पन्ना चन्दन को उदय सिंह की शय्या पर सुलाकर क्या प्रमाण देना चाहती थी? स्पष्ट करें। 

पन्ना चन्दन को उदय सिंह की शय्या पर सुलाकर क्या प्रमाण देना चाहती थी? स्पष्ट करें। 

पन्ना चन्दन को उदय सिंह की शय्या पर सुलाकर क्या प्रमाण देना चाहती थी? स्पष्ट करें। 

उत्तर —
‘दीपदान’ एकांकी के लेखक डॉ. रामकुमार वर्मा ने पन्ना धाय के चरित्र के माध्यम से भारतीय नारी के आदर्श रूप को प्रस्तुत किया है। पन्ना धाय मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह के राजपरिवार की एक निष्ठावान परिचारिका थी। उसे राजकुमार उदय सिंह की देखभाल और लालन-पालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया था। पन्ना अपने कर्तव्य के प्रति अत्यंत समर्पित और निष्ठावान थी। उसने अपने जीवन का उद्देश्य ही राजकुमार की रक्षा को बना लिया था।

जब महाराणा की मृत्यु के बाद बनवीर ने सत्ता प्राप्त करने के लिए उदय सिंह की हत्या करने का षड्यंत्र रचा, तब पन्ना ने परिस्थिति की गंभीरता को समझा। उसने अपने मातृत्व भाव को त्यागकर कर्तव्य धर्म को सर्वोच्च स्थान दिया। उसने अपने एकमात्र पुत्र चन्दन को उदय सिंह की शय्या पर सुला दिया, ताकि बनवीर उसे ही उदय सिंह समझकर प्राणघातक वार करे। बनवीर ने ठीक वैसा ही किया और चन्दन की हत्या कर दी।

इस घटना ने पन्ना को अमर कर दिया। उसने यह प्रमाण दिया कि सच्ची राजनिष्ठा, स्वामिभक्ति और कर्तव्यपरायणता के लिए एक सच्चा सेवक अपने जीवन की सबसे बड़ी आहुति देने से भी पीछे नहीं हटता। पन्ना ने अपने पुत्र की बलि देकर न केवल मेवाड़ के उत्तराधिकारी की रक्षा की, बल्कि राष्ट्र और धर्म की मर्यादा को भी बनाए रखा।

पन्ना का यह त्याग केवल मातृत्व की करुण गाथा नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का सर्वोच्च उदाहरण है। उसने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय नारी केवल स्नेह और ममता की मूर्ति ही नहीं, बल्कि समय आने पर साहस, त्याग और वीरता की प्रतीक भी बन सकती है।

इस प्रकार पन्ना चन्दन को उदय सिंह की शय्या पर सुलाकर यह प्रमाण देना चाहती थी कि कर्तव्य, धर्म और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं — इनकी रक्षा के लिए यदि मातृत्व का भी बलिदान देना पड़े, तो वह भी महान और पवित्र कर्तव्य है। पन्ना का यह अद्भुत त्याग भाव भारतीय संस्कृति की अमर धरोहर बन गया है।

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