तीसरी कसम कहानी के हिरामन का चरित्र-चित्रण
उत्तर:
फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी ‘तीसरी कसम’ का मुख्य पात्र हिरामन गाड़ीवान है। कहानी का ताना-बाना उसके इर्द-गिर्द बुना गया है और यही उसे कहानी का नायक बनाता है। हिरामन का चरित्र ग्रामीण जीवन की सरलता, ईमानदारी, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। उसका व्यक्तित्व गाँव की मिट्टी और वहां के लोकजीवन से पूरी तरह जुड़ा हुआ है।
भोला-भाला और कुशल गाड़ीवान
हिरामन का नाम ही उसके व्यक्तित्व का परिचायक है। वह अत्यंत भोला-भाला और सहज है। गाड़ी चलाने में वह माहिर है और पूरे क्षेत्र में उसकी ख्याति है। फारबिसगंज का हर व्यापारी और ग्रामीण उसे भरोसेमंद और कुशल गाड़ीवान मानता है। उसकी सरलता और सहजता उसे दूसरों से अलग बनाती है। वह जीवन में किसी भेष-भूषा या दिखावे में विश्वास नहीं करता; उसकी असली पहचान उसकी मेहनत और ईमानदारी है।
ईमानदार और जिम्मेदार
हिरामन की ईमानदारी उसके चरित्र की सबसे प्रमुख विशेषता है। भले ही अनजाने में वह कालाबाजारी का माल ढो चुका हो, वह कानून और पुलिस के शिकंजे में नहीं फंसना चाहता। जब उसकी बैलगाड़ी पकड़ी जाती है, तब भी वह अपने बैलों की सुरक्षा के लिए गाड़ी छोड़कर बैलों के साथ भाग जाता है। यह दिखाता है कि वह अपने कर्मों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग और संवेदनशील है।
लोकगीतों और लोककथाओं का प्रेमी
हिरामन लोककथा और लोकगीतों का बेजोड़ गायक है। उसे पूर्णिया और आसपास के क्षेत्र की लोककथाओं की पूरी जानकारी है। हीराबाई के सामने वह ‘सजनवा बैरी हो गए हमार’ जैसी लोकधुनें गाता है, जिससे हीराबाई उसकी कला की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाती। रास्ते में महुवा घटवारिन से जुड़ी लोककथा सुनाने पर हीराबाई उसे अपना गुरु मान लेती है। इसका अर्थ है कि हिरामन का प्रेम और लगाव केवल व्यक्तियों तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत तक फैला हुआ है।
नाच और मौज का शौक
युवावस्था में हिरामन छोकरा नाच का बड़ा शौकीन था। भाभी ने कई बार उसे इस शौक के कारण डांटा, और भाई ने घर छोड़ने को कहा। यह पहलू उसके चरित्र में जीवन की साधारण खुशियों और ग्रामीण संस्कृति के प्रति उसके लगाव को दर्शाता है। हिरामन आज भी उस जमाने की यादों को संजोकर रखता है, जो उसकी भावनात्मक और सरल स्वभाव की झलक देता है।
प्रेमी हृदय
हिरामन की पहली पत्नी का निधन बालपन में ही हो गया था। दूसरी शादी की उसकी कोई इच्छा नहीं बची थी। लेकिन हीराबाई के साथ बिताए दो दिनों में उसका हृदय प्रेम से भर जाता है। वह हीराबाई के प्रति समर्पित हो जाता है और अपनी मेहनत की कमाई भी उसे देने में पीछे नहीं हटता। यह दिखाता है कि हिरामन का प्रेम स्वाभाविक, निष्कलंक और आदर्श है।
निराश प्रेमी
हीराबाई के जाने के बाद हिरामन का दिल टूट जाता है। उसने उसके साथ अनेक सपने देखे थे। प्रेम में निराश होने पर वह अपनी जिंदगी की तीसरी कसम खाता है – कंपनी की औरतों की लदनी नहीं करेगा। यह घटना उसके चरित्र में ईमानदारी, संकल्प और जीवन के प्रति गंभीरता को उजागर करती है।
सरल व्यक्तित्व और आत्मीयता
हिरामन का व्यक्तित्व सरल और सहज है। वह अपने भाई-भाभी और बैलों के प्रति स्नेहपूर्ण है। अपने बैलों के लिए वह अपने स्वार्थ और संपत्ति को भी त्याग देता है। यदि उसके बैल पकड़े जाते, तो उन्हें कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता, और यही विचार उसे गाड़ी छोड़ने और बैलों को बचाने के लिए प्रेरित करता है।
त्याग और बलिदान की भावना
हिरामन में त्याग और बलिदान की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। भले ही उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़े, वह अपने आदर्शों और कसमों पर अडिग रहता है। प्रेम, ईमानदारी और कर्म के प्रति उसकी निष्ठा उसे आदर्श पात्र बनाती है।
निष्कर्ष:
इस प्रकार हिरामन ‘तीसरी कसम’ का आदर्श पात्र है। उसका चरित्र गाँव की मिट्टी की सौंधी खुशबू और ग्रामीण जीवन की सादगी से बुना गया है। उसकी भोलेपन, ईमानदारी, प्रेम, त्याग और संवेदनशीलता उसे न केवल कहानी का नायक बनाती है, बल्कि आदर्श इंसान के रूप में भी प्रस्तुत करती है।
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