शाप-मुक्ति कक्षा 8 Question Answer ॥ Shap Mukti Question Answer Class 8
आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम शाप मुक्ति के प्रश्न उत्तर क्लास 8,को पढ़ने जा रहे हैं। जो पश्चिम बंगाल के सरकारी विद्यालय के कक्षा 8 के पाठ्यपुस्तक साहित्य मेला गद्यखंड के पाठ 7 शाप-मुक्ति से लिया गया है जिसके लेखक रमेश उपाध्याय जी है। तो चलिए नई नारी कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 , Shap Mukti Question Answer Class 8 को देखें-
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न क . शाप मुक्ति किस विद्या की रचना है?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) निबंध
(घ) नाटक
उत्तर :
(ख) कहानी
प्रश्न ख . डॉ० प्रभात के बचपन का क्या नाम था?
(क) चिंदू
(ख) बब्बू
(ग) मंटू
(घ) ढब्बू
उत्तर :
(ग) मंटू
प्रश्न ग. डॉ० प्रभात किसके डॉक्टर थे?
(क) दाँतो के
(ख) हदय के
(ग) आँखों के
(घ) हड्डी के
उत्तर :
(ग) आँखों के
प्रश्न घ. डॉ प्रभात के पास बब्दू किसका इलाज करने आया था?
(क) अपनी नानी का
(ख) अपनी दादी का
(ग) अपनी माँ का
(घ) अपनी बहन का
उत्तर :
(ख) अपनी दादी का
प्रश्न ड़. दादी किसके समझाने पर इलाज कराने को तैयार हो गई?
(क) बब्बू
(ख) डॉ० प्रभात
(ग) मंटू
(घ) परिवार जन
उत्तर :
(ख) डॉ० प्रभात।
लघुउत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. दादी डॉक्टर प्रभात के पास क्यों गई ?
उत्तर:
दादी अपनी आँखों का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर प्रभात के पास गई थीं।
प्रश्न 2. डॉ० प्रभात किस प्रकार के डॉक्टर थे?
उत्तर:
डॉक्टर प्रभात एक मशहूर नेत्र-चिकित्सक (आँखों के डॉक्टर) थे। लोग दूर-दूर से अपनी आँखों का इलाज कराने उनके पास आते थे।
प्रश्न 3. डॉ० प्रभात कहाँ के रहने वाले थे?
उत्तर:
डॉक्टर प्रभात इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के रहने वाले थे।
प्रश्न 4. मंटू कौन था?
उत्तर:
मंटू डॉक्टर प्रभात का बचपन का नाम था।
प्रश्न 5. दादी डॉक्टर के पास क्यों नहीं जाना चाहती थी?
उत्तर:
बचपन में डॉक्टर प्रभात (मंटू) ने तीन पिल्लों की आँखें फोड़ दी थीं। यह बात दादी को याद थी और उन्होंने तब मंटू को शाप भी दिया था। इसलिए दादी उनके पास इलाज कराने नहीं जाना चाहती थीं।
बोधमूलक प्रश्न :
प्रश्न 1. बब्बू ने मंटू के पापा का भेद क्यों खोल दिया?
उत्तर:
बब्बू शुरू में मंटू को बचाने के लिए सच छिपा रहा था। लेकिन जब दो पिल्ले मर गए और एक पिल्ला अभी भी ज़िंदा था, तो उसे बचाना ज्यादा जरूरी लगा। इसलिए बब्बू ने रोते हुए सारा सच मंटू के पापा को बता दिया।
प्रश्न 2. डॉ० प्रभात ने बचपन में किए पाप का प्रायश्चित किस प्रकार किया?
उत्तर:
डॉ॰ प्रभात बड़े होकर एक अच्छे नेत्र-चिकित्सक बने। उन्होंने हजारों लोगों की आँखों का इलाज किया और उनकी खोई हुई रोशनी लौटाई। इसी तरह उन्होंने अपने बचपन के पाप का प्रायश्चित किया।
प्रश्न 3. शाप मुक्ति कहानी का सारांश लिखिए।
उत्तर : शाप मुक्ति कहानी का सारांश
लेखक अपनी बूढ़ी दादी की आँखों का इलाज कराने दिल्ली के प्रसिद्ध नेत्र-चिकित्सक डॉ॰ प्रभात के पास गया। डॉ॰ प्रभात ने दादी की आँखों की जाँच की और लेखक से हँसते-हँसते बात करने लगे। बातचीत से पता चला कि डॉ॰ प्रभात और लेखक दोनों इलाहाबाद के रहने वाले थे। थोड़ी ही देर में डॉ॰ प्रभात ने लेखक को उसके बचपन के नाम “बब्बू” से पहचान लिया और लेखक ने भी डॉक्टर को अपने बचपन का मित्र “मंटू” पहचान लिया।
दादी को जब यह पता चला कि यही डॉ॰ प्रभात दरअसल वकील साहब का बेटा मंटू है, तो उन्हें 35 साल पुरानी एक घटना याद आ गई। मंदू ने बचपन में एक दिन तीन पिल्लों की आँखों में आक का जहरीला दूध डाल दिया था, जिससे वे अंधे हो गए थे। दो पिल्ले तो मर गए और एक को लेखक और उसकी दादी ने पाल लिया था। उस समय दादी ने मंटू को शाप दिया था कि “तेरी भी आँखें फूटेंगी।”
जब दादी को यह मालूम हुआ कि वही मंटू अब डॉ॰ प्रभात बन गया है, तो उन्होंने उससे इलाज कराने से साफ मना कर दिया। उन्होंने दवा तक लेने से इनकार कर दिया। लेखक ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की कि डॉ॰ प्रभात अब एक नेक और प्रसिद्ध नेत्र-चिकित्सक बन चुके हैं, लेकिन दादी नहीं मानीं।
अंत में डॉ॰ प्रभात खुद लेखक के घर आए और दादी से हाथ जोड़कर कहा –
“दादी माँ! मैं अपने बचपन के उस पाप को कभी नहीं भूला। आपके शाप ने मुझे पाप का एहसास कराया और तभी मैंने तय कर लिया कि मैं नेत्र-चिकित्सक बनकर बहुतों की आँखों को रोशनी दूँगा। आप की आँखों की सेवा करके मैं अपने पाप का प्रायश्चित करना चाहता हूँ।”
डॉ॰ प्रभात की विनम्रता और पश्चाताप की भावना से दादी का हृदय पिघल गया। उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने डॉक्टर को गले से लगा लिया और आशीर्वाद दिया –
“मेरे लाल, तुम्हारी आँखों की रोशनी सदा बनी रहे।”
अब उन्होंने डॉक्टर से इलाज कराने की भी सहमति दे दी।
प्रश्न 4. ‘शाप मुक्ति’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें पशु-पक्षियों और सभी जीव-जंतुओं के साथ दया और प्यार से पेश आना चाहिए। अगर हमसे कोई गलती हो जाए, तो उसका प्रायश्चित करना चाहिए। अपनी गलती मानकर उसे सुधारने की कोशिश करना सबसे अच्छी बात होती है। डॉ॰ प्रभात ने भी बचपन में जो गलती की थी, उसका प्रायश्चित उन्होंने अच्छे नेत्र-चिकित्सक बनकर किया और बहुत से लोगों की आँखों की रोशनी लौटाई।
प्रश्न 5. ‘चेहरा किसी दुखदाई स्पृति में काला-सा हो गया’ किसका चेहरा दुखदाई स्मृति में काला हो गया था? वह दुखदाई स्मृति क्या है?
उत्तर:
यह डॉ॰ प्रभात का चेहरा था, जो एक दुखदाई याद को सोचकर काला-सा हो गया। यह दुखदाई स्मृति उनके बचपन की थी, जब उन्होंने खेल-खेल में तीन पिल्लों की आँखों में आक का दूध डाल दिया था, जिससे वे अंधे हो गए थे।
प्रश्न: 6 .
मंटू ने बचपन में क्या पाप किया था और उस पाप का प्रायश्चित उसने किस प्रकार किया?
उत्तर:
मंटू ने बचपन में एक बहुत बड़ा पाप किया था। उसने एक दिन प्रयोग के तौर पर एक कुतिया के तीन पिल्लों की आँखों में आक के पौधे का जहरीला दूध डाल दिया, जिससे तीनों पिल्ले अंधे हो गए। दो पिल्ले तो मर गए और तीसरे को बहुत कष्ट हुआ। यह कार्य उसकी अबोध अवस्था की नासमझी का परिणाम था, लेकिन फिर भी यह एक गंभीर गलती थी।
इस पाप का प्रायश्चित मंटू ने बड़े होकर किया। वह डॉ॰ प्रभात नाम से एक प्रसिद्ध नेत्र-चिकित्सक बन गया और उसने हजारों लोगों की आँखों का इलाज कर उनकी रोशनी लौटाई। उसने यह निश्चय किया था कि अपनी आँखें फूटने से पहले वह बहुत सी आँखों को रोशनी देगा। इसी सेवा और पश्चाताप के भाव से उसने अपने बचपन के पाप का प्रायश्चित कर लिया।
विचार और कल्पना
1. यदि आपसे भी कभी अपराध-अनजाने या जानबूझकर हो गया है उसे अपनों से बताकर उसका प्रायश्चित पूछिए।
उत्तर : अपने गलती को स्वीकार कीजिए और उनसे माफी मांगिए।
2. जीव – जंतुओं के प्रति सद्भाव रखने की प्रेरणा देने वाली कोई सूक्ति ढूँढ़ कर लिखिए।
उत्तर:
i. “परहित सरिस धर्म नहिं भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई।”
– गोस्वामी तुलसीदास
भावार्थ:
दूसरों की भलाई करना सबसे बड़ा धर्म है और किसी भी प्राणी को दुःख पहुँचाना सबसे बड़ा पाप।
ii. “अहिंसा परमो धर्मः।”
– महाभारत
भावार्थ:
अहिंसा (किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाना) सबसे बड़ा धर्म है।
iii. “जियो और जीने दो।”
भावार्थ:
हर जीव को जीने का अधिकार है, इसलिए हमें न केवल स्वयं शांतिपूर्वक जीवन जीना चाहिए, बल्कि अन्य जीवों को भी जीने देना चाहिए।
भाषा बोध :
1. ‘बचपन’ में ‘बच’ शब्द में ‘पन’ प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञा बनाई गई है। इसी प्रकार नीचे दिए गए शब्दों में ‘पन’ प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञा बनाइए।
लड़ाका + पन = लड़ाकापन
अजनबी + पन = अजनबीपन
अंधा + पन = अंधापन
अपना + पन = अपनापन
2. निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए-
मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
---|---|---|
पढ़ना | पढ़ाना | पढ़वाना |
चलना | चलाना | चलवाना |
रंगना | रंगाना | रंगवाना |
लिखना | लिखाना | लिखवाना |
समझने के लिए उदाहरण:
- पढ़ना = मैं पढ़ता हूँ।
- पढ़ाना = गुरुजी बच्चों को पढ़ाते हैं।
- पढ़वाना = माता जी बच्चों से पाठ पढ़वाती हैं।
3. किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध क्रिया के साथ स्पष्ट होता है, उसे कारक कहते हैं-
(क) डॉ॰ प्रभात ने कोई उत्तर न दिया।
🔹 कारक: कर्त्ता कारक
🔹 कारक चिन्ह: “ने”
🔹 व्याख्या: क्रिया “दिया” को करने वाला – “डॉ॰ प्रभात” है।
(ख) दादी के लिए दवाई का पर्ची लिखी।
🔹 कारक: संप्रदान कारक
🔹 कारक चिन्ह: “के लिए”
🔹 व्याख्या: दवाई किसके लिए लिखी गई? – “दादी के लिए”
(ग) बाजार से दवा मँगवा लेना।
🔹 कारक: अपादान कारक
🔹 कारक चिन्ह: “से”
🔹 व्याख्या: दवा कहाँ से मँगवाई गई? – “बाजार से”
(घ) दूध पिल्लों के आँखों में डाल रहा था।
🔹 कारक: अधिकरण कारक
🔹 कारक चिन्ह: “में”
🔹 व्याख्या: दूध कहाँ डाला जा रहा था? – “पिल्लों के आँखों में”
(ङ) सब लोगों ने मंदू को बुरा-भला कहा।
🔹 कारक: कर्म कारक
🔹 कारक चिन्ह: “को”
🔹 व्याख्या: क्रिया “कहा” किससे संबंधित है? – “मंदू को”
4. निम्नलिखित समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
दिन – आज का दिन बहुत सुहावना है।
दीन – हमें दीन-दुखियों की मदद करनी चाहिए।
कहा – मैंने तुमसे कुछ नहीं कहा।
कहाँ – तुम सुबह से कहाँ थे?
दादी – मेरी दादी रोज़ भगवान की कहानी सुनाती हैं।
दीदी – दीदी मुझे स्कूल का काम समझा रही हैं।
बांग – मुर्गे ने सुबह-सुबह बांग दी।
बाघ – जंगल में एक खूंखार बाघ घूम रहा था।
कल – हम लोग कल पिकनिक पर जाएंगे।
काल – काल का चक्र निरंतर चलता रहता है।
बाहर – बच्चे घर के बाहर खेल रहे हैं।
बहार – वसंत में फूलों की बहार आ जाती है।
भला – ईश्वर सबका भला करे।
भाला – योद्धा ने हाथ में भाला उठा रखा था।
धुल – बारिश में मेरा चेहरा धुल गया।
धूल – रास्ता बहुत धूल से भरा हुआ था।
सुन – सुन, मैं तुझसे कुछ जरूरी बात कह रहा हूँ।
सुन्न – ठंड से मेरे पैर सुन्न हो गए हैं।
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