(बाल्यावस्था में शारीरिक विकास balyavastha mein sharirik vikas ka varnan kijiye

(बाल्यावस्था में शारीरिक विकास का वर्णन कीजिए) balyavastha mein sharirik vikas ka varnan kijiye (Physical Development During Childhood)

बाल्यावस्था को 6 से 12 वर्ष तक की आयु तक माना जाता है। इस अवस्था को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

I. प्रथम भाग 6 से 9 वर्ष तक

II. द्वितीय भाग : 9 से 12 वर्ष तक

प्रथम भाग में विकास की गति तेज होती है तथा द्वितीय भाग में गति कुछ मन्द पड़ जाती है किन्तु शरीर में दृढ़ता आनी शुरू हो जाती है। इस आयु में शारीरिक परिवर्तन निम्न प्रकार से होते हैं-

बाल्यावस्था में शारीरिक विकास का वर्णन कीजिए

1. लम्बाई या आकार (Height or Size) –

लम्बाई में वृद्धि की दृष्टि से बाल्यावस्था विशेष रूप से महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। इस अवस्था में लम्बाई बढ़ने की दर 2-3 इंच प्रतिवर्ष रहती है। 6 से 9 वर्ष तक की आयु तक बालिकाओं की लम्बाई बालकों को अपेक्षा कम रहती है। 10वें वर्ष में दोनों की लम्बाई लगभग समान हो जाती है तथा 12 वर्ष आने तक बालिकाएँ बालकों से अधिक लम्बी हो जाती हैं।

2. भार (Weight) –

लम्बाई की भाँति भार में भी बालिकाएँ 9 वर्ष तक बालकों से कम रहती हैं तथा 10 से 12 वर्ष के दौरान बालकों से अधिक हो जाती हैं।

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3. मस्तिष्क व सिर (Brain and Head) –

बाल्यावस्था में सिर का विकास तो होता है किन्तु शरीर और सिर का अनुपात वयस्क के शरीर और सिर के अनुपात की समानता की ओर प्रवृत्त होने लगता है। शैशवावस्था के अन्त तक मस्तिष्क का विकास वयस्क मस्तिष्क का 90% होता है जो बाल्यावस्था में अन्त तक बढ़कर 95% हो जाता है । इस प्रकार बाल्यावस्था के दौरान मस्तिष्क का पर्याप्त विकास हो जाता है।

4. माँसपेशियाँ (Muscles) –

बाल्यावस्था में माँसपेशियों का विकास मन्द गति से होता है। 8 वर्ष की आयु में माँसपेशियों का भार शरीर के कुल भार का 27% होता है जो 12 वर्ष में बढ़कर 33% हो जाता है।

5. घड़ का विकास (Trunk Part of the Body)-

बाल्यावस्था में बालक एवं बालिकाओं के धड़ का विकास महत्व रखता है। इस आयु में शरीर बलिष्ठ, पुष्ट तथा शक्तिशाली होने लगता है जिससे बालक अपने अंगों के संचालन पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं। बालकों के कन्थे चौड़े होने लगते हैं तथा कूल्हे पतले हो जाते हैं। बालिकाओं के कंधे पतले हो जाते हैं तथा कूल्हे चौड़े हो जाते हैं।

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6. हाथ व पैर (Hands and Legs) –

बाल्यावस्था में बालकों के पैर लम्बे व सीधे हो जाते हैं तथा बालिकाओं के पैर अन्दर की ओर कुछ झुकाव ले लेते हैं। भुजाएँ भी लम्बी होने लगती है।

7. दाँत (Teeth) –

बाल्यावस्था के आरम्भ में दूध का दाँत गिरने लगते हैं और नए स्थायी दाँत आने प्रारम्भ होने लगते हैं। लगभग 12-13 वर्ष में सभी दाँत आ जाते हैं। सामान्यतया दाँतों की संख्या 27-28 होती है। बालिकाओं के दाँत बालकों की तुलना में कुछ जल्दी निकल आते हैं। दाँत चेहरे की आकृति में स्थायित्व लाते हैं और उसे सुन्दर बनाते हैं।

8. यौन अंगों का विकास (Development of Sex Organs)-

बालकों तथा बालिकाओं दोनों के प्रजनन अंगों का विकास भी बाल्यावस्था में होने लगता है किन्तु बालकों में यह विकास धीमी गति से होता है। 11-12 वर्ष तक आते-आते बालिकाओं के यौन अंगों का विकास तीव्र गति पकड़ लेता है।

9. हृदय गति (Heart beating) –

शैशवावस्था की तुलना में बाल्यावस्था में हृदय की धड़कनों की गति कम हो जाती है। 18 वर्ष के बालकों का हृदय प्रति मिनट 85 बार धड़कता है।

निष्कर्ष: इस आर्टिकल में हमने बाल्यावस्था में शारीरिक विकास के बारे में जाना। बाल्यावस्था को दो भागों में बांटा गया है प्रथम भाग 6 से 9 वर्ष तक, द्वितीय भाग 9 से 12 वर्ष तक। 6 से 9 वर्ष तक विकास की गति तेज होती है तथा 9 से 12 वर्ष तक गति कुछ मन्द पड़ जाती है। प्रथम भाग में बालक बालिकाओं की अपेक्षा अधिक लम्बे होते हैं पर द्वितीय भाग में इसका उल्टा होता है इसमें बालिका बालक से अधिक लम्बे होने लगते है। बाल्यावस्था में मस्तिष्क का विकास 90% से बढ़कर 95% हो जाता है।

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