महात्मा गांधी पर निबंध 300, 400, 500 और 600 शब्दों में ॥ Mahatma Gandhi Par Nibandh In Hindi ।। महात्मा गांधी पर निबंध 10, 20 और 30 लाइन में
महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में
महात्मा गांधी का परिचय
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और राष्ट्रपिता कहलाते हैं। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अहिंसा, सत्य और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके विचारों ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को शांति और मानवता का मार्ग दिखाया। उन्हें “बापू” के नाम से भी जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
महात्मा गांधी का बचपन सादगी, अनुशासन और धार्मिक वातावरण में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने सत्य, ईमानदारी और आत्मसंयम के मूल्य सीखे। आगे की शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गए और वहाँ से कानून की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने पश्चिमी सभ्यता और भारतीय संस्कृति के बीच संतुलन बनाना सीखा। वे एक साधारण व्यक्ति थे, लेकिन उनके विचार और कर्मों ने उन्हें असाधारण बना दिया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से की, जहाँ उन्होंने रंगभेद और अन्याय के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन चलाया। भारत लौटने के बाद उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता संघर्ष जन-जन का आंदोलन बन गया। गांधीजी ने हमेशा अहिंसा, सत्य और आत्मबल पर बल दिया, जो आज भी विश्वभर के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
व्यक्तित्व और विचार
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व अत्यंत सरल, सत्यनिष्ठ और प्रेरणादायक था। उन्होंने सादगी, अहिंसा और सत्य को अपने जीवन का मूल सिद्धांत बनाया। वे दूसरों की सेवा को सच्ची पूजा मानते थे। गांधीजी का विचार था कि मनुष्य को बुराई से दूर रहकर सदाचार के मार्ग पर चलना चाहिए। उनका प्रसिद्ध सिद्धांत “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो” आज भी नैतिक जीवन की प्रेरणा देता है और समाज में शांति और प्रेम का संदेश फैलाता है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन सत्य, अहिंसा और नैतिकता का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए पूरे विश्व को यह सिखाया कि प्रेम और शांति से भी परिवर्तन लाया जा सकता है। गांधीजी ने दिखाया कि सफलता केवल बल या सत्ता से नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास, धैर्य और सदाचार से प्राप्त की जा सकती है। उनके आदर्श और शिक्षाएँ आज भी हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं। वे सदैव हमारे प्रेरणास्रोत रहेंगे।
महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में
परिचय
महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और हमारे राष्ट्रपिता थे। उन्हें प्रेम से “बापू” कहा जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने सत्य, अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलकर देश को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी ने अपने जीवन में सादगी, संयम और सेवा को अपनाया तथा दूसरों को भी नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनके विचार आज भी विश्वभर में शांति और मानवता का संदेश देते हैं।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की। वे बचपन से ही सत्य और अनुशासनप्रिय थे। उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गए, जहाँ उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और बैरिस्टर बने। पढ़ाई के दौरान उन्होंने सादगी, ईमानदारी और आत्मसंयम को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उन्होंने भारतीयों पर हो रहे भेदभाव और अन्याय के खिलाफ पहली बार अहिंसक आंदोलन चलाया और न्याय के लिए संघर्ष किया।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
महात्मा गांधी 1915 में भारत लौटकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हुए और उसे नया दिशा दी। उन्होंने असहयोग आंदोलन (1920), नमक सत्याग्रह (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का नेतृत्व किया। गांधीजी ने हमेशा सत्य, अहिंसा और स्वदेशी के सिद्धांतों को अपने आंदोलनों का आधार बनाया। उनका उद्देश्य केवल स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं था, बल्कि समाज में नैतिक और सामाजिक सुधार लाना भी था। उनके नेतृत्व और विचारों ने भारतीय जनता को संगठित किया और शांति से स्वतंत्रता की राह प्रशस्त की।
उनके सिद्धांत और विचार
महात्मा गांधी का मानना था कि सत्य और अहिंसा ही सबसे बड़ी शक्तियाँ हैं। उन्होंने अपने जीवन में सरलता, सादगी और संयम को अपनाया। गांधीजी आत्मनिर्भरता और स्वदेशी को बढ़ावा देते थे। इसके लिए उन्होंने चरखा चलाकर खादी के उपयोग और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित किया। उनका विचार था कि व्यक्ति और समाज को नैतिकता, श्रम और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलना चाहिए। उनके सिद्धांत आज भी सामाजिक सुधार, शांति और न्याय के लिए मार्गदर्शक बने हुए हैं।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी केवल भारत के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने यह सिद्ध किया कि सत्य, अहिंसा और धैर्य के मार्ग पर चलकर भी स्वतंत्रता और न्याय प्राप्त किया जा सकता है। उनका जीवन सादगी, नैतिकता और सेवा का प्रतीक है। गांधीजी ने हमें मानवता, सहिष्णुता और प्रेम का महत्व समझाया। उनके विचार और आदर्श आज भी समाज और दुनिया के लिए अमूल्य मार्गदर्शन हैं। उनका जीवन सदैव प्रेरणा और मार्गदर्शन देता रहेगा।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
परिचय
महात्मा गांधी, जिन्हें आदरपूर्वक “राष्ट्रपिता” कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के दीवान थे। बचपन से ही गांधीजी में सत्य, अनुशासन और नैतिकता की प्रवृत्ति दिखाई दी। उन्होंने इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई पूरी की और बाद में दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए अहिंसक संघर्ष किया। भारत लौटकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनके विचार आज भी प्रेरणादायक हैं।
शिक्षा और जीवन की शुरुआत
महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए 1888 में वे इंग्लैंड गए और वहाँ से कानून की पढ़ाई पूरी कर वकालत की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका का रुख किया, जहाँ उन्होंने वहां रहने वाले भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। इसी दौरान उन्होंने “सत्याग्रह” और “अहिंसा” के सिद्धांतों को अपनाया। इन अनुभवों ने उनके जीवन और विचारधारा को आकार दिया और भविष्य में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें असहयोग आंदोलन (1920), नमक सत्याग्रह (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) प्रमुख हैं। उनका उद्देश्य था बिना हिंसा के देश को स्वतंत्र कराना। गांधीजी ने जनता को एकजुट किया और अंग्रेजों के विरुद्ध शांतिपूर्ण संघर्ष के माध्यम से न्याय और स्वतंत्रता की मांग की। उनके नेतृत्व और अहिंसक आंदोलनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और विश्वभर में प्रेरणा का स्रोत बने।
विचार और आदर्श
महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने चरखा चलाने को आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आह्वान किया। गांधीजी का जीवन सादगी, ईमानदारी और मानवता का उदाहरण है। वे मानते थे कि नैतिकता, मेहनत और सेवा भाव से ही समाज में वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है। उनके आदर्श आज भी लोगों को शांति, संयम और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। गांधीजी के विचार और कर्म आज भी विश्वभर में मार्गदर्शक हैं।
मृत्यु और विरासत
महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा की गई। उनके निधन से पूरा देश शोक में डूब गया, लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी जीवित हैं। गांधीजी का जीवन सत्य, अहिंसा और सेवा का प्रतीक रहा। उनके योगदान और सिद्धांतों को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” घोषित किया। उनका संदेश केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत है। गांधीजी की विरासत आज भी लोगों को शांति, न्याय और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित किया कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी बड़ी सफलता और परिवर्तन लाया जा सकता है। उनका जीवन सादगी, नैतिकता और सेवा का अद्भुत उदाहरण है। गांधीजी ने केवल भारत को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को प्रेम, सहिष्णुता और न्याय का संदेश दिया। उनके आदर्श और विचार आज भी हमारे जीवन को मार्गदर्शित करते हैं। वे सदा भारत की आत्मा और विश्व के प्रेरक नेता के रूप में जीवित रहेंगे।
महात्मा गांधी पर निबंध 600 शब्दों में
परिचय
महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राष्ट्रपिता थे। उन्हें स्नेहपूर्वक “बापू” कहा जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनकी माता पुतलीबाई धार्मिक, संयमी और सदाचारी स्वभाव की थीं, जिससे गांधीजी के जीवन में नैतिकता, सादगी और आत्मसंयम का विकास हुआ। बचपन से ही उन्होंने सत्य, अहिंसा और दूसरों की सेवा के मूल्य अपनाए। गांधीजी ने अपने जीवन को देश सेवा, समाज सुधार और मानवता की भलाई के लिए समर्पित किया। उनके विचार, आदर्श और संघर्ष आज भी न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में प्रेरणा का स्रोत हैं।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की। 1888 में उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड का रुख किया और वहां से कानून की पढ़ाई पूरी कर 1891 में बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। बैरिस्टर बनने के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में वकालत शुरू की। वहाँ उन्होंने भारतीयों के साथ हो रहे रंगभेद और अन्याय का सामना किया। इसी अनुभव ने उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने “सत्याग्रह” और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया, जो आगे चलकर भारत की स्वतंत्रता संग्राम में उनके नेतृत्व का आधार बने।
भारत वापसी और स्वतंत्रता आंदोलन
महात्मा गांधी 1915 में भारत लौटे और लोकमान्य तिलक, गोखले जैसे नेताओं से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुए। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलते हुए जनता को संगठित किया और देश को एकजुट किया। उनके प्रमुख आंदोलन इस प्रकार थे:
- असहयोग आंदोलन (1920) – अंग्रेजी शासन और उसके संस्थानों का शांतिपूर्ण बहिष्कार।
- नमक सत्याग्रह (1930) – ब्रिटिश नमक कर के विरोध में दांडी यात्रा।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – ब्रिटिश शासन को देश से निकालने के लिए आम जनता से आह्वान।
इन आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा और गति दी।
गांधीजी के विचार और सिद्धांत
महात्मा गांधी का पूरा जीवन सत्य, अहिंसा, प्रेम और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित था। उनका मानना था कि “सत्य ही ईश्वर है।” उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया और चरखा चलाकर आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। गांधीजी ने समाज में हिंदू-मुस्लिम एकता, अस्पृश्यता उन्मूलन और ग्राम स्वराज को महत्वपूर्ण माना। उनका विचार था कि नैतिकता, सादगी और मेहनत से ही व्यक्ति और समाज में वास्तविक सुधार लाया जा सकता है। उनके सिद्धांत आज भी समाज में शांति, न्याय और समानता के मार्गदर्शन के रूप में जीवित हैं।
उनका व्यक्तित्व
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व अत्यंत सादा और सहज था, फिर भी प्रभावशाली था। वे साधारण वस्त्र पहनते, स्वयं का भोजन बनाते और दूसरों की सेवा में संतोष और आनंद पाते थे। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण देश और समाज की भलाई के लिए समर्पित था। गांधीजी का व्यवहार, सादगी और आत्मसंयम दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। उनका व्यक्तित्व केवल नेतृत्व का प्रतीक नहीं, बल्कि नैतिकता, अनुशासन और करुणा का अद्भुत उदाहरण भी था। उनकी साधना और आदर्श आज भी लोगों के लिए मार्गदर्शक हैं।
मृत्यु और विश्व पर प्रभाव
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की। भले ही वे शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं रहे, उनके विचार और आदर्श आज भी विश्वभर में प्रेरणा स्रोत हैं। उनके अहिंसात्मक और सत्याग्रह आधारित आंदोलनों ने न केवल भारत में स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नेताओं को भी प्रेरित किया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और कई अन्य नेताओं ने गांधीजी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों से मार्गदर्शन लिया। उनका जीवन आज भी शांति, न्याय और समानता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन यह सिखाता है कि सत्य और अहिंसा की शक्ति सबसे बड़ी होती है। उन्होंने केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को नैतिकता, सहिष्णुता और मानवता का अमूल्य पाठ भी पढ़ाया। गांधीजी ने अपने आदर्शों और संघर्ष से यह सिद्ध किया कि प्रेम, संयम और सेवा के मार्ग पर चलकर समाज और राष्ट्र में वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है। वे सदा भारत माता के सच्चे सपूत और मानवता के प्रतीक के रूप में याद किए जाएंगे। उनका जीवन आज भी प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत है।
महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में
- महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ।
- उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- उन्होंने इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई की।
- दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारतीयों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आंदोलन किया।
- वे सत्य और अहिंसा के प्रबल समर्थक थे।
- गांधीजी ने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन चलाए।
- उन्होंने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
- उनका जीवन सादगी, सेवा और मानवता का उदाहरण था।
- 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या हुई, पर उनके विचार आज भी जीवित हैं।
महात्मा गांधी पर निबंध 20 लाइन में
- महात्मा गांधी भारत के महान नेता और राष्ट्रपिता थे।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ।
- माता-पिता का नाम पुतलीबाई और करमचंद गांधी था।
- उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा राजकोट और पोरबंदर में प्राप्त की।
- आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड गए।
- वहाँ उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की।
- 1893 में वे दक्षिण अफ्रीका गए और वहां वकालत करने लगे।
- दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारतीयों के खिलाफ भेदभाव देखा।
- उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत अपनाए।
- 1915 में गांधीजी भारत लौटे।
- उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया।
- नमक सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ विरोध किया।
- भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने जनता को जागरूक किया।
- गांधीजी स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के समर्थक थे।
- वे सादगी और सेवा के जीवन शैली के प्रतीक थे।
- उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया।
- 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या हुई।
- उनके विचार और आदर्श आज भी प्रेरणा देते हैं।
- महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा और मानवता के प्रतीक हैं।
महात्मा गांधी पर निबंध 30 लाइन में
- महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रपिता थे।
- उन्हें “बापू” भी कहा जाता है।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ।
- उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था।
- गांधीजी का बचपन सरल और धार्मिक वातावरण में बीता।
- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की।
- आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड गए।
- इंग्लैंड से उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और बैरिस्टर बने।
- 1893 में वे दक्षिण अफ्रीका गए।
- वहाँ भारतीयों के खिलाफ रंगभेद और अन्याय देखा।
- उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत अपनाए।
- गांधीजी का उद्देश्य था न्याय और समानता स्थापित करना।
- 1915 में वे भारत लौटे।
- उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी शुरू की।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया।
- नमक सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजों का विरोध किया।
- भारत छोड़ो आंदोलन में जनता को जागरूक किया।
- गांधीजी ने हमेशा हिंसा का विरोध किया।
- वे सत्य और अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता चाहते थे।
- उन्होंने स्वदेशी वस्त्र और चरखा अपनाने को प्रोत्साहित किया।
- गांधीजी सादगी, संयम और सेवा के आदर्श थे।
- उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर विशेष बल दिया।
- उन्होंने अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए काम किया।
- उनका जीवन देश और समाज की सेवा में समर्पित था।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी।
- हालांकि वे शारीरिक रूप से नहीं रहे, पर उनके विचार जीवित हैं।
- उनके अहिंसात्मक आंदोलन से विश्व के अनेक नेताओं ने प्रेरणा ली।
- गांधीजी ने दिखाया कि बिना हिंसा के भी स्वतंत्रता संभव है।
- उनका जीवन सत्य, धैर्य और मानवता का प्रतीक है।
- महात्मा गांधी हमेशा भारत और विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
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