उसने कहा था लहना सिंह के प्रेम के बलिदान की कहानी है समीक्षा करें।
“उसने कहा था’ लहना सिंह के प्रेम के बलिदान की कहानी है। इस कहानी का केन्द्रबिंदु लहना सिंह का चरित्र है, जो एक आदर्श प्रेमी का चरित्र प्रस्तुत करता है। लहना सिंह का प्रेम केवल आकर्षण या क्षणिक इच्छा का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक गहन और स्थायी भावना है, जो उसके सम्पूर्ण जीवन में प्रतिबिंबित होती है। लहना सिंह के प्रेम-मन के भाव और उसके भीतर उठते उद्गार हमें सर्वप्रथम अमृतसर के बाजार में देखने को मिलते हैं, जहाँ उसकी दृष्टि और संवेदनाएँ प्रेम की प्रारंभिक ज्वाला के रूप में प्रकट होती हैं।
सामान्यतः पुरुष किसी के रूप या बाहरी आकर्षण पर मोहित होकर उसका दीवाना-प्रेमी बन जाते हैं, परन्तु लहना सिंह का प्रेम मात्र रूप के प्रति नहीं, बल्कि व्यक्ति के सम्पूर्ण चरित्र और उसकी आत्मा के प्रति समर्पित है। पहली दृष्टि में जो कौतूहल और आकर्षण उसके मन में उत्पन्न होता है, वह समय के साथ एक स्थायी और गहन प्रेम-भाव में परिवर्तित हो जाता है। यह अमर प्रेम उसके मन-मंदिर में हमेशा दीपक की भाँति जलता रहता है, जो उसकी समर्पित भावनाओं और आत्म-त्याग को निरंतर प्रकट करता है।
कई वर्षों बाद लहना सिंह की भेंट उसी प्रेमिका से होती है, जो अब सूबेदारनी के रूप में उसके सामने आती है। इस समय वह न केवल एक पत्नी है बल्कि एक माँ भी है। वह अपने पति और पुत्र की सुरक्षा के लिए लहना सिंह से विनम्र याचना करती है। इस परिस्थितियों में लहना सिंह अपने प्रेम और आदर्श भाव को त्यागने के बजाय, पूरी तरह से अपने प्रेम की सुरक्षा और समर्पण के लिए अपने आपको बलिदान के रूप में प्रस्तुत करता है।
लहना सिंह का यह बलिदान चरित्र उसकी महानता और आदर्श प्रेम की पहचान है। वह प्रेमिका के पति, सूबेदार हजारा सिंह, और पुत्र बोधा सिंह की सुरक्षा के लिए स्वयं मृत्यु का आलिंगन करता है। इस प्रकार, कहानी ‘उसने कहा था’ केवल प्रेम की नहीं, बल्कि प्रेम के बलिदान और निष्ठा की कहानी बन जाती है। कहानी हमें यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि लहना सिंह का प्रेम अत्यंत शुद्ध, नि:स्वार्थ और बलिदानी है, जो उसे आदर्श प्रेमी के रूप में स्थापित करता है। इसीलिए कहा जा सकता है कि ‘उसने कहा था’ कहानी लहना सिंह के प्रेम के बलिदान की चरम परिभाषा है।
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