तीसरी कसम कहानी की हीराबाई का चरित्र-चित्रण ॥ तीसरी कसम कहानी की नायिका हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए
‘तीसरी कसम’ कहानी रेणु द्वारा रचित एक प्रमुख आंचलिक कथा है। इस कहानी में हीराबाई नायिका के रूप में उपस्थित हैं, जिनका चरित्र सरल, संवेदनशील और उदार है। उनके व्यक्तित्व में सौंदर्य, कला, आत्मनिर्भरता और सामाजिक चेतना का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। हीराबाई एक अनपढ़-साधारण ग्रामीण महिला हैं, परंतु उनके आचरण और सोच में आधुनिक स्त्री की स्वतंत्रता और आत्मसम्मान झलकता है। उनके चरित्र की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. सहज और सरल व्यक्तित्व
हीराबाई का व्यक्तित्व अत्यंत सरल और सहज है। वह बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने की बजाय, उनकी समस्याओं को समझने और हल करने का प्रयास करती हैं। हीरामन जैसे ग्रामीण युवक के साथ भी वह सहज और आत्मीय व्यवहार करती हैं। उनके व्यवहार में अहंकार नहीं है, बल्कि सहानुभूति और मानवीयता झलकती है।
2. संवेदनशीलता और करुणा
हीराबाई एक अत्यंत संवेदनशील महिला हैं। वह दूसरों के दुख-सुख में सहभागी बनती हैं। महुआ घटवारिन की दुखद कहानी सुनकर उनकी आँखें नम हो जाती हैं। रेलवे स्टेशन पर हीरामन से विदा लेते समय भी उनकी भावनात्मक संवेदनाएँ स्पष्ट होती हैं। यह संवेदनशीलता उन्हें एक आकर्षक और मानवतावादी नायिका बनाती है।
3. भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था
हीराबाई अपनी संस्कृति और परंपराओं को नहीं भूलतीं। नदी में हाथ-मुँह धोने का उनका तरीका, सिर झुका कर पानी में प्रवेश करना और सरल ग्रामीण आचरण उनके भारतीय स्त्रीत्व और परंपरा के प्रति सम्मान को दर्शाता है। उनका स्वभाव शांति और गंभीरता से परिपूर्ण है।
4. उदारता और मानवतावाद
हीराबाई का व्यवहार अत्यंत उदार और न्यायपूर्ण है। नौटंकी कंपनी में काम करने के बावजूद वह अभिजात्य या श्रेष्ठ होने का अहंकार नहीं दिखातीं। वह हीरामन और अन्य साथी कलाकारों के प्रति समान दृष्टि रखती हैं और सबकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। उनके व्यक्तित्व में किसी प्रकार का हीनभाव या दिखावा नहीं है।
5. उज्ज्वल और पवित्र चरित्र
हीराबाई भले ही नौटंकी कंपनी की कलाकार हों, परंतु उनका जीवन और आचरण पवित्र और अनुशासित है। पान, बीड़ी या अस्वास्थ्यकर आदतों से दूर रहकर भी वह दूसरों के लिए आदर्श प्रस्तुत करती हैं। कीचड़ और कठिन परिस्थितियों में रहते हुए भी उनका चरित्र कमल की तरह निर्मल और स्वच्छ बना रहता है।
6. आत्मनिर्भर और स्वतंत्र विचारधारा
हीराबाई अपने जीवन में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रही हैं। उन्होंने समाज के नियमों और परंपराओं से अलग अपनी सोच और कार्य शैली विकसित की। अपने सपनों और उद्देश्यों को साकार करने के लिए उन्होंने पूरी लगन और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।
7. हीराबाई और हीरामन का संबंध
हीराबाई और हीरामन के बीच सरल, सौहार्दपूर्ण और प्रेमपूर्ण संबंध कहानी में दिलचस्प मोड़ प्रस्तुत करता है। हीराबाई का प्रेम भरा व्यवहार और आत्मीयता हीरामन के भीतर कलाकार और संवेदनशील मानव को जाग्रत करता है। हीराबाई की मासूमियत और आदरभाव हीरामन सहित पाठक को भी प्रभावित करता है।
निष्कर्ष
हीराबाई ‘तीसरी कसम’ की नायिका हैं, जिनका चरित्र संवेदनशीलता, स्वतंत्रता, उदारता और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान से भरा है। वह न केवल कहानी में हीरामन और अन्य पात्रों को प्रभावित करती हैं, बल्कि पाठक के हृदय में भी अपनी छवि गहरी छोड़ती हैं। उनका चरित्र आज की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो समाज में अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती हैं।
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