तत्सम शब्द और तद्भव शब्द किसे कहते हैं tatsam aur tadbhav shabd
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तत्सम और तद्भव शब्द |
शब्द किसे कहते हैं उदाहरण सहित बताइए
भाषा कि मौखिक अथवा लघुतम इकाई शब्द सार्थक होता है । अन्यथा वह शब्द नहीं कहा जाएगा । वह ध्वनि मात्र कहा जाएगा । एक या एक से अधिक अक्षरों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को शब्द कहते है , जैसे आदमी , पानी, किन्तु, परन्तु इत्यादि । या फिर कह सकते है कि “ जिन वर्णों का निर्माण अर्थपूर्ण ध्वनियों के समूह से होता है , उन्हें शब्द कहते हैं “ शब्दों को रचना, ध्वनि और अर्थ के भेद से होती है । अतः शब्द मुख्य रूप से ध्वन्यात्मक होते है या वर्णात्मक । व्याकरण में ध्वन्यात्मक शब्दों की अपेक्षा वर्णात्मक शब्दों का अधिक महत्व है । समय के साथ संसार की सभी भाषाओं के रूप बदलते हैं । हिन्दी भाषा भी इस नियम का अपवाद नहीं है । संस्कृत के अनेक शब्द हिन्दी में आए हैं । इनमें कुछ शब्द अपने मूल रूप में ज्यों के त्यों हैं जबकि कुछ काल तथा अन्य परिस्थितियों की आवश्यकता के कारण बादल गए हैं ।
तत्सम शब्द और तद्भव शब्द किसे कहते हैं
तत्सम शब्द (संस्कृत शब्द) : ‘तत्सम’शब्द तत् और सम दो शब्दों के योग से बना है । तत् का अर्थ है वह अर्थात संस्कृत और सम का अर्थ है समान । तत्सम शब्द उन शब्दों को कहते है जो संस्कृत के समान हों अथवा संस्कृत जैसे हों , उदघार्ण के लिए हिन्दी में प्रयुक्त शब्द कृष्ण, गृह, पवन, काष्ठ आदि शब्द तत्सम शब्द हैं इस प्रकार तत्सम शब्द वे शब्द हैं जो संस्कृत भाषा से बिना किसी ध्वनि या रूप परिवर्तन के हिन्दी में आ गए हैं उसे तत्सम शब्द कहते हैं ।
स्रोत कि दृष्टि से हिन्दी में तत्सम शब्द तीन प्रकार के हैं –
क) संस्कृत से सीधे हिन्दी में आने वाले शब्द , जैसे भक्ति , रीति , गृह , नर , नारी आदि ।
ख) संस्कृत के व्याकरणिक नियमों के आधार पर हिन्दी हिन्दी कल में निर्मित तत्सम शब्द , जैसे जलवायु , वायुयान , समपादकीय , प्रवक्ता , प्रभाग , नगरपालिका , पत्राचार आदि ।
इस प्रकार के शब्द आधुनिक कल में शब्दों कि कमी कि पूर्ति के लिए बनाए गए हैं और बनाए जा रहे हैं ।
ग) वे शब्द भी तत्सम कहे जाते हैं , जो अन्य भाषाओं से ज्यों के त्यों हिन्दी में प्रायिक्त किए जाने लगे हैं , जैसे – स्कूल , स्टेशन , प्रिंसिपल , रोड, साइड, पुलिस, कॉलोनी,आदि परन्तु हमें केवल संस्कृत भाषा के शब्दों पर ही विचार करना है ।
तद्भव शब्द (हिन्दी के शब्द ) : तद्भव शब्द इन दो शब्दों के योग से बना है – तत् + भव। तत् का अर्थ है वह और भव का अर्थ है उत्पन्न ।
इस प्रकार तद्भव शब्द वे शब्द हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुए है ,ये शब्द संस्कृत से सीधे न आकार पालि, प्राकृत,और अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आए हैं तद्भव शब्द संस्कृत शब्दों अथवा तत्सम शब्दों के ध्वनि कि दृष्टि से विकसित , परिवर्तित अथवा विकृत रूप हैं या कहे इन शब्दों का रूप अपने प्राकृत शब्दों के मूल रूप से थोड़ा बदला हुआ होता है। उदाहरण के लिए कान्ह, घर , काम , घोड़ा जीभ बहू दूध आदि तद्भव शब्द हैं जो क्रमशः संस्कृत तत्सम शब्दों कृष्ण , गृह, कार्य, घोटक, जिह्वा, वधू, दुग्ध,से उत्पन्न हैं ।
तत्सम (संस्कृत) शब्द
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तद्भव (हिन्दी) शब्द
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आम्र
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आम
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अग्र
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आगे
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अग्नि
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आग
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ओष्ठ
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ओंठ
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उच्च
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ऊँच
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कपाट
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किवाड़
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कर्ण
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कान
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घोटक
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घोड़ा
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शत
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सौ
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श्रोता
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दर्शक
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रात्री
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रात
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दुग्ध
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दूध
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पद
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पैर
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घटित
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घड़ी
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बालुका
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बालू
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कूप
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कुआँ
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निद्रा
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नींद
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दंत
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दाँत
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नव्य
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नया
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पश्चाताप
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पछतावा
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वान
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बनदर
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कोटि
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करोड़
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चंचु
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चोंच
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पौत्री
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पोती
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धैर्य
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धीरज
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पीत
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पीला
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घुत
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घी
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फाल्गुन
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फागुन
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अस्थि
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हड्डी
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अश्रु
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आँसू
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अक्षि
|
आँख
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एकत्र
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इकट्ठा
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उष्ट्र
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ऊँठ
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कपोत
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कबूतर
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चतुर्थ
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चौथा
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तित्ता
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तीता
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सूचि
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सुई
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द्वितीय
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दूसरा
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जिह्वा
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जीभ
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दधि
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दही
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श्रावण
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सावन
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सुभग
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सुहाग
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तैल
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तेल
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हस्त
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हाथ
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उलूक
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उल्लू
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पुराण
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पुराना
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तृण
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तिनका
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मृत्यु
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मौत
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लक्ष
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लाख
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सूर्य
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सूरज
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चंद्र
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चाँद
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चित्रकार
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चितेरा
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दण्ड
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डंडा
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पत्र
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पत्ता
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अज्ञान
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अजान
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स्वर्णकार
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सुनार
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