पश्चिम बंगाल को 25% बकाया डीए दें: सुप्रीम कोर्ट का आदेश

पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: चार हफ्ते में दें 25% बकाया डीए, अगली सुनवाई अगस्त में

पश्चिम बंगाल को 25% बकाया डीए दें: बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: चार हफ्ते में दें 25% बकाया डीए, अगली सुनवाई अगस्त में

पश्चिम बंगाल को 25% बकाया डीए दें: भारत के उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा निर्देश देते हुए चार सप्ताह के भीतर राज्य के सरकारी कर्मचारियों को 25 प्रतिशत बकाया महंगाई भत्ता (DA) का भुगतान करने को कहा है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने कहा कि यह राशि राज्य के हर पात्र कर्मचारी को तय समयसीमा के भीतर दी जाए।

यह मामला लंबे समय से विचाराधीन था और अब आखिरकार सर्वोच्च अदालत के इस फैसले ने लाखों कर्मचारियों को राहत दी है।

बकाया डीए को लेकर वर्षों से चल रहा था विवाद

वर्ष 2022 में पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की दरों के अनुसार 31% महंगाई भत्ता दिए जाने की मांग को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 20 मई 2022 को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को केंद्र की दरों के अनुरूप डीए देने का निर्देश दिया था।

हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिससे मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा। 1 दिसंबर 2024 से लगातार 18 बार इस मामले की सुनवाई टाली गई। अब जाकर 16 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और 25% बकाया डीए भुगतान का आदेश जारी हुआ।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: कर्मचारी का अधिकार है डीए

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है और कर्मचारियों को बकाया डीए देना उनका अधिकार है। अदालत ने कहा कि—

“फिलहाल 25% डीए चार हफ्तों के भीतर दिया जाए। शेष राशि पर अगली सुनवाई अगस्त में की जाएगी।”

कर्मचारियों में खुशी, संघर्ष को मिली मान्यता

संघर्षशील संयुक्त मंच के संयोजक भास्कर घोष ने कहा:

“राज्य सरकार अब तक डीए देने से इनकार करती रही। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह साफ हो गया कि डीए हमारा अधिकार है। हमें उम्मीद है कि अगली सुनवाई में पूरा बकाया मिलेगा।”

एक अन्य सरकारी कर्मचारी ने कहा:

“हमने सालों तक आंदोलन किया, अब जाकर हमारे संघर्ष को मान्यता मिली है। यह निर्णय हमारे आत्मसम्मान की जीत है।”

सरकार की प्रतिक्रिया: आदेश की प्रतीक्षा में

राज्य की वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा:

“हमें अभी सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश मिलने के बाद ही राज्य सरकार इस पर प्रतिक्रिया देगी।”

क्या है महंगाई भत्ता (DA)?

महंगाई भत्ता कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई की भरपाई के लिए दिया जाने वाला एक अतिरिक्त भत्ता है। केंद्र सरकार समय-समय पर अपने कर्मचारियों के लिए डीए की दर बढ़ाती है। राज्य सरकारों को भी आमतौर पर केंद्र के अनुरूप दरें अपनानी होती हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्षों तक ऐसा नहीं किया, जिससे यह विवाद उत्पन्न हुआ।

आगे क्या?

अब सभी की निगाहें अगस्त 2025 की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें शेष बकाया डीए के भुगतान और राज्य सरकार की दलीलों पर फैसला हो सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त रहा तो राज्य सरकार को कर्मचारियों का पूरा बकाया डीए चुकाना पड़ सकता है, जिससे वित्तीय भार बढ़ेगा।

इस फैसले ने न केवल पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों को राहत दी है, बल्कि यह देशभर के कर्मचारियों के लिए एक मिसाल भी बन गया है कि उनका हक़ छीना नहीं जा सकता। अब देखना होगा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कैसे करती है और बाकी 75% डीए पर क्या निर्णय होता है।

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