सिद्ध कीजिए कि पन्ना के चरित्र में माँ की ममता रजपूतानी का रक्त राजभक्ति और आत्म त्याग की भावना है
पन्ना धाय भारतीय इतिहास की महान वीरांगना, त्यागमूर्ति और राजभक्त नारी के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके चरित्र में माँ की ममता, राजपूतानी का रक्त, राजभक्ति और आत्म-त्याग की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है।
1. माँ की ममता
पन्ना धाय ने महाराणा उदयसिंह को अपने दूध से पाला था। वे उन्हें अपने पुत्र चंदन के समान ही मानती थीं। संकट की घड़ी में उन्होंने दोनों को समान रूप से देखा। किंतु जब राज्य के भविष्य का प्रश्न आया, तो उन्होंने अपने पुत्र चंदन को बलिदान के लिए आगे कर दिया। अपने पुत्र को मरते हुए देखना हर माँ के लिए कठिन होता है, फिर भी पन्ना ने आँसू तक नहीं बहाए। यह उनकी माँ की ममता का सर्वोच्च रूप है, जिसमें उन्होंने निजी प्रेम से ऊपर उठकर राजधर्म निभाया।
2. राजपूतानी का रक्त
पन्ना खींची चौहान वंश की राजपूत महिला थीं। राजपूत परंपरा बलिदान, साहस और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जानी जाती है। पन्ना ने अपने कुल और धर्म की मर्यादा निभाते हुए बनवीर जैसे षड्यंत्रकारी का सामना किया। उन्होंने भय या संकोच के बिना अपने स्वामीपुत्र की रक्षा की। यह उनकी नसों में बहते राजपूतानी रक्त का परिचायक है।
3. राजभक्ति
पन्ना धाय के लिए राष्ट्र और राजवंश की सुरक्षा सर्वोपरि थी। उन्होंने अपने पुत्र की बलि देकर उदयसिंह की रक्षा की और मेवाड़ राजघराने को विनाश से बचाया। उनके इस कार्य ने सिद्ध किया कि सच्चे अर्थों में राजभक्ति वही है, जिसमें व्यक्तिगत सुख-दुख गौण हो जाते हैं और राज्य-धर्म प्रधान हो जाता है।
4. आत्म-त्याग की भावना
पन्ना धाय का जीवन त्याग और बलिदान का अनुपम उदाहरण है। अपने पुत्र की हत्या अपनी आँखों के सामने देखना अकल्पनीय पीड़ा है, फिर भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया और राज्यहित में अपने कर्तव्य का पालन किया। अपने पुत्र का बलिदान देकर उन्होंने न केवल उदयसिंह की रक्षा की, बल्कि मेवाड़ की भावी गरिमा को भी सुरक्षित किया।
निष्कर्ष
इस प्रकार स्पष्ट है कि पन्ना धाय का चरित्र माँ की ममता, राजपूतानी का रक्त, राजभक्ति और आत्म-त्याग की भावना से परिपूर्ण है। उनका जीवन बलिदान, कर्तव्यनिष्ठा और स्वामीभक्ति का अनुपम आदर्श है। पन्ना धाय न केवल मेवाड़, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष के लिए नारी-शक्ति और त्याग का अमर प्रतीक हैं।
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