
अधिगम की प्रक्रिया (Process of Learning)
अधिगम, जिसे हम सीखने की प्रक्रिया भी कहते हैं, जीवन भर चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है। यह न केवल व्यक्ति को ज्ञान और कौशल अर्जित करने में सक्षम बनाती है, बल्कि उसके व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण को भी प्रभावित करती है। अधिगम का उद्देश्य व्यक्ति को जीवन की आवश्यकताओं के अनुसार योग्य बनाना और उसे परिस्थितियों के अनुरूप ढालना है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति नए अनुभवों, अभ्यास और सामाजिक परिस्थितियों से सीखता है और अपने व्यवहार को समय के साथ सुधारता है।
अधिगम के विभिन्न विशेषज्ञों ने इसे परिभाषित किया है। Boaz के अनुसार, “अधिगम वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति विभिन्न आदतें, ज्ञान और दृष्टिकोण अर्जित करता है, ताकि वह सामान्य जीवन की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।” वहीं, उदय पारीख के अनुसार, “अधिगम वह प्रक्रिया है जिसमें किसी परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया के कारण प्राणी नए प्रकार के व्यवहार को अपनाता है, जो उसके सामान्य व्यवहार को दीर्घकाल तक प्रभावित करता है।” इन परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि अधिगम केवल जानकारी प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह व्यवहार और जीवन दृष्टिकोण को भी बदलने की प्रक्रिया है।
अधिगम की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं, जो मिलकर इसे सफल बनाते हैं।
1. उद्देश्य (Goal)
अधिगम की प्रक्रिया की शुरुआत उद्देश्य से होती है। जीवन में कोई भी क्रिया बिना उद्देश्य के नहीं होती। व्यक्ति किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सीखने का प्रयास करता है। उद्देश्य व्यक्ति को दिशा प्रदान करता है और उसे सक्रिय बनाता है। Melton के अनुसार, अभिप्रेरणा अधिगम की अनिवार्य अवस्था है। यह अभिप्रेरणा व्यक्ति को सक्रिय करती है और उसे सीखने की ओर प्रेरित करती है। उद्देश्य स्पष्ट होने पर व्यक्ति अपने प्रयासों को सही दिशा में केंद्रित कर सकता है।
2. अभिप्रेरणा (Motivation)
उद्देश्य की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को सीखने के लिए प्रेरित होना आवश्यक है। इसे अभिप्रेरणा कहते हैं। अभिप्रेरणा व्यक्ति के भीतर एक आंतरिक शक्ति उत्पन्न करती है, जो उसे सीखने के लिए सक्रिय करती है। यह प्रेरणा व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में भी निरंतर प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करती है। अभिप्रेरणा के बिना अधिगम अधूरा और असफल रहता है।
3. उत्तेजना (Stimulation)
अभिप्रेरणा के बाद अगला चरण उत्तेजना का होता है। उत्तेजना किसी कार्य को करने में सहायक होती है। यह बाहरी वातावरण, साधनों और परिस्थितियों के माध्यम से उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, विद्यालय में शिक्षक की प्रोत्साहनात्मक टिप्पणियाँ, परीक्षा का दबाव या सहपाठियों की प्रतिस्पर्धा व्यक्ति को क्रियाशील बनाने में उत्तेजना का कार्य करती है। उत्तेजना व्यक्ति को कार्य करने की दिशा में सक्रिय करती है और उसे उद्देश्य की प्राप्ति के करीब ले जाती है।
4. प्रतिबोधन (Perception)
अधिगम में प्रतिबोधन या धारणा का महत्व अत्यधिक है। यह व्यक्ति को किसी क्रिया या घटना से जुड़ी सभी सूचनाओं और अनुभवों को समझने में मदद करता है। प्रतिबोधन के माध्यम से व्यक्ति अनुभव, अवलोकन और ज्ञान को जोड़कर सीखता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सही निर्णय लेने और उचित व्यवहार अपनाने में सक्षम बनाती है।
5. पुनर्बलन (Reinforcement)
अधिगम की प्रक्रिया में पुनर्बलन का चरण बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्ति किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कई प्रयास करता है। जो प्रयास सफल होते हैं और उद्देश्य की पूर्ति में मदद करते हैं, उन्हें पुनर्बलित किया जाता है। पुनर्बलन से व्यक्ति के भीतर सीखने की स्थायित्व पैदा होती है और भविष्य में वह सफल प्रतिक्रियाओं को दोहराने लगता है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र को गणित की समस्या सही ढंग से हल करने पर प्रशंसा मिलना, उसकी सीखने की प्रक्रिया को मजबूत करता है।
6. संगठन (Integration)
अधिगम का अंतिम चरण संगठन है। यह चरण सीखने की प्रक्रिया में प्राप्त ज्ञान और सफल प्रतिक्रियाओं को पूर्वज्ञान के साथ जोड़ने का कार्य करता है। संगठन से नया ज्ञान व्यक्ति के व्यवहार का एक अंग बन जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि अधिगम स्थायी हो और व्यक्ति उसे अपनी दैनिक गतिविधियों में प्रभावी ढंग से लागू कर सके। संगठन से सीखना केवल अस्थायी नहीं रहता, बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व और व्यवहार का हिस्सा बन जाता है।
निष्कर्ष
अधिगम केवल ज्ञान और कौशल प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के दृष्टिकोण, व्यवहार और सोच को विकसित करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया है। उद्देश्य, अभिप्रेरणा, उत्तेजना, प्रतिबोधन, पुनर्बलन और संगठन के माध्यम से अधिगम व्यक्ति को जीवन में सफल बनाने में सहायक होता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सामाजिक, मानसिक और व्यवहारिक दृष्टि से सशक्त बनाती है। इसलिए अधिगम को केवल शिक्षा के साधन के रूप में नहीं, बल्कि जीवन में सफलता और विकास की कुंजी के रूप में समझना चाहिए।
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