समास किसे कहते हैं, समास के प्रकार

समास किसे कहते हैं, समास के प्रकार:-

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समास किसे कहते है, सामास के भेद

 

SAMAS IN HINDI

 

समास(samas) को अंग्रेजी में कंपाउंड(Compound) कहा जाता है समास शब्द का अर्थ संक्षिप्तीकरण या संक्षेपण या संक्षेप‘ होता है समास दो  शब्दों के मेल से बना है सम् + आस । समका अर्थ होता है सामने या पासमें और आसका अर्थ होता है रखना या होना। अर्थात किसी भी दो या दो से अधिक शब्दों को आमने सामने रखकर एक नया शब्द बनाया जाता है उसे ही समास कहते हैं  यह कह सकते हैं कि जब दो या दो से अधिक शब्द मिलते हैं उनके परस्पर संयोग के माध्यम से अगर नया शब्द बनता है तो उसे हम समास कहते हैं। जैसे
गंगाजल = ( गंगा + जल) यह संधि है।
गंगाजल = (गंगा का जल) यह समास है।

समास में 2 पद होते हैं।
1. पूर्व पद
2.  उत्तर पद
उदाहरण:   माखनचोर
     माखन            चोर
                          

       पूर्व पद           उत्तर पद

समास की परिभाषा(samas ki paribhasha):-

दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने नया एवं सही अर्थ देने वाले  शब्द को समास कहलाता है। 

सामासिक पद या समस्त पद:-

             समास के नियमों से निर्मित पद को सामासिक पद कहते हैं इसे समस्त पद भी कहा
जाता है। जब समास बनता है तब उसमें से विभक्ति का लोप हो जाता है।
उदाहरण: १. माखन को चुराने वाला माखनचोर
२. स्नान के लिए घर  स्नानघर
 

समास विग्रह करने का आसान तरीका

समास विग्रह :-

 

जब हम समास बने पद को पृथक पृथक या अलग करतेे हैं तो उसे समास विग्रह कहते हैं

समास विग्रह के उदाहरण-

 

   सुखप्राप्ति                       सुख की प्राप्ति
                                           
     (समास)                    ( समास विग्रह)
जब हम समास विग्रह करते हैं तो उसमें विभक्ति चिन्ह भी आ जाता है और जब समास बनाते हैं तब उसमें विभक्ति चिन्ह छिप जाता है या लुप्त हो जाता है। इस तरीका से हम समास विग्रह आसानी से कर सकते हैं।

समास के प्रकार, समास  के भेद (types of samas in hindi)

1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्वन्द्व समास
5. द्विगु समास
6. बहुब्रीहि समास
 

पद प्रधानता के अनुसार समास को कितने भागों में बांटा गया है

पद प्रधानता के अनुसार समास को चार भागों में बांटा गया है

 

१.पूर्व पद प्रधान – अव्ययीभाव समास
२. उत्तर पद प्रधान – तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास
३. दोनों पद प्रधान – द्वन्द्व समास
४. दोनों पद अप्रधान – बहुव्रीहि समास ( किसी तीसरे पद की ओर संकेत करता है)

 

 


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. अव्ययीभाव समास (avyayibhav samas in hindi) :-

 जिस समास में पहला पद(पूर्व पद) अव्यय और पहला पद प्रधान होता है। अतः इस प्रकार बना हुआ समस्त पद भी अव्यय के समान कार्य करता है। जैसे:-
 आ                   +              जन्म                       आजन्म
  ⇓                                                     
(उपसर्ग और अव्यय) +            ( अप्रधान )
यहां शब्द उपसर्ग और अव्यय है। इस समास में संपूर्ण पर पद क्रिया विशेषण अव्यय हो जाता है इसमें पहला शब्द उपसर्ग आदि जाति का अव्यय होता है।

अव्ययीभाव समास के 10 उदाहरण :-

 

समाससमास विग्रह
आजीवनजीवन भर
बेकारबिना काम के
भरपेटपेट भर के
हाथों हाथहाथ ही हाथ में
घर साघर जैसा
प्रतिदिनप्रत्येक दिन
यथासमयसमय के अनुसार
यथाशक्तिशक्ति के अनुसार

 

2. तत्पुरुष समास (tatpurush samas in hindi) :-

 वह समास जिसमें उत्तर पद (दूसरा पद) प्रधान होता है तथा पहला पद अपेक्षाकृत कम महत्व (गौण) होता है तत्पुरुष समास कहलाता है अक्सर इस समास का पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है जैसे
स्नानघर  स्नान के लिए घर
यहां स्नानविशेषण तथा घरविशेष्य है इस समास में समास पद के बीच से विभक्तियों का लोप होता है कभी-कभी मध्य के अनेक पदों भी लोप हो जाता है जैसे दही बड़ाका विग्रह  ‘दही में डूबा हुआ बड़ासमास होने पर में, डूबा, हुआतीनों पद लुप्त हो जाते है।
     तत्पुरुष समास को जानने के लिए हमें कारक को भी जानना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि तत्पुरुष समास के भेदों में कारक विभक्तियों का उल्लेख हुआ है जैसे:

 

तत्पुरुष समास के भेदविभक्ति चिह्न
कर्म तत्पुरुष समासको
करण तत्पुरुष समाससे, के द्वारा
संप्रदान तत्पुरुष समासके लिए (देने)
अपादान तत्पुरुष समाससे (अलग करना)
संबंध तत्पुरुष समासका, के, की
अधिकरण तत्पुरुष समासमें, पर
न‌‌‍ञ तत्पुरुष समास

 

१.कर्म तत्पुरुष :- 

जहां पहले पद में कर्म कारक हो या उसकी विभक्ति (को) का लोप होता है वहां कर्म तत्पुरुष समास होता है।
कर्म तत्पुरुष समाससमास विग्रह
यश प्राप्तयश को प्राप्त
परलोक गमनपरलोक को गमन
ग्रामगतगांव को गया हुआ
मरणासन्नमरण को पहुंचा हुआ

२. करण तत्पुरुष :-

जिस समास में पहले पद में करण कारक की विभक्ति (से, के साथ, के द्वारा) चिन्हों का लोप होता है वहां करण तत्पुरुष समास होता है जैसे:-
करण तत्पुरुष समाससमास विग्रह
अकाल पीड़ितअकाल से पीड़ित
ईश्वर प्रदत्तईश्वर द्वारा दिया हुआ
गुण युक्तगुण से युक्त
रोग युक्तरोग से युक्त

३. सम्प्रदान तत्पुरुष :- 

जहां समास के पहले पद में संप्रदान कारक की विभक्ति अर्थात के लिएशब्दों का लोप होता है वहां संप्रदान तत्पुरुष समाज होता है जैसे :-
सम्प्रदान तत्पुरुष समाससमास विग्रह
आराम कुर्सीआराम के लिए कुर्सी
गुरु दक्षिणागुरु के लिए दक्षिणा
गौशालागौ के लिए शाला
विद्यालयविद्या के लिए आलय
हथकड़ीहाथ के लिए कड़ी
४. अपादान तत्पुरुष :- 
जहां समास का पहला पद अपादान कारक की विभक्ति सेका भाव प्रकट करता है वहां अपादान तत्पुरुष समास होता है इस समास में अलग होने का भाव प्रकट होता है जैसे :-
अपादान तत्पुरुष समाससमास विग्रह
ऋण मुक्तऋण से मुक्त
देश निकालादेश से निकाला
भयभीतभय से भीत
जन्मान्धजन्म से अंधा
भारहितबार से रहित
धर्म विमुखधर्म से विमुख
५. संबंध तत्पुरुष समास :- 
जहां समास के पहले पद में संबंध तत्पुरुष की विभक्ति (का, की, के) का लोप होता है वहां संबंध तत्पुरुष समास होता है जैसे :- 
संबंध तत्पुरुष समाससमास विग्रह
उद्योगपतिउद्योग का पति
गंगा तटगंगा का तट
गृह स्वामीगृह का स्वामी
प्रसंगानुसारप्रसंग के अनुसार
देश रक्षादेश की रक्षा
देव मूर्तिदेव की मूर्ति

६. अधिकरण तत्पुरुष समास :- 

जहां समास में अधिकरण कारक की विभक्ति (में, पर) की चिन्ह का लोप हो जाता है वहां अधिकरण समास होता है। जैसे: –
अधिकरण तत्पुरुष समाससमास विग्रह
आत्मविश्वासआत्म में विश्वास
आप बीतीआप पर बीती
गृह प्रवेशगृह में प्रवेश
पुरुषोत्तमपुरुषों में उत्तम
घुड़सवारघोड़े पर सवार
पेट दर्दपेट में दर्द
विचारलीनविचारों में लीन

७.नञ तत्पुरुष समास :-

 जिस तत्पुरुष समास में  ‘नकारात्मकहो उसे नञ  तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे: 
नञ तत्पुरुष समाससमास विग्रह
अधीरन धीर
अनचाहीन चाही
अनदेखीन देखी
असत्यन सत्य
अनादिन आदि

 

2.कर्मधारय समास (karmdharaya samas in hindi) :-

 जिस समास में पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है या एक पद  उपमान तथा दूसरा उपमेय होता है, वहां कर्मधारय समास होता है।

कर्मधारय समास के 10 उदाहरण:

 
अ) विशेषण विशेष्य:-
कर्मधारय समाससमास विग्रह
अंधकूपअंधा है जो कूप
कुबुद्धिबुरी है जो बुद्धि
नीलकंठनीला है जिसका कंठ
पीतांबरपीला है जिसका अंबर
लाल टोपीलाल है जो टोपी
महाविद्यालयमहान है जो विद्यालय
महापुरुषमहान है जो पुरुष

 

आ) उपमान उपमेय :-
 
कर्मधारय समाससमास विग्रह
कनकलताकनक के समान लाता
कमलनयनकमल के समान नयन
घन श्यामघन के समान श्याम
नर सिंहनर रूपी सिंह
भुज दण्डदंड के समान भुजा
देहलतादेह रूपी लता

 

 

4.द्वन्द्व समास (dvandv samas in hindi) :-

 जिस समास में दोनों ही पद समान होते हैं उसे द्वंद्व समास कहते हैं इसमें पदों को मिलाते समय योजक लुप्त हो जाता है।

द्वंद्व समास के 10 उदाहरण 

द्वंद्व समाससमास विग्रह
अमीर-गरीबअमीर और गरीब
आशा-निराशाआशा और निराशा
ऊंच-नीचऊंच और नीच
छोटा-बड़ाछोटा और बड़ा
दूध-दहीदूध और दही
जल-वायुजल और वायु
फूल-पत्तीफूल और पत्ती
रात-दिनरात और दिन
माता-पितामाता और पिता
भाई-बहनभाई और बहन

 

5. द्विगु समास (dvigu samas in hindi) :-

 जिस समास के प्रथम पद में संख्यावाचक विशेषण होता है वहां द्विगु समास होता है जैसे :-
द्विगु समाससमास विग्रह
अष्टाध्यायीआठ अध्यायों का समाहार
चौपायाचार पैरों का समाहार
पंचवटीपंच वदों का समाहार
तिरंगातीन रंगो का समाहार
शताब्दीसौ वर्षों का समाहार
दोपहरदो पहरों का समाहार
सप्ताहसात दिनों का समाहार

 

6. बहुब्रीहि समास (bahubrihi samas in hindi) बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए

बहुव्रीहि समास ऐसा समास होता है जिसके समस्त पदों में से को भी पद प्रधान नहीं होता एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं वास समास बहुव्रीहि समास कहलाता है। इस समास के विग्रह में वाला, वाली, जिसका, जिसकी, सब आते हैं।

या 

बहुव्रीहि समास ऐसे समास होता है जिसके समस्त पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता जिस समास में कोई भी पद प्रधान ना हो  तथा दोनों पद मिलकर तीसरे पद की ओर संकेत करता है वहां बहुव्रीहि समास होता है इस समास के विग्रह में वाला, वाली, जिसका, जिसकी आदि शब्द आते हैं जैसे

बहुव्रीहि समास के 10 उदाहरण

बहुव्रीहि समाससमास विग्रह
अल्प बुद्धिअल्प है बुद्धि जिसकी (मूर्ख)
कनफटाकान है जिसका फटा
गोपालगौ का पालन करने वाला (श्री कृष्णा)
नीलकंठनीला है कंठ जिसका (शिव)
पतिव्रतापति ही है व्रत जिसका (पार्वती)
चक्रधारचक्र धारण करता है जो (विष्णु)
पीतांबरपीत अबंर है जिसका (कृष्णा)
दशाननदस आनन है जिसके (रावण)
लम्बोदरलम्बा उधर है जिसका (गणेश)
वीणापाणिवीणा है जिसके हाथ में (सरस्वती)

 

बहुव्रीहि समास में कौन सा पद प्रधान होता है

बहुव्रीहि समास में पहला या दूसरा कोई भी पद प्रधान नहीं होता है पर इस समास की प्रक्रिया से बनने वाले तीसरा पद ही प्रधान होता है।

बहुव्रीहि समास की परिभाषा उदाहरण सहित

जहां समस्त पद में आए हुए दोनों पद गौण होते हैं तथा यह दोनों मिलकर किसी तीसरे पद के विषय में संकेत करते हैं तथा यही तीसरा पद प्रधान होता है।
                                                              या
जहां पहला पद और दूसरा पद मिलता है किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं वहां बहुव्रीहि समास होता है।

उदाहरण:

चक्रपाणि अर्थात् चक्र है हाथ में जिसके- श्रीकृष्ण
यहां चक्र और पाणि में से कोई पद प्रधान नहीं है बल्कि यह दोनों पद मिलकर तीसरे पद श्री कृष्ण के लिए प्रयुक्त हो रहे हैं। अतः बहुव्रीहि समास में पहला या दूसरा कोई भी पद प्रधान नहीं होता बल्कि तीसरा पद प्रधान होता है।

 

कर्मधारय और बहुब्रीहि समास में अंतर (karmdharaya samas aur bahubrihi samas me anter)

  • कर्मधारय समास में समस्त पद एक दूसरे का विशेषण होते हैं जैसे पितांबर पीला वस्त्र है बहुव्रीहि के दोनों पदों में विशेषण विशेष्य का कोई संबंध नहीं होता उसमें समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञा का विशेषण होता है जैसे पितांबर पीत अंबर है जिसका (कृष्णा)
  •  बहुव्रीहि समास में किसी तीसरे पद की ओर संकेत करता है जबकि कर्मधारय समास में ऐसा नहीं होता।
  • कर्मधारय समास के दोनों पद लिंग वचन में समान होते हैं। जबकि बहुव्रीहि समास में पद का लिंग विशेष्य के अनुसार होता है।
  • जहां दोनों में से कोई पद प्रदान नहीं होता तथा दोनों पदों से भिन्न कोई तीसरा अर्थ निकलता है वहां बहुव्रीहि समास होता है तथा जहां एक पद दूसरे का विशेषण या उपमान हो तो कर्मधारय समास होता है।

 

तत्पुरुष समास और कर्मधारय समास में अंतर ( tatpurush samas aur karmdharaya samas me anter) 

  • तत्पुरुष समास में दूसरे पद की प्रधानता होती है और  पहला पद गौण होता है जबकि कर्मधारय समास में दोनों पद प्रधान होते हैं।
  • तत्पुरुष समास में विभक्ति चिह्न होता है कर्मधारय समास में ऐसा नहीं होता।
  • तत्पुरुष समास का संबंध विशेषण विशेष्य तथा कारक के साथ होता है जबकि कर्मधारय समास का संबंध विशेषण, विशेष्य, उपमान, उपमेय  से होता है

द्वंद्व समास और द्विगु समास में अंतर (dvandv samas aur dvigu samas me anter)

  • द्वंद समास में दोनों ही पद समान होते हैं जबकि द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है।
  • द्वंद समास में योजक चिन्ह और होता है जो पदों को मिलाते समय लुप्त हो जाता है जबकि द्विगु समास में योजक  चिन्ह का कोई महत्व नहीं है।

बहुव्रीहि एवं द्विगु समास में अंतर (bahubrihi samas aur dvigu samas me anter)

जहां पहला पद दूसरे पद(विशेष्य) की विशेषता संख्या में बताता है वहां द्विगु समास होता है। जहां संख्यावाची पहला पद और दूसरा पद मिल कर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं वहां बहुव्रीहि समास होता है।

 

संधि और समास में अंतर (sandhi aur samas me anter)

  • समास का शाब्दिक अर्थ संक्षेपहोता है पर संधि का शाब्दिक अर्थ संयोग होता है।
  • समास में दो पदों का योग होता है जबकि संधि में दो वर्णों का मेल होता है।
  • समास के पदों को तोड़ने की प्रक्रिया विग्रहकहलाता है जबकि संधि को तोड़ने की प्रक्रिया विच्छेदकहलाता है।
  • समास के क्रिया में विभक्तियों का लोप हो जाता है।
  • समास के लिए कम से कम दो शब्द होने चाहिए पहले पद को पूर्व पद तथा दूसरे को उत्तर पर कह जाता है।

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