आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से ईदगाह कहानी की समीक्षा (idgah Kahani ki samiksha) को पढ़ने जा रहे हैं। ईदगाह कहानी प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानी है आए दिन इस कहानी की समीक्षा स्कूलों एवं कॉलेजों में पूछी जाती है जिसके कारण हम आपके लिए इस आर्टिकल के माध्यम से इस प्रश्न का उत्तर देने जा रहे हैं तो चलिए ईदगाह कहानी की समीक्षा (idgah Kahani ki samiksha) को देखें-
ईदगाह कहानी की समीक्षा (idgah Kahani ki samiksha)
कहानी कला की दृष्टि पर ईदगाह कहानी की समीक्षा
१.कथावस्तु :
कहानी ईद के मेले में जाने से शुरू होती है। ईद मुसलमानों की खुशी का पर्व है, पर गरीब के लिए ईद मुहर्रम हो जाती है कथा नायक हामिद अन्य बच्चों के समान ईदगाह जाना चाहता है। उसके माता-पिता नहीं है। उसका पालन-पोषण उसकी बूढ़ी दादी अमीना करती है। अमीना गरीबी से परेशान है। यह सोचती है कि हामिद कहीं मेले में खो न जाय, छः वर्ष का छोटा बच्चा किस प्रकार मेले में पहुँचेगा, पर हामिद की जिद्द उसे माननी पड़ती है। हामिद अपनी दादी द्वारा दिए गये तीन पैसे लेकर ईदगाह जाता है। सभी बच्चे खिलौने, मिठाइयाँ खरीदते हैं, झूला झूलते हैं पर इन सबसे बेखबर हामिद तीन पैसे में चिमटा खरीदता है और बच्चों के साथ घर वापस आ जाता है। घर आने पर हामिद के हाथ में चिमटा देखकर उसकी दादी झिझकती है लेकिन जब हामिद उससे कहता है कि ‘दादी रोटी बनाते समय तुम्हारे हाथ जलते थे इसलिए मैने चिमटा खरीदा है’ तो उसकी आँखें भर आती है। समय, घटना एवं स्थान का मेल झलकता है। कहानी की कथा-वस्तु और घटनाओं में कहीं अस्वाभाविकता नहीं है।
२.वातावरण:
कहानी वातावरण प्रधान नहीं कही जा सकती लेकिन वातावरण का चित्रण बड़ा ही स्वाभाविक है। कहानी का आरम्भ ही वातावरण के चित्रण से होता है “कितना मनोहर कितना सुहावना प्रभात है, वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है। आसमान पर आज कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो बधाई दे रहा है।”
कहानी के वाह्या चित्रण से कम प्रभावकारी आंतरिक चित्रण नहीं है। हामिद की दादी के आन्तरिक चित्रण का चित्र देखिए, “आज आबिद होता तो क्या इसी तरह ईद आती और चली जाती। इस अंधकार और निराशा में वह डूबी जा रही है उसके अन्दर प्रकाश है, बाहर आशा ।”
३.कथोपकथन :
कहानी में नाटक की तरह कथोपकथन का महत्व नहीं होता, पर कथोपकथन का आकर्षण कहानी में चार चाँद लगा देता है। इस कहानी में कई स्थानों पर कथोपकथन दिखता है, यथा
हामिद और उसके मित्रों के बीच
मोहसिन कहता है, मेरा भिस्ती रोज पानी दे जायेगा, साँझ सवेरे ।
महमूद ‘और मेरा सिपाही घर का पहरा देगा ।”
नूरे ‘और मेरा वकील खूब मुकदमा लड़ेगा।
सम्मी मेरी धोबिन रोज कपड़े धोयेगी ।”
हामिद मिट्टी ही के तो है, गिरे तो चकनाचूर हो जाएँ ।’
हामिद और दुकानदार के बीच ‘बिकाऊ है कि नहीं ?”
बिकाऊ क्यों नहीं है ? और यहाँ क्यों लाद लाए है ?
‘तो बताते क्यों नहीं, के पैसे का है ?
इस प्रकार कहानी के संवाद बड़े मनोरंजक एवं समयानुकूल है जो कथावस्तु के विस्तार में सहायक है। चरित्र-चित्रण और पात्र ईदगाह कहानी में अनेक पात्र है यथा हामिद, अमीना, नूरे, सम्मी, मोहसिन और महमूद आदि । सबका अपना चरित्र है और कहानीकार ने उनके विकास का अवसर दिया है, लेकिन कहानी में मुख्य दो ही चरित्र है जिनके इर्द-गिर्द कहानी सदा घूमती है। ये दो प्रधान चरित्र है हामिद और उसकी दादी अमीना हामिद एक चार-पाँच साल का गरीब बालक है जिसके माँ बाप मर चुके हैं। इसकी गरीब बूढ़ी दादी उसका पालन-पोषण करती है। हामिद को अभावों ने परिपक्व और तर्कशील बना दिया है। वह अपने मित्रों से गरीब है, पर अपनी तर्क बुद्धि के बल पर सबको पराजित कर अपनी बुद्धि का डंका बजा देता है। इस प्रकार लेखक ने हामिद के चरित्र का पूर्ण विकास किया है ।
४.भाषा-शैली :
प्रेमचन्द को कलम का जादूगर कहा जाता है. अतः पूरी कहानी में उनकी भाषा सरल, सुबोध और पात्रों के अनुकूल है। कहीं-कहीं मुहावरों का प्रयोग भी हुआ है। सभी को सेवैया चाहिए। और थोड़ा किसी की आँखो नहीं लगता। किस-किस से मुँह चुरायेगी। और क्यों मुँह चुराये। साल भर का त्यौहार है जिन्दगी भी खैरियत से रहे ये दिन भी कट जायेंगे । “उनकी जेबों में तो कुबेर का धन भरा हुआ है।” भाषा में कहीं-कहीं अवर्णनीय सौन्दर्य दिखाई पड़ता है। “मानो भातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।”
५.उद्देश्य:
इस कहानी का उद्देश्य बालक हामिद के माध्यम से उस परिस्थिति का वर्णन करना है जिसके कारण गरीबों के बच्चे अपने बचपन में ही बूढ़े हो जाने की नियति पाते हैं कहानी का दूसरा उद्देश्य गरीबी की बेबसी को दिखाना है । हामिद मात्र चार-पाँच वर्ष का बच्चा है। अन्य बच्चे जब खिलौना एवं मिठाई खरीदने में व्यस्त है उस समय हामिद को अपने दादी के हाथ जलने की बात मन में आती है और वह खिलौना न खरीदकर चिमटा खरीद लेता है।