कर्मनाशा की हार एक सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित कहानी है कैसे

कर्मनाशा की हार एक सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित कहानी है कैसे

कर्मनाशा की हार एक सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित कहानी है कैसे

उत्तर :- ‘कर्मनाशा की हार’ डॉ. शिव प्रसाद सिंह द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण कहानी है। इस कहानी में लेखक ने बड़े रोचक और प्रभावशाली ढंग से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुप्रथाओं को उजागर किया है। कहानी के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि कैसे लोग प्राकृतिक आपदाओं या असाधारण परिस्थितियों से निपटने के लिए बिना किसी तर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अंधविश्वासों पर भरोसा करते हैं। नईडीह के ग्रामीणों का उदाहरण देकर लेखक ने यह दिखाया है कि लोग कर्मनाशा नदी की बाढ़ से बचने के लिए मानव बलि जैसी कुप्रथा का सहारा लेते हैं।

कहानी में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव का भी उल्लेख है। लेखक ने दिखाया है कि समाज में कितनी मजबूती से ये कुप्रथाएँ जड़ें जमा चुकी हैं और किस प्रकार यह केवल मानव समाज को हानि पहुँचाती हैं। इन अंधविश्वासों और कुप्रथाओं का उद्देश्य केवल मनुष्य की मानसिक शांति नहीं बल्कि उसे भय और भ्रम की स्थिति में डालना भी है। लेखक ने इसे बड़े सहज और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।

साथ ही, कहानी यह संदेश भी देती है कि शिक्षा के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र के लोग अक्सर अंधविश्वासों का शिकार होते हैं। वे अपने जीवन की समस्याओं का कोई वैज्ञानिक और तर्कसंगत समाधान खोजने के बजाय पूजा-पाठ, झार-फूंक और अन्य अंधविश्वासी कर्मकाण्डों में विश्वास करते हैं। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के विकास और प्रगति में भी बाधा डालता है।

डॉ. शिव प्रसाद सिंह ने इस कहानी के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि अंधविश्वास केवल अज्ञानता का परिणाम हैं और इन्हें खारिज कर तर्क और विज्ञान के आधार पर समाधान खोजा जाना चाहिए। कहानीकार ने अंधविश्वासों के खंडन के माध्यम से समाज को चेतावनी दी है कि अगर हम इन्हें नहीं मिटाएंगे, तो यह समाज को पीछे खींचते रहेंगे।

इस प्रकार ‘कर्मनाशा की हार’ न केवल अंधविश्वास और कुप्रथाओं को उजागर करती है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि सामाजिक जागरूकता, शिक्षा और तर्कसंगत दृष्टिकोण से ही समाज में सुधार लाया जा सकता है।

इसे भी पढ़े: 

 

Leave a Comment