रजिया सज्जाद जहीर का जीवन परिचय ॥ Rajiya Sajjad Jahir Ka Jivan Parichay

रजिया सज्जाद जहीर का जीवन परिचय ॥ Rajiya Sajjad Jahir Ka Jivan Parichay

रजिया सज्जाद जहीर का जीवन परिचय ॥ Rajiya Sajjad Jahir Ka Jivan Parichay

जन्म और प्रारंभिक जीवन

रज़िया सज्जाद ज़हीर का जन्म 15 फरवरी, 1917 ई. को राजस्थान के अजमेर जिले में हुआ। उनका परिवार शिक्षित और सांस्कृतिक दृष्टि से संवेदनशील था, जिससे बचपन से ही उनमें अध्ययन और साहित्य के प्रति रुचि विकसित हुई। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने घर पर और स्थानीय विद्यालय में प्राप्त की। अपने समय की अधिकांश लड़कियों के विपरीत, रज़िया जी ने शिक्षा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया और स्वतंत्र रूप से अध्ययन करते हुए बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनका यह साहस और आत्मनिर्भरता उनके साहित्यिक दृष्टिकोण में भी झलकती है। उनके पिता, सैयद इमदाद हुसैन, अजमेर इस्लामिया कॉलेज के प्रधानाचार्य थे।

उच्च शिक्षा और विवाह

विवाहोपरांत रज़िया सज्जाद ज़हीर को इलाहाबाद रहना पड़ा। यहाँ उन्होंने उर्दू साहित्य में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। इस समय के दौरान उन्होंने उर्दू कथा और साहित्य के विभिन्न रूपों का गहन अध्ययन किया। उनके इस अध्ययन ने भविष्य में उनकी लेखनी और साहित्यिक दृष्टिकोण को गहरा और व्यापक बनाया।

शिक्षण और करियर

सन् 1947 ई. में रज़िया जी अजमेर से लखनऊ आ गईं और करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में उर्दू पढ़ाने लगीं। अध्यापन कार्य के दौरान उन्होंने न केवल भाषा और साहित्य सिखाया, बल्कि छात्रों में संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी विकसित की। बाद में उन्होंने इस कार्य को छोड़ दिया। सन् 1965 ई. में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। यहाँ उन्होंने सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों में योगदान दिया, जिससे उनके अनुभव और दृष्टिकोण और समृद्ध हुए।

सम्मान और पुरस्कार

रज़िया सज्जाद ज़हीर को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई सम्मानों से नवाज़ा गया। इनमें प्रमुख हैं – सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, उर्दू अकादमी (उत्तर प्रदेश) द्वारा सम्मान, और अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड। इन पुरस्कारों ने उनके साहित्यिक योगदान को मान्यता दी और उन्हें व्यापक पाठक वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाया।

प्रमुख रचनाएँ

रज़िया जी की रचनाओं में “ज़र्द गुलाब” (उर्दू कहानी संग्रह) और “अल्लाह बंदा ले” प्रमुख हैं। उन्होंने कहानी और उपन्यास दोनों ही विधाओं में लिखा। इसके अलावा, उन्होंने उर्दू में बाल-साहित्य की रचना की और अन्य भाषाओं से उर्दू में कई अनुवाद किए। उनकी कहानियाँ सामाजिक, पारिवारिक और मानवीय मुद्दों पर आधारित हैं।

आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर इसे व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। यहाँ इसे स्पष्ट और पाठनीय तरीके से लिखा गया है:

प्रमुख कहानियाँ
  • मेहमान रहमत या जहमत
  • ज़र्द गुलाब
  • सुल्तान सलाहउद्दीन बादशाह
सम्मान एवं पुरस्कार

इन्हें कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें प्रमुख हैं:

  • सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार -1966
  • उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश – 1972
  • अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड
  • मुसंनाफीन अवार्ड

साहित्यिक विशेषताएँ

रज़िया सज्जाद ज़हीर का आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है, जिन्होंने कहानी, उपन्यास और बाल-साहित्य सभी क्षेत्रों में रचनाएँ कीं। वे केवल मौलिक लेखन तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि अन्य भाषाओं के साहित्य का उर्दू में अनुवाद भी किया। रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानियाँ सामाजिक सद्भाव, धार्मिक सहिष्णुता और बदलते समय में पारिवारिक मूल्यों को उजागर करने में सक्षम हैं। उनकी कहानी “नमक” भारत-पाक विभाजन के बाद विस्थापित लोगों के हृदयस्पर्शी अनुभवों को प्रस्तुत करती है। इस कहानी में उन्होंने लोगों के दिलों में बसी अपनी जन्मभूमि के प्रति गहरी लगाव और पहचान की मार्मिक झलक दिखाई है। उनका दृष्टिकोण बताता है कि भले ही राजनीतिक और सामाजिक बाधाएँ लोगों को विस्थापित कर दें, पर उनकी यादें और भावनाएँ उनकी पहचान का हिस्सा बनी रहती हैं। उनकी रचनाओं की प्रमुख विशेषताएँ सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज और प्राकृतिक सामंजस्य, आधुनिक संदर्भों में बदलते पारिवारिक मूल्यों को उभारने का सफल प्रयास, तथा समाज में सकारात्मक संदेश फैलाना हैं। इन सभी कारणों से रज़िया सज्जाद ज़हीर की रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पाठकों के मन और समाज दोनों में गहरा प्रभाव छोड़ती हैं।

भाषा और शैली

रज़िया सज्जाद ज़हीर की भाषा सहज, सरल और मुहावरेदार है। उन्होंने जन-मानस की भाषा का प्रयोग कर पाठकों को सीधे उनके जीवन और अनुभवों से जोड़ा। उनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का संतुलित मिश्रण देखने को मिलता है। प्रेम, करुणा, संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं की गहराई उनकी साहित्यिक विशेषता को और भी प्रभावशाली बनाती है। इसके अलावा, उनकी कुछ कहानियाँ हिंदी में भी रूपांतरित हो चुकी हैं, जो उनकी रचनाओं की सार्वभौमिकता और लोकप्रियता का परिचायक है।

उर्दू साहित्य में योगदान

आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में रज़िया सज्जाद ज़हीर का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने न केवल कहानियाँ और उपन्यास रचे, बल्कि उर्दू बाल-साहित्य में भी योगदान दिया। मौलिक रचनाओं के अलावा, उन्होंने कई अन्य भाषाओं की पुस्तकों का उर्दू में अनुवाद भी किया। उनकी भाषा सहज, सरल और मुहावरेदार होती थी, जिससे पाठकों पर गहरा प्रभाव पड़ता था। कुछ कहानियाँ देवनागरी लिप्यंतरण में भी उपलब्ध हैं।

रज़िया की कहानियों में सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज समन्वय दिखाई देता है। उनके लेखन की विशेषता है कि वे सामाजिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थीं, जिससे हिंदू-मुस्लिम संबंधों और सद्भाव को बढ़ावा मिलता था। आधुनिक संदर्भ में बदलते पारिवारिक मूल्यों को उभारने का उनका प्रयास भी सराहनीय है। उनकी कहानियाँ सरल, सहज और मुहावरेदार होने के साथ-साथ गहन मानवीय संदेश देती हैं।

निधन और विरासत

18 दिसंबर, 1979 ई. को रज़िया सज्जाद ज़हीर का देहांत हुआ। उनके निधन के बाद भी उनकी साहित्यिक रचनाएँ आज भी उर्दू कथा-साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में जीवित हैं। उन्होंने न केवल उर्दू साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज में संवेदनशीलता, सहिष्णुता और मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूकता भी पैदा की।

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