पत्रकारिता प्रबंधन पर प्रकाश डालें (Patrakarita Prabandhan Per Prakash Daliye)
पत्रकारिता का प्रबंधन (Patrakarita Prabandhan Kya Hai)
समाचार पत्र के प्रकाशन तथा रेडियो तथा टीवी चैनलों को प्रसारण से जोड़ी प्रत्येक स्तर की व्यवस्था पत्रकारिता प्रबंधन कहलाती है। किसी भी छोटी या बड़ी संस्था के तरह पत्रकारिता के लिए की जाने वाली व्यवस्था भी अलग-अलग चरणों में से गुजर कर अंतिम सोपन तक पहुंचती है किंतु किसी भी अन्य संस्था या प्रतिष्ठान के प्रबंधन से अलग पत्रकारिता प्रबंधन में जिम्मेदार लोगो समाज एवं राष्ट्रीय के प्रति जवाबदेही अधिक होती है क्योंकि पत्रकारिता का चित्र अपेक्षाकृत व्यापक होता है समाचारों के प्रकाशन और प्रसारण के साथ राष्ट्रीय तथा जनता का हित सम्मान एवं संवेदनाएं जुड़ी होती हैं। अतः पत्रकारिता प्रबंधन में सतर्कता संवेदना एवं सर्वहित को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है।
उपयुक्त पत्रकारिता प्रबंधन के आधार पर किसी समाचार पत्र प्रसार संख्या और रेडियो तथा टीवी चैनलों के श्रोता अथवा दर्शकों की संख्या निर्भर करती है। सुचारू प्रबंधन जहां उनकी लोकप्रियता को ऊंचाई पर पहुंचा सकता है वही प्रबंधन की खामियां उन्हें बंद भी करवा सकती हैं।
पत्रकारिता प्रबंधन कभी एक व्यक्ति के स्वामित्व के अधीन होता है तो कभी कोई एक कंपनी संयुक्त रुप से एकाधिक कंपनियां सरकारी या सरकारी संस्थाएं अथवा ट्रस्ट यानी न्यास के अंतर्गत प्रबंध कार्य निर्धारित किया जाता है।
प्रकाशन अथवा प्रसारण के लिए आवश्यक पूंजी की व्यवस्था करने से लेकर कर्मचारियों की नियुक्ति उनका कार्य विभाजन परस्परिक तथा अन्य खर्चों की व्यवस्था तथा कानूनी मामलों का सारा व्यवस्था प्रबंधन का होता है पत्रकारिता प्रबंधन को दो प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है।
A. संपादकीय विभाग
B. प्रबंध विभाग
A. संपादकीय विभाग:
पत्रकारिता प्रबंधन का यह सबसे सबसे महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि पत्रकारिता से जुड़ी सभी कार्य इसी विभाग द्वारा संपन्न होते हैं। इस विभाग का प्रधान पद की दृष्टि से प्रधान संपादक होता है। किंतु कार्य दायित्व की दृष्टि से अनेक सह संपादकों और विभागीय संपदाको की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। समाचार पत्र रेडियो और टीवी चैनलों के आकार पर इन संपादकों की संख्या निर्भर करती है उनका स्वरूप यदि राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता तो पत्रकारिता संबंधित सामग्री भी अधिक होगी पर क्षेत्रीय या स्थानीय स्तर के अखबारों, रेडियो, टीवी चैनलों के लिए कर्मचारियों की संख्या कम होगा।
समाचार संपादक के अतिरिक्त फीचर खेल वृत्त वाणिज्य और मनोरंजन जैसे विभिन्न विभागों और विषयों के लिए भी संपादकों की नियुक्ति की जाती है। इनके बाद उप संपादक संवाददाता आशु लेखक और टंकक होते हैं जो संपादकीय विभाग के कार्य को अलग-अलग स्तरों पर संभालते हैं सम्पादको के निर्देश पर फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर और रिकॉर्डिंग करने वाले अपना कार्य करते हैं।
संपादकीय विभाग के महत्व कार्य निम्नलिखित है-
१. प्रकाशन या प्रसारण योग समाचारों और अन्य सामग्री लेख वार्ता या साक्षात्कार आदि का चयन एवं निर्धारण।
२. लेख का शीर्षक एवं कार्यक्रम का नाम सुनिश्चित करना।
३. महात्मा के आधार पर स्थान तथा अवधी की व्यवस्था करना।
४. समाचार पत्र के लिए आवश्यकतानुसार चित्रों का उपयोग करना और टीवी के लिए दृश्यों का चयन करना।
५. आवश्यकतानुसार संवाददाताओं को अतिरिक्त जानकारी आंकड़े और अन्य रिपोर्ट जुटाने का निर्देश देना।
६. समाचार पत्रों के अलग-अलग दृष्टि के लिए पूरी रूप रेखा तैयार करना रेडियो और टीवी के लिए प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रमों की सूची तैयार करना।
७. संपादक के क्रम में लिखित अथवा दृश्य सामग्री में से अनावश्यक अंशो हटाना।
८. तथ्यों की सूक्ष्मता से जांच करना और विवादित और संवेदनशील विषयों को सावधानी से प्रकाशित करना।
९. भाषाएं को वर्तनी की अशुद्धियों को ठीक करना।
१०. प्रसारण या प्रकाशन का पूरी प्रक्रिया का व्यवस्थित रूप से संचालन करना।
B. प्रबंध विभाग :
प्रबंध विभाग का प्रमुख महाप्रबंधक होता है जो प्रकाश और प्रसारण के लिए आवश्यक सारी व्यवस्था का प्रमुख संचालक भी होता है। प्रबंध विभाग के अंतर्गत निम्नलिखित विभाग होते हैं जिनमें से प्रत्येक के लिए अलग-अलग प्रबंधकों की नियुक्ति होती है-
1. मुद्रण, ध्वन्यांक, दृश्यांकन विभाग:
समाचार पत्र की छपाई और रेडियो तथा टीवी के लिए रिकॉर्डिंग की आवश्यक मशीनों और उपकरणों की व्यवस्था यही विभाग करता है। अखबारों के लिए कागज स्याही तथा अन्य सामग्री उपलब्ध कराना इस विभाग का दायित्व है। रेडियो टीवी के लिए ध्वयांकन और दृश्यांकन अर्थात ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए रिकॉर्डिंग मशीन कैमरा और कंप्यूटर आदि सभी सामानों की पूर्ति यह विभाग करता है।
2. संस्थापन विभाग:
विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के नियुक्ति वेतन या परिश्रमिक या अन्य भत्ते एवं आर्थिक सुविधाओं की व्यवस्था या विभाग करता है। कर्मचारियों की सुविधा के लिए अन्य सभी व्यवस्था में जैसे पीने का पानी, फर्नीचर, कैंटीन, इत्यादि सुविधाएं यही विभाग उपलब्ध कराता है। कर्मचारियों के अवकाश आवश्यक प्रशिक्षण तथा पदोन्नति जैसे विषयों पर यही विभाग निर्णय लेता है।
3. विधि विभाग:-
विधि विभागों की नियुक्ति और संस्थान के कानूनी मामलों की देखरेख का जिम्मा इस विभाग का होता है।
4.यातायात विभाग:
संस्थान के कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार लाने ले जाने का दायित्व इस विभाग का होता है। समाचार पत्र के कार्यालयों में इसी विभाग द्वारा समाचार पत्र पहुंचाने तथा अखबारी कागज लाने का कार्य किया जाता है।
5. प्रसार एवं विज्ञापन विभाग:
समाचार पत्रों के वितरण तथा रेडियो टीवी के कार्यक्रम एवं प्रसार की व्यवस्था करने का दायित्व इस विभाग का होता है साथ ही विज्ञापन दाताओं को आकर्षित करने और संस्थान की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का दायित्व के इस विभाग का है।
प्रबंध विभाग के अंतर्गत संस्थान के रखरखाव साफ सफाई तथा जल बिजली या अन्य कार्यों के सहायक जैसे विभिन्न कार्यों से जुड़े कर्मचारी भी आते हैं। जिनके नियुक्ति और वेतन आदि का ध्यान भी प्रबंध विभाग रखता है।
पत्रकारिता प्रबंधन के प्रमुख घटक
1. संपादकीय प्रबंधन (Editorial Management)
संपादकीय प्रबंधन पत्रकारिता का सबसे प्रमुख और मूलभूत हिस्सा है। इसमें समाचारों की सटीकता, निष्पक्षता और प्रस्तुति की गुणवत्ता सुनिश्चित करना शामिल होता है।
मुख्य कार्य:
- समाचारों की खोज, चयन और मूल्यांकन करना।
- रिपोर्टरों को खबरें कवर करने के लिए दिशा-निर्देश देना।
- लेखों, रिपोर्टों, और विश्लेषणों की भाषा और शैली को परिष्कृत करना।
- खबरों की हेडलाइन, उपशीर्षक और लेआउट पर अंतिम निर्णय लेना।
- यह सुनिश्चित करना कि समाचार निष्पक्ष, प्रमाणिक और जनहित से जुड़े हों।
2. सामग्री योजना (Content Planning)
सामग्री योजना, मीडिया आउटलेट की संपूर्ण कंटेंट रणनीति का निर्माण करती है। यह तय करती है कि कौन सी खबर कब, कैसे और किस माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित की जाएगी।
मुख्य कार्य:
- समाचारों की प्राथमिकता तय करना (ब्रेकिंग न्यूज़, फीचर स्टोरी, एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)।
- विभिन्न श्रेणियों (राजनीति, खेल, मनोरंजन, टेक्नोलॉजी आदि) की संतुलित कवरेज सुनिश्चित करना।
- विशेष अवसरों (जैसे त्योहार, चुनाव, बजट) के लिए पूर्व-योजना बनाना।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए SEO-फ्रेंडली सामग्री योजना बनाना।
3. मानव संसाधन प्रबंधन (Human Resource Management)
मानव संसाधन प्रबंधन यह तय करता है कि संस्था में कार्यरत सभी पेशेवरों का चयन, प्रशिक्षण और विकास कैसे हो।
मुख्य कार्य:
- कुशल पत्रकारों, रिपोर्टरों, कैमरामैन, संपादकों आदि की भर्ती करना।
- टीम के भीतर कार्य वितरण, शेड्यूलिंग और मॉनिटरिंग।
- स्टाफ के लिए स्किल डेवलपमेंट, वर्कशॉप और ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित करना।
- कार्यस्थल पर नैतिकता, अनुशासन और सहयोग की भावना बनाए रखना।
- परफॉर्मेंस मूल्यांकन और पदोन्नति की प्रक्रिया अपनाना।
4. वित्तीय प्रबंधन (Financial Management)
पत्रकारिता के लिए भी आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसलिए वित्तीय प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। यह संस्था के आय-व्यय, बजट और राजस्व मॉडल से जुड़ा होता है।
मुख्य कार्य:
- सालाना बजट तैयार करना और खर्च की निगरानी करना।
- विज्ञापन, सब्सक्रिप्शन, साझेदारी और अन्य स्रोतों से राजस्व उत्पन्न करना।
- रिपोर्टिंग और निवेश से जुड़ी वित्तीय रणनीतियाँ तैयार करना।
- लागत प्रभावशीलता (Cost Effectiveness) के सिद्धांतों का पालन करना।
5. तकनीकी प्रबंधन (Technical Management)
डिजिटल युग में तकनीकी प्रबंधन पत्रकारिता संस्थानों की रीढ़ बन चुका है। यह मीडिया प्लेटफॉर्म्स की तकनीकी संरचना और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
मुख्य कार्य:
- वेबसाइट, न्यूज़ ऐप और CMS (Content Management System) का प्रबंधन।
- वीडियो एडिटिंग, ग्राफिक डिजाइन, लाइव स्ट्रीमिंग आदि की तकनीकी सहायता।
- डिजिटल ट्रैफिक एनालिटिक्स, SEO, सोशल मीडिया टूल्स का उपयोग।
- साइबर सुरक्षा और डेटा प्रबंधन।
6. विपणन और ब्रांडिंग (Marketing and Branding)
यह घटक मीडिया संस्थान की लोकप्रियता और विश्वसनीयता को जनता के बीच स्थापित करता है।
मुख्य कार्य:
- मीडिया ब्रांड के प्रचार के लिए मार्केटिंग अभियान चलाना।
- सोशल मीडिया, प्रिंट और डिजिटल विज्ञापनों के ज़रिए दर्शक वर्ग तक पहुंच।
- ब्रांड की छवि और USP (Unique Selling Proposition) को प्रकट करना।
- प्रतिस्पर्धियों के विश्लेषण के आधार पर रणनीतियाँ बनाना।
7. नैतिकता और कानूनी प्रबंधन (Ethical and Legal Management)
पत्रकारिता में नैतिकता और कानून का पालन अनिवार्य है। यह घटक सुनिश्चित करता है कि संस्था सभी कानूनी और नैतिक दायित्वों का पालन करे।
मुख्य कार्य:
- प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य नियामक निकायों के नियमों का पालन।
- मानहानि, कॉपीराइट, गोपनीयता, फेक न्यूज़ आदि से संबंधित कानूनी मामलों की समझ और सावधानी।
- पत्रकारिता की आचार संहिता जैसे निष्पक्षता, पारदर्शिता, और जनहित को प्राथमिकता देना।
- विवाद निवारण और शिकायत निवारण तंत्र को सक्रिय बनाए रखना।