तीसरी कसम कहानी का सारांश ॥ Teesri Kasam Kahani Ka Saransh Likhiye

तीसरी कसम कहानी का सारांश ॥ Teesri Kasam Kahani Ka Saransh Likhiye

तीसरी कसम कहानी का सारांश ॥ Teesri Kasam Kahani Ka Saransh

‘तीसरी कसम’ रेणु जी की अत्यंत चर्चित और लोकप्रिय कहानी है। इस कहानी ने उन्हें आंचलिक कथाकारों में शीर्ष स्थान दिलाया। इसमें ग्रामीण जीवन, मानवीय भावनाएँ, सामाजिक यथार्थ और प्रेम की निश्छलता को बड़ी ही बारीकी और संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया गया है। कहानी में मुख्यतः हीरामन गाड़ीवान और हीराबाई की कथा बुनी गई है, साथ ही इसमें तीन लघुकथाएँ भी समाहित हैं जो कहानी को और अधिक मार्मिक एवं जीवंत बनाती हैं।

कहानी की शुरुआत हीरामन गाड़ीवान से होती है। वह एक साधारण, सीधा-सादा और ईमानदार गाड़ीवान है, जो अपने बैलों और गाड़ी के साथ रोज़मर्रा की लदनी कर जीविकोपार्जन करता है। एक बार उसे अनाज की लदनी लेकर नेपाल जाने का काम मिलता है। रास्ते में पुलिस द्वारा पकड़ लिए जाने का भय और तस्करी की आशंका से वह बहुत घबरा जाता है। उसे लगता है कि उसका नाम भी अपराधियों में दर्ज हो जाएगा। इस भय से वह गाड़ी छोड़कर भाग निकलता है। इसी अनुभव से आहत होकर वह पहली बार कसम खाता है कि वह कभी भी अपनी बैलगाड़ी पर तस्करी का सामान नहीं ढोएगा। यह उसकी पहली कसम है।

दूसरी घटना तब घटती है जब हीरामन अपनी गाड़ी में बाँस की लदनी करता है। रास्ते में उसे गाली-गलौज और मारपीट का सामना करना पड़ता है। इस अपमान और पीड़ा से उसका मन बहुत आहत होता है। वह सोचता है कि यह काम उसके सम्मान और आत्मसम्मान के विपरीत है। तभी वह दूसरी बार कसम खाता है कि अब वह कभी भी बाँस की लदनी नहीं करेगा। यह उसकी दूसरी कसम है, जो उसके आत्म-सम्मान और स्वाभिमान को दर्शाती है।

कहानी में एक प्रसंग मधुवा घटवारिन का भी आता है। मधुवा की सौतेली माँ उसे एक प्रौढ़ महाजन को बेच देती है। असहनीय अपमान और सामाजिक बंधनों से मुक्ति पाने के लिए वह नदी में कूदकर अपनी जान देने का प्रयास करती है और इस तरह महाजन के चंगुल से बच निकलती है। यह प्रसंग ग्रामीण समाज में स्त्रियों की दयनीय स्थिति, शोषण और बेबसी का मार्मिक चित्रण करता है।

कहानी का मुख्य सूत्र है हीरामन और नौटंकी कम्पनी की नायिका हीराबाई की कथा। एक बार संयोगवश हीरामन को अपने बैलों और गाड़ी पर नौटंकी कम्पनी की नायिका हीराबाई को मेले तक पहुँचाने का अवसर मिलता है। यात्रा के दौरान हीरामन हीराबाई की सुंदरता, सरलता और विनम्र व्यवहार से इतना प्रभावित होता है कि वह उससे एकतरफा प्रेम करने लगता है।

हीरामन का यह प्रेम पवित्र और निष्कपट है। वह हीराबाई को साधारण औरत न मानकर देवी का स्थान देता है। उसकी सरल सोच और निश्छल प्रेम का यह चरम रूप है, जहाँ प्रेमी को अपनी प्रेमिका का हर हाव-भाव, हर अदा और हर शब्द प्रिय लगने लगता है।

हीराबाई जब उसे और उसके साथियों को नौटंकी देखने का पास देती है, तो हीरामन नौटंकी के मंच पर भी सिर्फ हीराबाई को ही देखता है। उसे लगता है कि हीराबाई भी उसी को निहार रही है। यह प्रेम की पराकाष्ठा है जहाँ प्रेमी को पूरी दुनिया में अपनी प्रेमिका ही नजर आती है। जब नौटंकी देखने आए लोग हीराबाई पर फब्तियाँ कसते हैं, तो हीरामन का सीधा-सादा स्वभाव एकदम बदल जाता है। वह क्रोधित होकर मारपीट पर उतर आता है, क्योंकि वह अपनी प्रिय हीराबाई का अपमान सह नहीं सकता।

कहानी का अंत बेहद मर्मस्पर्शी और हृदयविदारक है। नौटंकी कम्पनी का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद हीराबाई अपने दल के साथ मेले से चली जाती है। हीरामन चाहता है कि हीराबाई नौटंकी छोड़कर सर्कस में काम करे ताकि लोग उसकी अवमानना न कर सकें। लेकिन जब उसे पता चलता है कि हीराबाई स्टेशन पहुँचकर जा चुकी है, तो उसका हृदय टूट जाता है।

निराश और व्यथित होकर वह अपनी बैलगाड़ी के पास लौटता है और बैलों पर गुस्सा निकालता है। उसी समय वह गुनगुनाने लगता है – “अजी हाँ मारे गए गुलफाम…” और अपने जीवन की तीसरी कसम खाता है कि अब कभी किसी नौटंकी कम्पनी की औरत को अपनी गाड़ी पर नहीं बैठाएगा।

‘तीसरी कसम’ केवल हीरामन और हीराबाई की प्रेमकथा नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण समाज, स्त्रियों की दशा, मानवीय संबंधों की संवेदनशीलता और सामाजिक यथार्थ का भी चित्रण करती है। हीरामन का चरित्र जहाँ सच्चाई, सरलता और निश्छल प्रेम का प्रतीक है, वहीं हीराबाई का चरित्र जीवन की कठोर सच्चाइयों को दर्शाता है।

इस प्रकार ‘तीसरी कसम’ एक ऐसी अमर कहानी है जिसमें ग्रामीण जीवन का यथार्थ, मानवीय भावनाओं की गहराई और प्रेम की निश्छलता को बड़ी ही कलात्मकता से प्रस्तुत किया गया है। रेणु जी की यह कृति पाठकों के हृदय में गहरी संवेदना उत्पन्न करती है और यह संदेश देती है कि सच्चा प्रेम कभी अपमान सहन नहीं कर सकता। हीरामन की तीनों कसमें केवल घटनाओं का क्रम नहीं, बल्कि उसके व्यक्तित्व, आत्मसम्मान और जीवन-दर्शन की अभिव्यक्ति हैं।

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