रामदास कविता का मूल भाव लिखें ।। Ramdas Kavita Ka Mul Bhav Likhiye॥ रामदास कविता का मूल भाव क्लास 10 

रामदास कविता का मूल भाव लिखें ।। Ramdas Kavita Ka Mul Bhav Likhiye॥ रामदास कविता का मूल भाव क्लास 10 

रामदास कविता का मूल भाव लिखें ।। Ramdas Kavita Ka Mul Bhav Likhiye॥ रामदास कविता का मूल भाव क्लास 10 

रघुवीर सहाय की कविता ‘रामदास’ भारतीय लोकतंत्र की त्रासद वास्तविकता और आम नागरिक की असहायता पर गहरी चोट करती है। यह कविता स्वातंत्र्योत्तर भारत की राजनीति, सामाजिक संवेदनहीनता और पूंजीवादी व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य है। इसमें कवि ने ‘रामदास’ नामक आम व्यक्ति के माध्यम से दिखाया है कि कैसे सच बोलने वाले, ईमानदार और अन्याय के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों को समाज में अकेला छोड़ दिया जाता है — यहाँ तक कि उनकी हत्या भी खुलेआम हो जाती है और लोग सिर्फ तमाशबीन बने रह जाते हैं।

रामदास कोई नेता या प्रभावशाली व्यक्ति नहीं है, बल्कि वह एक ऐसा साधारण इंसान है जो अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाता है। उसकी ईमानदारी ही उसकी मृत्यु का कारण बन जाती है। उसे पहले से ही धमकी दी जा चुकी थी कि उसकी हत्या कर दी जाएगी, और उस भयावह क्षण में वह अकेले अपने वध-स्थल की ओर बढ़ता है। चारों ओर भीड़ है, लेकिन कोई साथ नहीं। सब लोग चुप हैं, डरे हुए हैं, और यह जानते हुए भी कि क्या होने वाला है — कोई हस्तक्षेप नहीं करता।

कविता उस भीड़ की भी आलोचना करती है जो बस देखती है, पर कुछ नहीं करती। यह भीड़ उस व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करती है जो अन्याय के खिलाफ खड़ी नहीं होती। रामदास की मौत लोकतंत्र की मौत बन जाती है, और हत्यारा भीड़ को चीरता हुआ निकल जाता है — यह इस बात का प्रतीक है कि अपराधी अब बेखौफ हैं और न्याय की कोई उम्मीद नहीं बची है।

कविता का मुख्य संदेश यह है कि जब समाज का एक सजग नागरिक मारा जाता है और बाकी लोग चुप रहते हैं, तो वह समाज अपने ही लोकतंत्र, न्याय और मानवता को मरने देता है। रामदास का अकेलापन, उसकी असहाय स्थिति और लोगों की चुप्पी मिलकर आज के भारतीय समाज की नैतिक गिरावट और संवेदनहीनता को उजागर करती है।

इस प्रकार, ‘रामदास’ कविता आम आदमी की विवशता, सामाजिक कायरता, और लोकतांत्रिक व्यवस्था की खोखली होती सच्चाई का गहरा, मार्मिक और तीखा चित्रण है।

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