गद्य शिक्षण क्या है
हिंदी साहित्य के आधुनिक युग को गद्य युग की संज्ञा दी गई है इसका कारण है गद्य साहित्य की रचना का प्रचुर परिणाम एवं उसके विविध रूपों का विकास गद्य साहित्य की विशालता के अनेक कारण है आधुनिक युग ज्ञान विज्ञान के विकास का युग है सभी ज्ञानात्मक साहित्य, दर्शन, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, विज्ञान, कला कौशल, वाणिज्य, व्यवसाय आदि गद्य में ही है हमारे समस्त शैक्षिक, सामाजिक सांस्कृतिक राजनीतिक व्यवसायिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय क्रिया कल्प अर्थ में गद्य के माध्यम से ही संपन्न होते हैं और इन से संबंधित तथ्य गद्य में ही उपलब्ध है इसीलिए छात्रों के लिए गद्य शिक्षण अत्यंत आवश्यक है।
गद्य शिक्षण के उद्देश्य
गद्य शिक्षण के उद्देश्य को दो भागों में बांटा गया है –
1. सामान्य उद्देश्य
2. विशिष्ट उद्देश्य
1. गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य :- गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य निम्नलिखित है-
१. छात्रों के शब्द उच्चारण को शुद्ध करना।
२. विद्यार्थियों के शब्द भंडार को बढ़ाना।
३. भाषा से संबंधित ज्ञान में वृद्धि करना।
४. विद्यार्थियों को गद्य के विभिन्न शैलियों एवं विधाओं से परिचित कराना।
५. छात्रों में भाषा द्वारा नैतिक एवं चारित्रिक विकास कराना।
६. छात्रों में काल पूर्ण ढंग से वचन कराने की क्षमता उत्पन्न करना।
७. छात्रों में रचनात्मक शक्ति का विकास करना।
८. छात्रों में स्पष्टता क्रमबद्धता एवं मधुरता का विकास करना।
९. छात्रों की तार्किक एवं मनन करने की शक्ति को विकसित करना।
१०. छात्रों में इतनी क्षमता उत्पन्न करना कि वे शब्दों और मुहावरों के उचित प्रयोग को जान सके।
११. छात्रों को हिंदी भाषा के महत्व से परिचित कराना।
2. विशिष्ट उद्देश्य :- गद्य शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य पाठ्य विषय वस्तु के अनुसार परिवर्तित होते हैं विशिष्ट उद्देश्यों के निर्धारण में विषय वस्तु के सभी शिक्षण बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है ये उद्देश्य निम्नलिखित कर्म में लिखे जा सकते हैं –
१. भाषिक तत्वों का ज्ञान कराना -इसके अंतर्गत उच्चारण, शब्द प्रयोग, शब्द रचना, संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय इत्यादि का उल्लेख।
२. विशेष सामग्री का उल्लेख :-पाठ के अंतर्गत भाव्या विचारों का उल्लेख।
३. विचार विश्लेषणात्मक अर्थ ग्रहण:- समीक्षात्मक दृष्टि से आवश्यक उद्देश्यों का उल्लेख।
४. अभिव्यक्ति :-प्रमुख भावों और विचारों को व्यक्त करने की योग्यता का विकास करना।
गद्य शिक्षण की पाठ योजना में उन्हीं सामान्य उद्देश्यों का उल्लेख करना होता है जिनका संबंध उस गद्यांश से होता है। उसके पश्चात गद्य शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्यों को व्यवहारिक रूप में लिखा जाता है।