शिक्षा का अर्थ ( shiksha ka arth ) शिक्षा की अवधारणा (Concept of education)

 Concept of education शिक्षा की अवधारणा

शिक्षा से ही व्यक्ति सही रूप में चिंतन करना सीखता है। तत्वों के संग्रह मात्रा का नाम शिक्षा नहीं है। इसका सार मन में एकाग्रता के रूप में प्रकट होना चाहिए। शिक्षा व्यक्तियों का निर्माण करती है। चरित्र को उत्कृष्ट बनाती है और व्यक्ति को संसारिक करती है। जो मनुष्य को मनुष्य बनाती है, वही सही अर्थ में शिक्षा है।  मस्तिष्क की शक्तियों का अभ्यास और विकास करना भी शिक्षा है।

    शिक्षा तथा मानव जाति का जन्मांतर का संबंध है। शिक्षा वास्तव में एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक मानव की छुपी हुई शक्तियों को विकसित किया जाता है। या उजागर किया जाता है। शिक्षा आंतरिक वृद्धि तथा विकास की ना समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। इसकी अवधि जन्म से मृत्यु तक फैली हुई है। शिक्षा उस विकास का नाम है अवस्था से प्रौढ़ावस्था तक शिक्षा होती ही रहती है। अर्थात शिक्षा वह क्रम है जिसे मानव अपने को आवश्यकता अनुसार भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना देता है। शिक्षा का वास्तविक अर्थ मनुष्य को मानव बनाना तथा जीवन को प्रगति मिल, सांस्कृतिक एवं सभ्य बनाना है। शिक्षा द्वारा ही मनुष्य अपने विचार शक्ति, तर्कशक्ति, समस्या समाधान तथा बौद्धिकता, प्रतिभा, रुझान, धनात्मक, भावुकता, कोमलता, अच्छे मूल्य, तथा रुचियों को विकसित करता है। मनुष्य प्रतिदिन तथा हर क्षण, हर पल कुछ ना कुछ सीखता है। इसका समस्त जीवन ही शिक्षा है। इसका संबंध सदा विकसित होने वाले मानव तथा समाज के साथ है। इसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास उसके ज्ञान एवं कला पोषण में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है।
शिक्षा व्यक्ति को एक फूल की भांति विकसित होने में सहायता करती है। जो अपने सुगंध वातावरण में चारों ओर फैलाता है। जैसे कि लोके शब्दों में “पौधे कृषि से विकसित होते हैं और बालक मनुष्य शिक्षा से।”

शिक्षा का अर्थ

शिक्षा के अर्थ को हम विभिन्न रूपों में देख सकते हैं-

शिक्षा का अर्थ shiksha ka arth

# शिक्षा का अर्थ 4H के विकास संदर्भ में:-

शिक्षा का अर्थ व्यक्ति के 4 पक्षों का समायोजित विकास भी माना जाता है। जो चित्र द्वारा दर्शाया गया है।
मस्तिक अथवा दिमाग विकास
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स्वास्थ्य का विकास<=  [ शिक्षा का अर्थ ] => हृदय का विकास
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हाथ का विकास

# भारतीय भाषा के संदर्भ में शिक्षा का अर्थ :-

शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 2 शब्दों से मानी जाती हैं एक है मिक्ष धातु तथा माक्ष धातु
मिक्ष धातु का अर्थ है सीखने आत्मज्ञान प्राप्त करना अथवा अध्ययन करना।
माक्ष धातु का अर्थ है अनुशासन में रखना नियंत्रण में रखना तथा निर्देश देना।

#अंग्रेजी भाषा के संदर्भ में शिक्षा का अर्थ:-

शिक्षा को अंग्रेजी भाषा में education कहते हैं विद्वानों के अनुसार इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के निम्न शब्दों से हुई है।
शब्द                                   अर्थ
१. Education :    to trained, at toteaching शिक्षित करना, पढ़ाना
२. Educese :        To lead out, विकसित करना, बाहर निकालना।
३. Educase  :        To being up or to raise, आगे बढ़ाना, बाहर निकालना अथवा विकसित करना।

लैटिन के भाषा education का अर्थ है। शिक्षित करना। इसमें E का अर्थ है अंदर से तथा Duco का अर्थ है आगे बढ़ाना अथवा विकसित करना अर्थात अंदर से विकास करना। प्रत्येक बालक के अंदर जन्म से ही कुछ जन्मजात प्रवृतियां होती है। जैसे-जैसे बालक वातावरण के संपर्क में आता है। वैसे वैसे उनकी जन्मजात शक्तियां विकसित होती जाती है। इस प्रकार शिक्षा का अर्थ है जन्मजात बालक की शक्तियों को अंदर से बाहर की ओर विकसित करना। अंदर को डालना नहीं। इस प्रकार शिक्षा का अर्थ जब मिजाज शक्तियों को विकसित करना है।

#शिक्षा का अर्थ 7R’s के संदर्भ में या जनतंत्र में शिक्षा का अर्थ शिक्षा का विशेष अर्थ:-

परंपरागत शिक्षा व्यवस्था में 3R’s जोकि विषयों के ज्ञान के प्रतिक है उन पर‌ बल दिया जाता था। दूसरे शब्दों में उस समय केवल ज्ञान पक्ष की प्रधानता थी छात्र के जीवन के अन्य पक्षों पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता था। परंतु आज जनतंत्र में या प्रजातंत्र में इस बात को प्राथमिकता दी जाती है। छात्र तथा अपने अधिकार तथा उत्तरदायित्व में समन्वय स्थाई करें। साथ ही मनोरंजन के साधनों पर उचित ध्यान दें। अब शैक्षिक संस्थाओं में विषयों के साथ साथ जीवन में रहने की कला में प्रशिक्षक का प्रधान किया जा रहा है।

शिक्षा का अर्थ ( shiksha ka arth )

शिक्षा का संकुचित अर्थ :-

शिक्षा के संकुचित अर्थ को स्कूली शिक्षा भी कहा जाता है। इसके अनुसार शिक्षा केवल शिक्षण संस्थाओं में दी जाने वाली शिक्षा है यह शिक्षा एक निश्चित समय या उम्र से प्रारंभ होती है। और एक निश्चित उम्र पर जाकर समाप्त हो जाती है। इसका एक विशेष प्रकार का पाठ्यक्रम भी होता है। इस रूप में व्यास्क वर्ग एक फोर्ट निश्चित योजना के अनुसार बालक के सामने एक विशेष प्रकार के नियंत्रित वातावरण को प्रस्तुत करके एक निश्चित ज्ञान को निश्चित विधि के द्वारा निश्चित कार्य में निश्चित समय में समाप्त करने का प्रयास करता है। जिसे उसका (बालक) का मानसिक विकास हो जाए। शिक्षा केस इस अर्थ में शिक्षा का स्थान मुख्या होता है। तथा बालक का द्वितीय स्थान है। शिक्षा से या आशा की जाती है कि वह बालक को मानसिक दृष्टि से विकसित करने के लिए अधिक से अधिक ज्ञान दे संकुचित अर्थ के अनुसार शिक्षा बालक की स्वतंत्रता का गला घोटकर इसकी स्वाभाविक विकास को प्रभावित करता है।

संकुचित शिक्षा का परिभाषा


एस एस मैकेंजी के अनुसार: –
संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ हमारी व्यक्तियों के विकास तथा सुधार के लिए चेतना पूर्वक किए गए प्रयासों से हो सकता है।

प्रोफेसर ड्रीवर के अनुसार :- शिक्षा एक प्रक्रिया है। जिसमें तथा जिसके द्वारा बालक के ज्ञान चरित्र तथा व्यवहार को एक विशेष सांचे में ढाला जाता है।

शिक्षा का व्यापक अर्थ

शिक्षा का व्यापक अर्थ के अनुसार यह संपूर्ण संसार शिक्षा क्षेत्र हैं। प्रति व्यक्ति, बालक, युवा, वृद्ध स्त्री, पुरुष सभी विद्यार्थी है। फिर सब जीवन पर्यंत कुछ ना कुछ सीखते ही रहते हैं। अतः व्यक्ति का संपूर्ण जीवन उसका शिक्षा काल है। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति जहां स्वर दूसरों से कुछ सीखता है। वह दूसरों को भी कुछ ना कुछ शिक्षा देता है। जीवन की छोटी-छोटी घटनाएं भी हमें शिक्षा देती है। इसी प्रकार शिक्षा प्राप्त करने तथा प्रधान करने का कोई निश्चित स्थान नहीं है। शिक्षा व्यापक अर्थ में घर, बाजार, स्कूल तथा खेल कूद के मैदान आदि समस्त स्थानों पर प्राप्त किया जा सकता है। बेसिक शिक्षा किसी विशेष व्यक्ति समय अथवा देश तक ही सीमित नहीं रहती। परंतु जिन व्यक्तियों के संपर्क में आकर बालक जो कुछ भी सीखता है। वे सब उसके शिक्षक है। जिन्हें वह सिखाता है वे सब उसके शिष्य है। तथा जिस स्थान पर सिखाने का कार्य चलता है। उसे विद्यालय कहते हैं। इस प्रकार बालक का समस्त जीवन स्कूल भी तथा शिक्षा का काल भी है।

शिक्षा का व्यापक अर्थ की परिभाषा

डमविल के अनुसार :-  “अपने व्यापक अर्थ में शिक्षा में वे सब प्रभाव सम्मिलित रहते हैं जो व्यक्ति पर उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक पड़ते हैं।”

फ्रेंडसन के अनुसार :– “व्यापक शिक्षा का संबंध व्यक्ति और समाज दोनों के कल्याण से हैं।”

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