तीसरी कसम कहानी का उद्देश्य ॥ Teesri Kasam Kahani Ka Uddeshya

तीसरी कसम कहानी का उद्देश्य ॥ Teesri Kasam Kahani Ka Uddeshya

तीसरी कसम कहानी का उद्देश्य पर प्रकाश डालिए

फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य के आंचलिक कथाकारों में अग्रणी माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कहानियों में गाँव की संस्कृति, जीवनशैली, बोली-बानी और ग्रामीण परिवेश को अत्यंत जीवंत और सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी विशेषता यह है कि वे केवल कथाकार ही नहीं, बल्कि जीवन को कैमरे की भांति पकड़ने वाले कलाकार प्रतीत होते हैं। उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदनाएँ, यथार्थ और करुणा का अद्भुत संगम मिलता है। यही कारण है कि उनकी कहानी ‘तीसरी कसम’ भी केवल मनोरंजन का साधन न रहकर एक गहरी मानवीय संवेदना और जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति बन जाती है।

इस कहानी का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण जीवन के सरल, सहज और मासूम चरित्रों के माध्यम से मानवीय मूल्यों का प्रतिपादन करना है। हीरामन का चरित्र इस उद्देश्य को पूर्ण रूप से मूर्त रूप देता है। वह भले ही एक साधारण गाड़ीवान है, परंतु उसके अंदर सच्चाई, ईमानदारी और आत्मसम्मान की गहरी भावना है। उसकी तीनों कसमें केवल व्यक्तिगत शपथ नहीं हैं, बल्कि वे समाज को यह संदेश देती हैं कि मनुष्य को अपनी नैतिकता, मर्यादा और आत्मगौरव से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।

रेणु ने इस कहानी के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया है कि प्रेम केवल भौतिक आकर्षण नहीं, बल्कि एक पवित्र भाव है जिसमें त्याग और आदर्श की भावना निहित होती है। हीरामन और हीराबाई के संबंध इसी का उदाहरण हैं। हीरामन हीराबाई के प्रति आकर्षित अवश्य होता है, परंतु उसकी पवित्रता और मर्यादा उसे एक आदर्श प्रेमी बनाती है। यहाँ उद्देश्य यह है कि समाज में प्रेम का स्वरूप केवल शारीरिक या क्षणिक न होकर त्याग, संवेदनशीलता और बलिदान से परिपूर्ण होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, कहानी ग्रामीण अंचल की संस्कृति, लोकगीतों, मेले-ठेलों और साधारण जनजीवन का सजीव चित्रण करती है। इससे स्पष्ट होता है कि रेणु केवल कथानक प्रस्तुत नहीं करते, बल्कि अपने परिवेश को संरक्षित करने और पाठकों तक पहुँचाने का भी उद्देश्य रखते हैं।

अंततः कहा जा सकता है कि ‘तीसरी कसम’ का उद्देश्य पाठकों के हृदय में मानवीय संवेदनाओं को जाग्रत करना, नैतिक मूल्यों को स्थापित करना और आदर्श प्रेम एवं बलिदान की भावना को पुष्ट करना है। हीरामन का चरित्र हमें यह शिक्षा देता है कि साधारण जीवन जीते हुए भी मनुष्य महान आदर्शों को स्थापित कर सकता है। यही इस कहानी की सफलता है और यही इसका शाश्वत उद्देश्य।

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