चप्पल कहानी की मार्मिकता पर अपने विचार रखिए
‘चप्पल’ कहानी की मार्मिकता उसकी सादगी और गहन भावनात्मकता में निहित है। कावुटूरि वेंकट नारायण राव ने इस कहानी के माध्यम से साधारण पात्रों को लेकर असाधारण मूल्यों को प्रस्तुत किया है। कहानी में न तो कोई बड़ा नाटकीय प्रसंग है और न ही कोई भव्य परिवेश, फिर भी यह सीधे हृदय को छू लेती है।
रंगय्या का अपने पुत्र के गुरु के प्रति सम्मान और समर्पण, उसके त्यागपूर्ण कर्म और उसकी श्रद्धा कहानी को अत्यंत संवेदनशील बनाते हैं। विशेष रूप से वह प्रसंग, जब आग से चप्पलें बचाने के लिए रंगय्या अपनी जान की परवाह नहीं करता, पाठक को भीतर तक झकझोर देता है। यह घटना न केवल उसकी श्रद्धा को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्ची भक्ति और कृतज्ञता जीवन से भी बड़ी हो सकती है।
कहानी की मार्मिकता इस तथ्य में भी है कि इसमें जातिगत भेदभाव के बावजूद गुरु और शिष्य का संबंध पवित्र और आदर्श रूप में चित्रित किया गया है। मास्टर साहब का रमण के प्रति स्नेह और रंगय्या का उनके प्रति समर्पण यह दर्शाता है कि शिक्षा का वास्तविक अर्थ मानवता, प्रेम और समानता है।
इस प्रकार, ‘चप्पल’ कहानी अपने सहज लेकिन प्रभावशाली कथानक, सजीव पात्र-चित्रण और भावनात्मक गहराई के कारण पाठक को न केवल भावुक करती है, बल्कि जीवन के उच्च आदर्शों की ओर प्रेरित भी करती है। इसकी मार्मिकता यही है कि यह साधारण जीवन की पृष्ठभूमि में असाधारण मानवीय मूल्यों को उजागर करती है।
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