाला था।

3) पटेल किसके आदेशों का पालन करते थे?

उत्तर :
पटेल अपने प्रिय नेता महात्मा गांधी के आदेशों और मार्गदर्शन का पालन करते थे।

4) सबसे पहले और सबसे ऊपर हमें अपने आपको क्या मानना चाहिए?

उत्तर :
सबसे पहले और सबसे ऊपर हमें अपने आपको भारतीय मानना चाहिए। इसी भावना से देश में एकता, भाईचारा और राष्ट्रप्रेम बना रहता है।

5) पटेल के जीवन को हम कितने भागों में देख सकते हैं?

उत्तर :
पटेल के जीवन को हम तीन मुख्य भागों में देख सकते हैं—

  1. एक क्रांतिकारी के रूप में, जब वे आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय रहे।
  2. एक राजनेता के रूप में, जब उन्होंने देश की राजनीति को मजबूत दिशा दी।
  3. एक प्रशासक के रूप में, जब उन्होंने रियासतों का एकीकरण कर देश को संगठित किया।

6) पटेल के कार्यों का सबसे महत्वपूर्ण भाग किस रूप में था?

उत्तर :
पटेल के कार्यों का सबसे महत्वपूर्ण भाग राजनेता के रूप में था। एक राजनेता के रूप में उन्होंने देश को संगठित किया, रियासतों का एकीकरण किया और स्वतंत्र भारत की नींव मजबूत बनाई।

7) नेहरू जी ने पटेल जी के बारे में क्या कहा था?

उत्तर :
नेहरू जी ने पटेल जी के बारे में कहा था कि पटेल भारतीय एकता के संस्थापक थे। अपनी समझाने की अद्भुत शक्ति, राजनयिक कुशलता और राजनीतिक चातुर्य के बल पर उन्होंने देश में प्रशासनिक एकता स्थापित की, जो एक मजबूत और संगठित भारत के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक थी।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर

1) राज्यों के एकीकरण के लिए पटेल ने क्या किया?

उत्तर :
राज्यों के एकीकरण के लिए पटेल ने स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद अपनी अद्भुत सूझबूझ, दृढ़ संकल्प, और समझाने की क्षमता का उपयोग किया। उन्होंने लगभग 500 से अधिक छोटे-छोटे रियासतों को भारत के संघ में शांतिपूर्वक मिला दिया। यह कार्य भारत की प्रशासनिक एकता और एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण की सबसे महत्वपूर्ण नींव साबित हुआ।

2) एक प्रशासक के रूप में पटेल के कार्यों का परिचय दीजिए।

उत्तर :
एक प्रशासक के रूप में पटेल ने अपनी अद्भुत संगठन क्षमता और प्रभावी नेतृत्व का परिचय दिया। गुजरात में बाढ़ आने पर उन्होंने लोगों की सहायता के लिए कार्यों को व्यवस्थित किया। वे बारडोली आंदोलन के मुख्य आयोजक थे, जहाँ उन्होंने किसानों को संगठित कर उनका नेतृत्व किया। वे अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष भी रहे, जहाँ उन्होंने शहर में साफ-सफाई, पानी, सड़कें और अन्य सुविधाओं को सुधारकर उसे अधिक आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाया। इस प्रकार, उन्होंने जहाँ भी जिम्मेदारी संभाली, वहाँ उत्कृष्ट प्रशासन और संगठन शक्ति का परिचय दिया।

3) सरदार पटेल के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
सरदार पटेल का चरित्र कई महान गुणों से भरा हुआ था। वे हमेशा अनुशासन में रहते थे और राष्ट्रहित को अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर मानते थे। वे कम बोलते थे, लेकिन उनकी बातों में स्पष्टता, दृढ़ता और दूरदर्शिता झलकती थी। किसानों के हितों में उनकी गहरी रुचि थी। वे साहसी, देशभक्त और कुशल प्रशासक थे। उनमें लोगों को सहजता से समझाने की शक्ति, राजनयिक दक्षता और राजनीतिक चातुर्य था। इसके अलावा वे कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित, आज्ञाकारी और देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने के लिए सदैव तैयार रहने वाले व्यक्ति थे। उनके भीतर जनसेवा, त्याग, और निस्वार्थ भाव का अद्भुत समन्वय था।

4) एक राजनेता के रूप में पटेल के महत्त्व का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :
एक राजनेता के रूप में पटेल का योगदान अत्यंत महान और ऐतिहासिक था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने अपनी सूझबूझ, दृढ़ संकल्प और समझाने की शक्ति का उपयोग करके लगभग 500 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में मिला दिया। यह कार्य आसान नहीं था, लेकिन अपनी राजनीतिक कुशलता और राजनयिक क्षमता से वे इसे सफलतापूर्वक कर पाए। उनके प्रयासों से देश में प्रशासनिक एकता स्थापित हुई, जो एक मजबूत और संगठित भारत के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक थी। इसीलिए उन्हें भारतीय एकता का संस्थापक भी कहा जाता है। राजनीतिक दृष्टि से उनका यह कार्य आज भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जाता है और आधुनिक भारत की नींव में उनका योगदान सदा याद किया जाएगा।

5. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

(क) यह वह कार्य है जो आज भी किया जाना शेष है।

i ) प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए।

उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम डॉ. राधाकृष्णन है।

ii) कौन-सा कार्य किया जाना शेष है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
सरदार पटेल ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में लोगों को जाति, संप्रदाय और आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुट करने का कार्य किया था। उनका उद्देश्य था कि सभी भारतीय मिलकर एकता के साथ देश के लिए काम करें। लेकिन आज भी लोगों में पूर्ण एकता लाना, आपसी भेदभाव मिटाना और सबको देशहित में एक साथ खड़ा करना पूरी तरह से नहीं हो पाया है। इसीलिए लोगों को संगठित करना और एकता स्थापित करना—यह महत्वपूर्ण कार्य आज भी किया जाना शेष है।

(ख) ‘यह एक ऐसा एकीकरण है जो आज भी हमारा उद्देश्य है।’

i) यह पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?

उत्तर :
यह पंक्ति सरदार वल्लभभाई पटेल पाठ से उद्धृत है।

ii) एकीकरण का क्या तात्पर्य है?

उत्तर :
एकीकरण का तात्पर्य है — छोटे-छोटे राज्यों या क्षेत्रों को मिलाकर एक एकीकृत राष्ट्र बनाना। भारत की स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने लगभग 500 रियासतों को भारत के संघ में सम्मिलित करके देश का राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण किया। इससे भारत एक संगठित और मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित हो पाया।

3) हमारा उद्देश्य क्या है? उद्देश्य कैसे पूर्ण होगा?

उत्तर :
हमारा उद्देश्य यह है कि सरदार पटेल द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय एकीकरण तब तक जारी रहे, जब तक हम सब पूरी तरह यह महसूस न कर लें कि हम एक ही राष्ट्र के नागरिक हैं।

यह उद्देश्य तभी पूरा होगा जब—

  • हम जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के भेदभाव को अपने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश न करने दें।
  • हम सबसे पहले अपने आपको भारतीय मानें।
  • देश के हित को व्यक्तिगत या समूह हित से ऊपर रखें।

जब सभी भारतीय एकता, भाईचारे और राष्ट्रभावना के साथ मिलकर काम करेंगे, तब यह उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा।

(ग) ‘वह हमारी हार्दिक आशा है कि देश को इस प्रकार की दिशा मिले।’

i) यह किसका कथन है?

उत्तर :
यह कथन डॉ. राधाकृष्णन का है।

ii) वक्ता देश को कैसी दिशा मिलने की आशा प्रकट करता है?

उत्तर :
वक्ता आशा प्रकट करता है कि देश को ऐसी दिशा मिले जिसमें—

  • भारत के लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठे,
  • देश के युवक-युवतियों को सही और सकारात्मक दृष्टिकोण मिले,
  • और भारत अपने पड़ोसी देशों से मैत्रीपूर्ण एवं गहरे संबंध स्थापित करे।

वक्ता चाहता है कि देश प्रगति, शांति और सहयोग की राह पर आगे बढ़े।

भाषा-बोध

1) निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग एवं मूल शब्द पृथक कीजिए। 

  1. अनुशासितअनु + शासित
  2. सबल + बल
  3. अपव्ययअप + व्यय
  4. सुनिश्चितसु + निश्चित

2) निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय पृथक कीजिए। 

  1. क्रांतिकारी — क्रांति + कारी
  2. साम्प्रदायिक — सम्प्रदाय + इक
  3. आध्यात्मिक — आध्यात्म + इक
  4. मानसिक — मन/मानस + इक
  5. इच्छाओं — इच्छा + ओं

3) निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय पृथक कीजिए। 

  1. भिन्न – अभिन्न
  2. अनुकूल – प्रतिकूल
  3. एकता – अनेकता
  4. धर्म – अधर्म
  5. उत्थान – पतन
  6. नैतिक – अनैतिक

4) निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग वाक्य में कीजिए। 

  1. एकीकरण — भारत के विभिन्न राज्यों का एकीकरण सरदार पटेल की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
  2. बेरोजगारी — देश में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है।
  3. मतभेद — आपसी मतभेद दूर होने पर ही समाज में एकता स्थापित हो सकती है।
  4. अप्राकृतिक — मौसम में अचानक आया यह परिवर्तन बिल्कुल अप्राकृतिक लग रहा था।
  5. अधःपतन — गलत संगति व्यक्ति के नैतिक अधःपतन का कारण बनती है।

विचार और कल्पना: 

1) सरदार पटेल महात्मा गांधी के अनुयायी थे। गांधी जी के आदर्शों एवं विचारों को जानने के लिए उनकी जीवनी का अनुशीलन कीजिए। 

उत्तर :
सरदार पटेल महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायी थे। गांधी जी के आदर्शों और विचारों को समझने के लिए उनकी जीवनी का अनुशीलन (अध्ययन) किया जा सकता है। गांधी जी के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण संदेश मिलते हैं—

  1. सत्य और अहिंसा — गांधी जी का मुख्य आधार सत्य बोलना और अहिंसा का पालन करना था। वे मानते थे कि किसी भी संघर्ष का समाधान शांति से संभव है।
  2. सादगी — गांधी जी का जीवन अत्यंत सादा था। वे कम साधनों में भी संतोषपूर्वक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
  3. करो या मरो का संकल्प — राष्ट्रहित के लिए दृढ़ निश्चय और पूर्ण समर्पण उनकी विशेषता थी।
  4. स्वदेशी का विचार — गांधी जी देश की आर्थिक उन्नति के लिए स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देते थे।
  5. समानता और भाईचारा — जाति, धर्म या वर्ग का भेदभाव उनके लिए महत्वहीन था। वे हर व्यक्ति को समान मानते थे।
  6. जनसेवा की भावना — गांधी जी का संपूर्ण जीवन जनता की सेवा, समाज सुधार और देश की स्वतंत्रता को समर्पित था।
  7. आत्मबल और आत्मविश्वास — उन्होंने सिखाया कि हर इंसान में दुनिया बदलने की शक्ति है, बस आत्मविश्वास और साहस चाहिए।

इन सब आदर्शों को पढ़कर और समझकर हम जान सकते हैं कि क्यों सरदार पटेल जैसे महान नेता गांधी जी को अपना मार्गदर्शक मानते थे और उनके पदचिन्हों पर चलते थे।

2) एक राजनेता में किन गुणों का होना आवश्यक है? अपना अभिमत प्रकट कीजिए।

मेरे विचार से एक सच्चे और योग्य राजनेता में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है—

  1. ईमानदारी — राजनेता को सत्यनिष्ठ और भ्रष्टाचार से दूर होना चाहिए।
  2. दूरदर्शिता — उसे देश के भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लेने चाहिए।
  3. नेतृत्व क्षमता — लोगों को सही दिशा दिखाने और संगठित करने की क्षमता होनी चाहिए।
  4. जनसेवा की भावना — राजनेता का उद्देश्य जनता की भलाई और विकास होना चाहिए।
  5. निर्णय क्षमता — कठिन परिस्थितियों में भी समझदारी और दृढ़ता से निर्णय लेना चाहिए।
  6. त्याग और धैर्य — राजनेता को देशहित के लिए त्याग करने और कठिनाइयों में धैर्य रखने की क्षमता होनी चाहिए।
  7. संचार कौशल — वह अपने विचारों को सरल और प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुँचा सके।
  8. समानता का भाव — जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को समान रूप से देखना चाहिए।

इस प्रकार, एक अच्छा राजनेता वही है जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ईमानदारी, सेवा, साहस और दूरदर्शिता के साथ देश का नेतृत्व करे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल पाठ का सारांश

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की स्वतंत्रता के महान निर्माताओं में से एक थे। इस पाठ में डॉ. राधाकृष्णन ने उनके स्वभाव और काम का बहुत सही चित्रण किया है। पटेल का जीवन तीन रूपों में दिखाई देता है—एक क्रांतिकारी, एक राजनेता और एक प्रशासक। आज़ादी से पहले वे एक अनुशासित सिपाही थे, जो महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलते थे। उन्होंने जो भी काम किया, वह गांधीजी की इच्छा के अनुसार किया। बोरसद, बारदोली और आज़ादी के कई आंदोलनों में वे हमेशा सबसे आगे रहे। वे कम बोलते थे, लेकिन साफ बोलते थे, दृढ़ निश्चयी और दूरदर्शी थे। किसान परिवार से होने के कारण किसानों की समस्याओं और हितों में उनकी गहरी रुचि थी।

स्वतंत्रता के बाद एक राजनेता के रूप में उनका काम सबसे महत्वपूर्ण था। केवल दो वर्षों में उन्होंने अपनी समझदारी और लोगों को मनाने की क्षमता से लगभग 500 रियासतों को भारत में मिला दिया। नेहरू जी ने भी कहा कि पटेल भारत की एकता के निर्माता थे। अपनी समझ, राजनीति में कुशलता और बातचीत की क्षमता से उन्होंने देश में प्रशासनिक एकता स्थापित की, जो मजबूत भारत की नींव है। देश में आज भी कई जगह जाति और धर्म के भेदभाव दिखाई देते हैं, इसलिए सबसे पहले हमें खुद को भारतीय मानना चाहिए।

लंदन के एक अखबार ने पटेल की उपलब्धि की तुलना जर्मनी के महान नेता बिस्मार्क से की थी। जब उनकी मृत्यु हुई, तब ‘लंदन टाइम्स’ ने भी यही लिखा। पटेल एक साहसी देशभक्त और समझदार प्रशासक थे। कहा जाता है कि एक समय तीन बड़े नेता—राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल—अपने-अपने शहरों की नगरपालिकाओं के अध्यक्ष थे। पटेल कहते थे कि हमें अपने झगड़ों को भूलकर देश में एकता लानी चाहिए। हमें मानवता और महान भारत के विचार को सबसे आगे रखना चाहिए।

एक प्रशासक के रूप में उन्होंने गुजरात में बाढ़ आने पर और बारदौली आंदोलन के समय बेहतरीन काम किया। उन्होंने जहाँ भी काम किया, अद्भुत संगठन क्षमता दिखाई। अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने शहर को आधुनिक बनाया। उनका कहना था कि जब तक हम गरीबी, भूख, बेरोजगारी और बीमारी को खत्म नहीं करते, तब तक लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधर सकता।

सरदार पटेल का जीवन हमें आधुनिक भारत के महान त्यागियों की याद दिलाता है। उनके गुण—कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन, आज्ञापालन, साहस और देश के लिए प्राण देने की भावना—हम सबके लिए आदर्श हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे गांधीजी के सबसे भरोसेमंद साथी थे। गांधीजी के शब्द उनके लिए आदेश थे और उनके मार्गदर्शन में उन्होंने बोरसद और बारदौली में सिविल असहयोग आंदोलन चलाया।

महाराजा ग्वालियर ने भी पटेल की दूरदर्शिता और उनके काम की प्रशंसा की थी। वे कभी-कभी क्रोधित होते थे, पर उन्होंने अपनी शांति और संतुलन कभी नहीं खोया। वे घमंडी नहीं थे और अतीत से गहरा लगाव रखते थे। उनका मानना था कि जीवन को अतीत को समझकर और भविष्य की ओर बढ़ते हुए जीना चाहिए, लेकिन अतीत में फँसकर नहीं रहना चाहिए।

हमें हमेशा आदर्शों से जुड़े रहना चाहिए और क्रांति के मूल सिद्धांतों को नहीं छोड़ना चाहिए। अनुशासन और आज्ञाकारिता के माध्यम से सरदार पटेल ने स्वतंत्रता का सच्चा मार्ग दिखाया। वे एक साहसी क्रांतिकारी, बुद्धिमान नेता और आदर्श प्रशासक थे। यदि हम उनके गुणों को याद रखते रहें, तो देश आगे बढ़ता रहेगा और उनकी प्रेरणा हमें हमेशा मार्गदर्शन देती रहेगी।

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