समाज से क्या तात्पर्य है (samaj se kya samajhte hain)
समाज से तात्पर्य है, जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के परस्पर प्रेम सहानुभूति मित्रता सहयोग एवं दया की भावनाओं के द्वारा या इसके विपरीत परस्पर आचरण करते हैं तो उनके बीच एक सामाजिक वातावरण उत्पन्न हो जाता है इसे साधारण शब्दों में समाज कहा जा सकता है।
समाज व्यक्तियों का संगठन है इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर रहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे पर निर्भर रहता है। एक अच्छे समाज का निर्माण व्यक्तियों पर निर्भर होता है।
समाज को आंग्ल भाषा में “socity” कहा जाता है समाज की आवश्यकताओं, आदर्शों आदि के आधार पर शिक्षा दी जाती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः उसे समाज में रहकर एक-दूसरे के प्रति वांच्छित व्यवहार करनी चाहिए।
समाज का शिक्षा पर प्रभाव(samaj ka shiksha par prabhav) impact of society on education in hindi
जिस प्रकार समाज के बिना शिक्षा अधूरा है उसी प्रकार शिक्षा के बिना समाज अधूरा है अतः समाज का शिक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। जिसे निम्नलिखित बिंदुओं में दर्शाया गया है –
१. सामाजिक दृष्टिकोण का प्रभाव
२. आर्थिक दशाओं का प्रभाव
३. धार्मिक दशाओं का प्रभाव
४. राजनीतिक दशाओं का प्रभाव
५. सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव
६. समाज की प्रकृति का आदर्श का प्रभाव
shiksha ka samaj par kya prabhav padta hai
१. सामाजिक दृष्टिकोण का प्रभाव :-
शिक्षा पर समाज का बुरा प्रभाव पड़ता है। जिस समाज के लोग रूढ़ीवादी, अंधविश्वासी, छुआछूत, ऊंच-नीच, जाति-पाति, एवं अहंकारवादी विचारधारा के होते हैं समाज में परंपरागत शिक्षा पर बल दिया जाता है। वैसे समाज में शिक्षा का स्तर भी नीचे गिरता जाता है। लोग एक दूसरे से घृणा करने लगते हैं और साथ में दी जाने वाले शिक्षा ग्रहण करने में हिचकिचाते हैं जिसके कारण समाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है साथ ही शिक्षा पर भी। शिक्षा इन बुराइयों को दूर करने का पूरा प्रयास कर रहा है और कुछ हद तक इन प्रयासों में सफल भी हो गया है पर अब भी समाज को बुरी तरह से बदल नहीं सका है।
२. आर्थिक दशाओं का प्रभाव :-
समाज की आर्थिक दशा ठीक न होने के कारण कहीं न कहीं शिक्षा को दिया जाता है। जहां की शिक्षा व्यवस्था अच्छी होती है वहां की सामाजिक स्थिति में सुधार आता है और जहां की शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं होती हैं वहां की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं होती हैं। अतः समाज का शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आर्थिक दशाओं को ठीक करने के लिए अच्छा शिक्षा व्यवस्था का होना आवश्यक है। आज का युग आधुनिक युग है और जहां की शिक्षा नीति अच्छी होती है वहां की आर्थिक में भी बढ़ोतरी होती है सरकार भारत के शिक्षा नीति में हर 5 वर्षों में बदलाव करता है ताकि भारत की शिक्षा नीति उनकी आर्थिक स्थिति में भी बदलाव हो सके। क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसा जरिया है जिसके माध्यम से भारत जैसे विकासशील देशों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाया जा सकता है भारत वैसे भी एक कृषि प्रधान देश है जहां के लोग खेती बारी से ही अपनी जीविका चलाते हैं लेकिन इन जीविका को चलाने के लिए भी उन्हें शिक्षा ग्रहण करने की अति आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से उन्हें अच्छी फसल प्राप्त हो सकती है और उन फसलों की कमियों एवं उत्तम किस्म की फसलों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो सकती है लेकिन इन पर ध्यान नहीं देने के कारण आज भारत देश अन्य देशों से काफी पिछड़ चुका है अतः आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए शिक्षा की अहम भूमिका होती है।
३. धार्मिक दशाओं का प्रभाव :-
भारत ही एक ऐसा देश है जहां अनेकों धर्म के लोग निवास करते हैं यहां लगभग 15000 धर्म एवं देवी देवता हैं फिर भी सभी धर्मों का केंद्र बिंदु एक ही है वह है आस्था। लेकिन इस आस्था में भी लोगों में आज एकरूपता नहीं देखी जाती हैं सभी अपने अपने धर्म से प्रेम रखते हैंतथा शिक्षा पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आज के युग में समाज की धार्मिक विचारों एवं मान्यताओं पर समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिसे समाज में धार्मिक कहरता आ जाती हैं। बालक को केवल अपने धर्म की शिक्षा दी जाती हैं उन्हें अपने धर्म से प्रेम तथा दूसरों के धर्म से घृणा करना सिखाया जाता है। शिक्षा व्यवस्था अपने धर्म के अनुसार की जाती है। इन सभी कारणों से समाज में शिक्षा का गहरा प्रभाव पड़ रहा है और लोगों में टकराव एवं अलगाव पैदा हो रहे हैं।
४. राजनीतिक दशाओं का प्रभाव :-
समाज की राजनैतिक दशाओं का गहरा प्रभाव पड़ता है। जिस समाज की राजनैतिक स्थिति जैसी होनी है उस समाज की शिक्षा भी वैसे ही होती है। जिस समाज के राजनीति कटरतावादी के होते हैं उस समाज की शिक्षा व्यवस्था भी उसी प्रकार होती है आज हम देखते हैं कि अमेरिका, चीन, इंग्लैंड, जैसे देशों में शिक्षा राजनीतिक दशाओं पर निर्भर करती हैं। इन सबके बावजूद भी भारत एक ऐसा देश है जहां राजनीतिक पर शिक्षा एक अहम भूमिका होती है। क्योंकि यहां के विद्यार्थी राजनीति पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और इसका पूरा पूरा फायदा राजनीतिक नेता ही लेते हैं अतः सरकार को इन बातों पर ध्यान देनी चाहिए क्योंकि राजनीति का प्रभाव शिक्षा पर पड़ता है और एक अलग ही छाप छोड़ जाता है इसलिए समाज पर राजनीतिक चलती है तो इसका प्रभाव शिक्षा को भी पड़ता है।
५. सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव :-
जिस तरह शिक्षा के द्वारा समाज का विकास होता है उसी प्रकार सामाजिक स्थिति में भी परिवर्तन आता है। समाज की स्थिति में सुधार होता है। मतलब जब समाज की दशा बदल जाती है तो शिक्षा का स्वरूप भी बदल जाता है। विद्यालय एक लघु समाज का ही रूप है क्योंकि यहां विभिन्न जाति धर्म को मानने वाले बच्चे एक साथ पढ़ने आते हैं पता शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि उनमें एकता एवं प्रेम की भावना उत्पन्न हो जिससे समाज में समानता एवं एकता की भावना बने रहे। हम मनुष्य रूढ़ीवादी, पौराणिक परंपरा, विचारधाराओं को नहीं मानना चाहते और उन परंपराओं को परिवर्तन कर अपने अनुसार बदलने की कोशिश करते हैं तब समाज में भी परिवर्तन होने लगता है जैसे पौराणिक परंपराओं के अनुसार अपने माता पिता या बड़े बुजुर्गों से मिलने पर पांव छूकर या हाथ जोड़कर प्रणाम किया करते थे पर अब ये परंपरा गायब ही हो चुकी हैं जब भी समाज पर किसी भी परंपरा का बदलाव किया जाता है तो इन बातों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए नहीं तो समाज परिवर्तन के साथ-साथ इसमें व्यवहारवादी नैतिकता जैसे गुणों का अभाव होने लगता है और इसका प्रभाव समाज एवं शिक्षा पर भी होता है।
६. समाज की प्रकृति का आदर्श का प्रभाव :-
यदि समाज की प्रगति तानाशाही होगी वहां की शिक्षा भी अनुशासन तथा आज्ञा पालन पर विशेष बल देगा।क्योंकि जैसी समाज होती है वैसे ही शिक्षा भी दी जाती है अतः हमें शिक्षा के साथ-साथ या समाज के साथ-साथ शिक्षा या समाज को ले जाना चाहिए नहीं तो शिक्षा भी और समाज भी एक से डूब जाएगा।
निष्कर्ष
उपर्युक्त विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि समाज का शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है, समाज में सामाजिक परिवर्तनों तथा आर्थिक दशाओं का शिक्षा पर विशेष प्रभाव पड़ता है। साथ ही जैसी राजनीति होगी जैसे बच्चों को धार्मिक शिक्षाएं दी जाएगी वैसे ही समाज की भी स्थिति होगी इसलिए समाज में सुधार लाना है तो शिक्षा में भी सुधार लाना होगा अतः कहा जा सकता है कि समाज पर शिक्षा का प्रभाव पड़ता ही है।